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स्वयं के विचार को धार देते रहना ही होगी अमर शहीदों के प्रति सच्ची श्रद्धांजलि: गणेश दत्त पाठक - श्रीनारद मीडिया

स्वयं के विचार को धार देते रहना ही होगी अमर शहीदों के प्रति सच्ची श्रद्धांजलि: गणेश दत्त पाठक

स्वयं के विचार को धार देते रहना ही होगी अमर शहीदों के प्रति सच्ची श्रद्धांजलि: गणेश दत्त पाठक

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श्रीनारद मीडिया, सीवान (बिहार):

सीवान जिला मुख्‍यालय के अयोध्यापुरी स्थित पाठक आईएएस संस्थान पर शहीद दिवस के अवसर पर अमर शहीदों भगत सिंह, राजगुरु और सुखदेव को श्रद्धासुमन किया गया अर्पित

बेहद कम उम्र में ब्रितानी हुकूमत के दौरान 23 मार्च, 1931 को इंकलाब के लिए हंसते हंसते फांसी पर झूल जानेवाले अमर शहीदों का बलिदान आज भी राष्ट्र के प्रति संपूर्ण समर्पण के लिए युवाओं को प्रेरित करता रहता है। भगत सिंह ने इंकलाब के लिए विचार मंथन पर विशेष बल दिया। उनका मानना था कि इंकलाब का आधार केवल बम, बंदूक नहीं, इंकलाब की ऊर्जा का आधार प्रखर विचार ही होते हैं। विचार ही चेतना को जागृत करते हैं। विचार ही वास्तविकता से रूबरू कराते हैं। विचार ही मानसिक स्वतंत्रता के आधार होते हैं। विचार ही जागरूक बनाते हैं। विचार ही समकालीन परिस्थितियों के प्रति सचेत और सतर्क करते हैं। राजगुरु और सुखदेव भी वैचारिक धरातल पर मजबूती को क्रांति की अनिवार्य शर्त मानते दिखाई देते हैं। इसलिए देश के हर नागरिक के लिए विचार को धार देते रहना ही अमर शहीदों के प्रति सच्ची श्रद्धांजलि होगी। ये बातें बुधवार को अयोध्यापुरी स्थित पाठक आईएएस संस्थान पर अमर शहीदों भगत सिंह, राजगुरु, सुखदेव को श्रद्धासुमन अर्पित करते हुए शिक्षाविद् श्री गणेश दत्त पाठक ने कही।

इस अवसर पर श्री पाठक ने कहा कि अमर शहीद भगत सिंह कहा करते थे’ मैं महत्वाकांक्षा, आशा और जीवन के प्रति आकर्षण रखता हूं लेकिन जरूरत पड़ने पर इन सबका परित्याग भी कर सकता हूं।’ इस बात के माध्यम से अमर शहीद भगत सिंह ने देश के प्रति अपने विशेष स्नेह को ही परिलक्षित किया और संदेश दिया कि राष्ट्र को जरूरत पड़ने पर हमें सर्वस्व न्यौछावर के लिए तैयार रहना चाहिए।

उनका एक शेर प्रेरणा का प्रबल ज्वार लाता दिखता है:

इस कदर वाकिफ है मेरी कलम मेरी जज्बातों से।
अगर मैं इश्क लिखता हूं तो इंकलाब लिखा जाता है।

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