Notice: Function _load_textdomain_just_in_time was called incorrectly. Translation loading for the newsmatic domain was triggered too early. This is usually an indicator for some code in the plugin or theme running too early. Translations should be loaded at the init action or later. Please see Debugging in WordPress for more information. (This message was added in version 6.7.0.) in /home/imagequo/domains/shrinaradmedia.com/public_html/wp-includes/functions.php on line 6121
नहीं बदला शहरी जल व सीवेज प्रबंधन. - श्रीनारद मीडिया

नहीं बदला शहरी जल व सीवेज प्रबंधन.

नहीं बदला शहरी जल व सीवेज प्रबंधन.

०१
WhatsApp Image 2023-11-05 at 19.07.46
priyranjan singh
IMG-20250312-WA0002
IMG-20250313-WA0003
previous arrow
next arrow
०१
WhatsApp Image 2023-11-05 at 19.07.46
priyranjan singh
IMG-20250312-WA0002
IMG-20250313-WA0003
previous arrow
next arrow

श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क

देश में कुछ हिस्से मानसून को अभी भी तरस रहे हैं तो कई हिस्से मानसून से परेशान। हाल के दिनो में कई शहरों में ऐसे दृश्य आम थे जहां बसावटी इलाका तालाब बना हुआ था और सड़कों पर नावें चल रही थीं। कुछ शहर तो चार पांच घंटे की बारिश भी नहीं थाम पाते हैं। यह हाल तब है जबकि अकेले केंद्र की ओर से इन शहरों को केवल इसी काम के लिए लगभग 60 हजार करोड़ रुपये दिए जा चुके हैं। राज्यों की ओर से भी लगभग 20 हजार करोड़ रुपये खर्च किए जा चुके हैं।

दूसरे चरण का भी काम शुरू करने की घोषणा हो चुकी है जिसमें इस मद के लिए लगभग डेढ़ लाख करोड़ रुपये खर्च होंगे। जाहिर तौर पर यह सवाल उठता है कि अमृत मिशन के तहत होने वाले ये भारी भरकम खर्च क्या पानी में बह गए। राज्य सरकारों को इसका जवाब देना होगा। ज्यादातर शहरों में पर्याप्त सीवर लाइन और सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट न होने से सीवेज नदियों और खुले नालों में बहाए जा रहे हैं।

राजधानी दिल्ली समेत हाईटेक गुड़गांव व नोएडा में कुछ घंटों की वर्षा के बाद ही जल निकासी प्रबंधन न होने की वजह से नाव चलाने की नौबत आ जाती है। शहरी क्षेत्रों में जल निकासी और सीवर प्रणाली को दुरुस्त करने को मिशन में उच्च प्राथमिकता दी गई है।

जिन 500 शहरों को अमृत मिशन के पहले चरण में लिया गया उनकी हालत पस्त है। वर्ष 2015 में चालू हुए अमृत मिशन के पहले चरण में सीवेरज प्रणाली और सेप्टेज प्रोजेक्ट के लिए केंद्र के हिस्से की 32 हजार करोड़ रुपए से अधिक की धनराशि खर्च की जा चुकी है। मिशन के तहत सीवरेज और सेप्टेज परियोजनाओं के लिए 32,456 करोड़ रुपए खर्च किए जा चुके हैं। इससे कुल 624.6 करोड़ लीटर प्रतिदिन की क्षमता वाले 282 सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट (STP) लगाए गए हैं। इनमें से 274 करोड़ लीटर प्रतिदिन की कुल क्षमता वाले 128 एसटीपी पुराने थे, जिन्हें दुरुस्त किया गया। जबकि सेप्टिक टैंक बनाकर सीवेज को ट्रीट करने की योजना सौ फीसद पूरी नहीं हो सकी है।  मिशन में घरेलू सीवेज के ट्रीटमेंट का काम लिया गया है, जिसमें औद्योगिक सीवेज की ट्रीटमेंट शामिल नहीं है।

अटल नवीकरण और शहरी परिवर्तन (अमृत) मिशन के पहले चरण में जिन 500 शहरों को शामिल किया गया, उनमें उत्तर प्रदेश के 61 शहर, बिहार के 27, दिल्ली के चार, मध्य प्रदेश के 34, पंजाब के 16, हरियाणा के 20, झारखंड के सात, उत्तराखंड के सात, जम्मू-कश्मीर के सात, जम्मू-कश्मीर के पांच, पश्चिम बंगाल के 60, हिमाचल प्रदेश के दो और राजस्थान के 29 शहर प्रमुख हैं। मिशन के तहत कुल 11 तरह के सुधार किए जाने थे, जिनमें सीवरेज लाइनें बिछाने, सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट स्थापित करने और सेप्टिक प्रबंधन को उच्च प्राथमिकता दी गई है।

शहरी विकास मंत्रालय के आंकड़ों के मुताबिक अब तक केवल 97 लाख घरों को सीवर कनेक्शन दिया गया है। जबकि 185 करोड़ लीटर प्रतिदिन की अतिरिक्त सीवेज ट्रीटमेंट की क्षमता बढ़ाई गई है। इसी तरह केवल देश के 500 चुनिंदा शहरों के मात्र 2250 ऐसे स्थलों को चिन्हित किया गया, जहां जल जमाव होता है और उसे दुरुस्त किया जा सका है।

देश के ज्यादातर शहरी निकायों में बरसात के पानी की निकाली (स्टार्म वाटर सिस्टम) और सीवरेज प्रणाली खस्ता हाल है। दरअसल, अमृत मिशन के संचालन का दायित्व राज्यों और उनके स्थानीय निकायों को दिया गया है। जिन राज्यों अथवा उनके शहरी निकायों का प्रशासन सक्रिय होकर कार्य किया वहां की हालत संतोषजक है।

मिशन के तहत पहले के बनी सीवरेज लाइनों को दुरुस्त करने, नई लाइनों से शहर के बाकी हिस्सों में विस्तार करने और घरेलू सीवेज की प्रोसे¨सग के लिए सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट स्थापित किए जाने हैं। योजना के इतने वर्षों के बाद भी बहुत कम शहरों में सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट लगाए जा सके हैं।

पानी की निकासी प्रबंध (स्टार्म वाटर सिस्टम) न होने की वजह से थोड़ी बहुत बारिश भी शहर को डुबो जाती है, जिससे लोगों की जीना मुहाल हो जाता है। जबकि अमृत मिशन में सीवेज ट्रीटमेंट से निकने पानी की आपूर्ति अन्य जरूरत वाले क्षेत्रों में की जानी है।

केंद्रीय पर्यावरण नियंत्रण बोर्ड के आंकड़ों के मुताबिक वर्ष 2015 में देश के शहरी क्षेत्रों से प्रतिदिन जितना सीवेज निकलता है, उसका लगभग 37 फीसद का ही ट्रीटमेंट हो पाता है। यह अब बढ़कर 45 फीसद पहुंच पाया है। उसमें और सुधार करने के लिए इसे अमृत मिशन में प्राथमिकता के तौर पर शामिल किया गया है। लेकिन संतोषजनक प्रगति न होने की वजह से इसे एक बार फिर अमृत मिशन 2.0 में भी शामिल कर लिया गया है। इस बार मिशन में देश के सभी छोटे बड़े शहरों को शामिल कर लिया गया है।

कुछ आंकड़े:

अमृत के पहले चरण की उपलब्धियां..

-97 लाख घरों को सीवर कनेक्शन और सेप्टेज कवरेज।

-18.50 करोड़ लीटर प्रतिदिन सीवेज ट्रीटमेंट क्षमता विकसित की गई।

-9.07 करोड़ लीटर प्रतिदिन सीवेज को रिसाइकिल कर उस पानी दोबारा उपयोग किया जा रहा।

-अहमदाबाद, इंदौर, अमरावती, लखनऊ, भोपाल, पूना, गाजियाबाद, सूरत, हैदराबाद और वाइजैग जैसे 10 शहरों ने 3840 करोड़ बाजार से उठाया।

-बाकी की हालत में बहुत प्रगति नहीं।

 

 

Leave a Reply

error: Content is protected !!