विभाजन के दौरान हुई हिंसा और अमानवीय घटना को कभी नहीं भुलाया जा सकता–अमित शाह

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श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क

केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने रविवार को देश के विभाजन के दौरान पीड़ित सभी लोगों को श्रद्धांजलि दी। उन्होंने कहा कि भारत के इतिहास में विभाजन के समय हुई हिंसा और अमानवीय घटना को कभी नहीं भुलाया जा सकता है। उन्होंने आगे कहा कि ‘विभाजन विभीषिका स्मृति दिवस’ देश की युवा पीढ़ी को देश के विभाजन के दौरान लोगों द्वारा सही गई यातना को याद दिलाता रहेगा। इसके साथ देश में युवाओं को हमेशा शांति बनाए रखने के लिए प्रेरित भी करता रहेगा।

क्या कहता है भारत का राजपत्र?

विभाजन विभीषिका स्मृति दिवस को लेकर 14 अगस्त 2021 को केंद्रीय गृह मंत्रालय की ओर से भारत सरकार का राजपत्र यानी कि गजट जारी किया गया था, जिसमें कहा गया है कि भारत सरकार, भारत की वर्तमान और भावी पीढ़ियों को विभाजन के दौरान लोगों द्वारा सही गई यातना और वेदना का स्मरण दिलाने के लिए 14 अगस्त को विभाजन विभीषिका स्मृति दिवसके रूप में घोषित करती है.

आजादी के समय हुआ था देश का विभाजन

भारत 1947 में आजाद हुआ था। इसी दौरान देश का विभाजन हो गया। विभाजन के दौरान लोगों पर हुए जुल्म और अत्याचार के अध्याय को भारत के इतिहास में कभी भुलाया नहीं जा सकता है। विभाजन के दौरान हुई हिंसा में लाखों लोगों की जान चली गई और लाखों लोगों को विस्थापित होना पड़ा था। गृह मंत्री अमित शाह ने विभाजन विभीषिका स्मृति दिवस के अवसर पर कहा, ‘मैं इस अवसर पर उन सभी लोगों को नमन करता हूं,जिन्होंने बंटवारे की पीड़ा को सहा।’ उन्होंने कहा कि विभाजन के दौरान हुई हिंसा से लाखों लोगों को जान गवांनी पड़ी और लाखों लोगों को एक जगह से दूसरे जगह विस्थापित होना पड़ा था।

इस दिन से मनाया जा रहा है विभाजन विभीषिका स्मृति दिवस

प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में पिछले साल केंद्र सरकार ने विभाजन से पीड़ित लोगों के संघर्षों और बलिदानों की याद करने के लिए 14 अगस्त को विभाजन विभीषिका स्मृति दिवस के रूप में मनाने की घोषणा की थी।

आजादी के बाद पाकिस्तान बना था मुस्लिम देश

1947 में जब भारत का विभाजन हुआ था तब अंग्रेजों ने पाकिस्तान को एक मुस्लिम देश के रूप में मान्यता दी थी। विभाजन के बाद पाकिस्तान में बड़े पैमाने पर दंगे भड़क गए और लाखों लोगों को पाकिस्तान छोड़ कर भारत आना पड़ा। दंगे फैलने से लाखों लोगों को जान गंवानी पड़ी थी।

विभाजन की विभीषिका और स्मृति दिवस

भारत का विभाजन देश के लिए किसी विभीषिका से कम नहीं थी. इसका दर्द आज भी देश को झेलना पड़ रहा है. ब्रिटिश औपनिवेशिक शासन ने पाकिस्तान को 1947 में भारत के विभाजन के बाद एक मुस्लिम देश के रूप में मान्यता दी थी. लाखों लोग विस्थापित हुए थे और बड़े पैमाने पर दंगे भड़कने के चलते कई लाख लोगों की जान चली गई थी.

इससे पहले ब्रिटिश हुकूमत से आजादी के लिए भी लाखों भारतीयों ने कुर्बानियां दी थीं. 14 अगस्त 1947 की आधी रात भारत की आजादी के साथ देश का भी विभाजन हुआ और पाकिस्तान अस्तित्व में आया. विभाजन से पहले पाकिस्तान का कहीं नामो-निशान नहीं था. अंग्रेज जा तो रहे थे, लेकिन उनकी साजिश का फलाफल था कि भारत को बांटकर एक अन्य देश खड़ा किया गया.

कभी नहीं भूली जा सकती वह रात

विभाजन की घटना को याद किया जाए तो 14 अगस्त 1947 का दिन भारत के लिए इतिहास का एक गहरा जख्म है. वह जख्म तो आज तक ताजा है और भरा नहीं है. यह वो तारीख है, जब देश का बंटवारा हुआ और पाकिस्तान एक अलग देश बना. बंटवारे की शर्त पर ही भारत को अंग्रेजों से आजादी मिली.

भारत-पाक विभाजन ने भारतीय उप महाद्वीप के दो टुकड़े कर दिए. दोनों तरफ पाकिस्तान (पूर्वी और पश्चिमी पाकिस्तान) और बीच में भारत. इस बंटवारे से बंगाल भी प्रभावित हुआ. पश्चिम बंगाल वाला हिस्सा भारत का रह गया और बाकी पूर्वी पाकिस्तान. पूर्वी पाकिस्तान को भारत ने 1971 में बांग्लादेश के रूप में स्वतंत्र राष्ट्र बनाया.

दिलों और भावनाओं का भी बंटवारा

देश का बंटवारा हुआ लेकिन शांतिपूर्ण तरीके से नहीं. इस ऐतिहासिक तारीख ने कई खूनी मंजर देखे. भारत का विभाजन खूनी घटनाक्रम का एक दस्तावेज बन गया जिसे हमेशा उलटना-पलटना पड़ता है. दोनों देशों के बीच बंटवारे की लकीर खिंचते ही रातों-रात अपने ही देश में लाखों लोग बेगाने और बेघर हो गए. धर्म-मजहब के आधार पर न चाहते हुए भी लाखों लोग इस पार से उस पार जाने को मजबूर हुए.

इस अदला-बदली में दंगे भड़के, कत्लेआम हुए. जो लोग बच गए, उनमें लाखों लोगों की जिंदगी बर्बाद हो गई. भारत-पाक विभाजन की यह घटना सदी की सबसे बड़ी त्रासदी में बदल गई. यह केवल किसी देश की भौगोलिक सीमा का बंटवारा नहीं बल्कि लोगों के दिलों और भावनाओं का भी बंटवारा था. बंटवारे का यह दर्द गाहे-बगाहे हरा होता रहता है. विभाजन विभीषिका स्मृति दिवस इसी दर्द को याद करने का दिन है.

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