क्या इंदिरा गांधी की वजह से हंसराज खन्ना देश के मुख्य न्यायाधीश नहीं बन पाए थे?

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श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क

जस्टिस संजीव खन्ना भारत के नए प्रधान न्यायाधीश बन गए हैं।  राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु ने उन्हें पद और गोपनीयता की शपथ दिलाई। सीजेआई के रूप में जस्टिस खन्ना का कार्यकाल करीब छह महीने का होगा। वह 13 मई, 2025 को सेवानिवृत होंगे।

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी, कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे सहित अनेक महत्वपूर्ण हस्तियों ने उन्हें बधाई दी। वह दिल्ली हाई कोर्ट के पूर्व न्यायाधीश जस्टिस देव राज खन्ना के पुत्र और सुप्रीम कोर्ट के पूर्व न्यायाधीश जस्टिस हंसराज (एचआर) खन्ना के भतीजे हैं।

इंदिरा सरकार ने नहीं बनने दिया था सीजेआई
जस्टिस एचआर खन्ना भी वरिष्ठता के मुताबिक भारत के प्रधान न्यायाधीश बनते, लेकिन तत्कालीन इंदिरा गांधी सरकार ने उन्हें प्रधान न्यायाधीश नियुक्ति नहीं किया था और उनसे जूनियर न्यायाधीश एमएच बेग को भारत का सीजेआई बना दिया था। इसके विरोध में जस्टिस एचआर खन्ना ने 1977 में सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश पद से इस्तीफा दे दिया था।

जस्टिस खन्ना भारत के 51वें प्रधान न्यायाधीश हैं। जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ के 10 नवंबर को सेवानिवृत होने के बाद जस्टिस खन्ना ने नए प्रधान न्यायाधीश के रूप में पदभार संभाला है। जस्टिस खन्ना 18 जनवरी 2019 को दिल्ली हाई कोर्ट से सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश प्रोन्नत हुए थे।
जिला अदालत से शुरू की वकालत

14 मई 1960 को जन्में जस्टिस संजीव खन्ना 1983 में दिल्ली बार काउंसिल में अधिवक्ता के रूप में पंजीकृत हुए और शुरुआती वकालत दिल्ली की तीस हजारी जिला अदालत से शुरू की। बाद में दिल्ली हाई कोर्ट और ट्रिब्यूनल्स में भी विभिन्न कानूनी मुद्दों और संवैधानिक सवालों, टैक्स से जुड़े मसलों पर वकालत की।
जस्टिस संजीव खन्ना 2005 में दिल्ली हाई कोर्ट में न्यायाधीश नियुक्त हुए और 2006 में हाई कोर्ट के स्थायी जज बने। वह 18 जनवरी 2019 को सुप्रीम कोर्ट में प्रोन्नत हुए। सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश के तौर पर जस्टिस संजीव खन्ना ने कई ऐतिहासिक फैसले दिए।
ये रहे बड़े फैसले
इनमें जम्मू कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाने को सही ठहराया, ईवीएम में गड़बड़ियों के आरोपों को खारिज करना और दिल्ली के पूर्व मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को चुनाव प्रचार के लिए अंतरिम जमानत देना आदि शामिल हैं। यहां बता दें कि न्यायमूर्ति संजीव खन्ना के चाचा न्यायमूर्ति एचआर खन्ना आपातकाल के दौरान एडीएम जबलपुर मामले में असहमतिपूर्ण फैसला लिखने के बाद इस्तीफा देकर सुर्खियों में आए थे।

आपातकाल के दौरान मौलिक अधिकारों को रद्द किए जाने को बरकरार रखने वाले संविधान पीठ के बहुमत के फैसले को न्यायपालिका पर एक काला धब्बा माना गया। न्यायमूर्ति एचआर खन्ना ने इस कदम को असंवैधानिक और न्याय के विरुद्ध घोषित किया और इसकी कीमत उन्हें तब चुकानी पड़ी, जब तत्कालीन इंदिरा गांधी सरकार ने उन्हें दरकिनार कर न्यायमूर्ति एमएच बेग को अगला प्रधान न्यायाधीश बना दिया। न्यायमूर्ति एचआर खन्ना 1973 के केशवानंद भारती मामले में मूल संरचना सिद्धांत को प्रतिपादित करने वाले ऐतिहासिक फैसले का भी हिस्सा थे।

चीफ जस्टिस खन्ना ने पहले दिन की 45 मामलों की सुनवाई
चीफ जस्टिस संजीव खन्ना ने अपने कार्यकाल के पहले दिन 45 मामलों की सुनवाई की और वकीलों तथा बार सदस्यों को शुभकामनाएं देने के लिए धन्यवाद दिया। शपथ लेने के बाद जस्टिस खन्ना दोपहर को सीजेआई कोर्ट में दाखिल हुए। पूर्व अटार्नी जनरल और वरिष्ठ अधिवक्ता मुकुल रोहतगी सहित बार सदस्यों, वकीलों ने उनका जोरदार स्वागत किया। नए सीजेआई ने उनका आभार जताया। इससे पूर्व उनके शपथ ग्रहण समारोह में उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़, प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी, पूर्व सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, केंद्रीय कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल और पूर्व प्रधान न्यायाधीश जेएस खेहर भी मौजूद रहे।

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