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भारत से बातचीत के लिये हमें ट्रांसलेटर की आवश्यकता नहीं-पुतिन - श्रीनारद मीडिया

भारत से बातचीत के लिये हमें ट्रांसलेटर की आवश्यकता नहीं-पुतिन

भारत से बातचीत के लिये हमें ट्रांसलेटर की आवश्यकता नहीं- पुतिन
श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने दोहराया है कि रूस और यूक्रेन के बीच युद्ध का हल शांति से ही निकलेगा। उन्होंने यह बात कजान शहर में रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के साथ हुई द्विपक्षीय मुलाकात के दौरान कही। प्रधानमंत्री ने कहा कि रूस और यूक्रेन के बीच जारी युद्ध का हल शांतिपूर्ण तरीके से ही होना चाहिए और भारत इसमें हरसंभव मदद देने को तैयार है।

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रूस और यूक्रेन के बीच संघर्ष

द्विपक्षीय बैठक में अपने शुरुआती भाषण में प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि रूस और यूक्रेन के बीच चल रहे संघर्ष के विषय पर हम लगातार संपर्क में रहे हैं। हमारा मानना है कि समस्याओं का समाधान शांतिपूर्ण तरीके से ही होना चाहिए। शांति और स्थिरता की जल्द से जल्द बहाली का हम पूरी तरह से समर्थन करते हैं। हमारे सभी प्रयास मानवता को प्रमुखता देते हैं। आने वाले समय में भी भारत हरसंभव सहयोग देने के लिए तैयार है।

शांति बहाली की मांग

वहां राष्ट्रपति जेलेंस्की के साथ बातचीत में मोदी ने कहा था कि जारी युद्ध को समाप्त करने के लिए यूक्रेन और रूस को बिना समय बर्बाद किए एक साथ बैठना चाहिए और क्षेत्र में शांति बहाली के लिए भारत सक्रिय भूमिका निभाने के लिए तैयार है। भारत लगातार कहता रहा है कि यूक्रेन संघर्ष का समाधान वार्ता और कूटनीति से किया जाना चाहिए।पुतिन ने यह भी कहा, ‘जुलाई में हमारी मुलाकात हुई थी और कई मुद्दों पर हमारी बहुत अच्छी चर्चा हुई थी। हमने कई बार टेलीफोन पर भी बात की। कजान आने का निमंत्रण स्वीकार करने के लिए मैं आपका बहुत आभारी हूं।’ उन्होंने कहा कि रूस-भारत संबंधों की विशेषता ‘विशेषाधिकार प्राप्त रणनीतिक साझेदारी’ है और यह लगातार विकसित और मजबूत हो रही है। हमारे विदेश मंत्री लगातार संपर्क में हैं। व्यापार कारोबार अच्छी स्थिति में है। अंतर-सरकारी आयोग की अगली बैठक 12 नवंबर को नई दिल्ली में होने वाली है।

कजान में भारत ने नया वाणिज्य दूतावास खोला है। इसके लिए प्रधानमंत्री मोदी ने पुतिन को धन्यवाद देते हुए कहा कि इसके खुलने से दोनों देशों के संबंध और मजबूत होंगे।

हमारे रिश्ते ऐसे कि अनुवादक की जरूरत नहीं: पुतिन

भारत और रूस के बीच घनिष्ठ संबंधों और प्रधानमंत्री के साथ व्यक्तिगत तालमेल को दर्शाते हुए राष्ट्रपति पुतिन ने द्विपक्षीय बैठक के दौरान कहा, ‘हमारे बीच ऐसा रिश्ता है कि मुझे लगता है कि मेरी बात को समझने के लिए आपको किसी अनुवादक की जरूरत नहीं है।’ प्रधानमंत्री मोदी भी उनकी रूसी भाषा में की गई इस बात का हिंदी अनुवाद सुनकर मुस्कुरा दिए।

प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि भारत में GIFT सिटी के खुलने से इस बैंक को मजबूती मिली है। NDB को मांग-संचालित सिद्धांत पर काम करना जारी रखना चाहिए और बैंक का विस्तार करते समय दीर्घकालिक वित्तीय स्थिरता, स्वस्थ क्रेडिट रेटिंग और बाजार पहुंच सुनिश्चित करने को प्राथमिकता देनी चाहिए।

आर्थिक सहयोग को मिलेगा बल

16वें ब्रिक्स शिखर सम्मेलन के बंद पूर्ण सत्र को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा, इस वर्ष ब्रिक्स में डब्ल्यूटीओ सुधार, कृषि में व्यापार सुविधा, लचीलापन आपूर्ति श्रृंखला और ई-कॉमर्स और विशेष अर्थव्यवस्था क्षेत्र को लेकर जो सहमति बनेगी, उससे हमारे आर्थिक सहयोग को बल मिलेगा।’

डीप फेक जैसी नई चुनौतियां

  • पीएम मोदी ने कहा कि ब्रिक्स शिखर सम्मेलन ऐसे समय में हो रहा है जब दुनिया युद्ध, संघर्ष, आर्थिक अनिश्चितता और जलवायु परिवर्तन जैसी कई चुनौतियों से घिरी हुई है।
  • दुनिया में उत्तर-दक्षिण और पूर्व-पश्चिम विभाजन की बात हो रही है…और, तकनीक के युग में साइबर सुरक्षा, डीप फेक, दुष्प्रचार जैसी नई चुनौतियां सामने आई हैं।
  • ऐसे में ब्रिक्स से काफी उम्मीदें हैं। मेरा मानना ​​है कि एक विविध और समावेशी मंच के रूप में ब्रिक्स सभी मुद्दों पर सकारात्मक भूमिका निभा सकता है। इस संदर्भ में हमारा दृष्टिकोण जन-केंद्रित रहना चाहिए।

आने वाली पीढ़ी के लिए करना होगा काम

प्रधानमंत्री ने कहा कि हमें दुनिया को यह संदेश देना चाहिए कि ब्रिक्स विभाजनकारी नहीं बल्कि जनहित समूह है। हम युद्ध का नहीं, संवाद और कूटनीति का समर्थन करते हैं। जिस तरह हमने मिलकर कोविड जैसी चुनौती को हराया, उसी तरह हम आने वाली पीढ़ी के लिए सुरक्षित, मजबूत और समृद्ध भविष्य के लिए नए अवसर पैदा करने में पूरी तरह सक्षम हैं। इसी तरह हमें साइबर सुरक्षा और सुरक्षित एआई के लिए वैश्विक नियमों के लिए काम करना चाहिए। 

आतंकवाद पर कसनी होगी नकेल

प्रधानमंत्री ने कहा कि सभी ब्रिक्स देशों को आतंकवाद से निपटने के लिए मजबूती से सहयोग करना चाहिए। आतंकवाद और आतंकी वित्तपोषण से निपटने के लिए हम सभी को एकजुट होना होगा और मजबूती से सहयोग करना होगा। ऐसे गंभीर मुद्दे पर दोहरे मापदंड के लिए कोई जगह नहीं है। हमें अपने देशों के युवाओं में कट्टरपंथ को रोकने के लिए सक्रिय कदम उठाने चाहिए। हमें संयुक्त राष्ट्र में अंतर्राष्ट्रीय आतंकवाद पर व्यापक सम्मेलन के लंबित मुद्दे पर मिलकर काम करना होगा।

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