गांव में एक साथ चार अर्थियां उठने से पसरा मातम.

गांव में एक साथ चार अर्थियां उठने से पसरा मातम.

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श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क

बिहार में छपरा के बनियापुर प्रखंड के करही चंवर में कार पलटने से बारात जा रहे चार युवकों की मौत हो गई। युवकों की मौत से उनके परिवार पर दुखों का पहाड़ टूट गया। वहीं, बनियापुर के सिहोरिया गांव में एक साथ चार अर्थियां उठने से मातम पसरा हुआ है।

मृतकों में शामिल धूमन घर का इकलौता चिराग था और अपने माता-पिता के बुढ़ापे का सहारा। जबकि अभिषेक के पिता की छह महीने पहले हुई मौत के बाद पूरे परिवार का बोझ उसके कंधे पर था। वहीं, अंकित की नौकरी लगने से उसके गरीब परिवार के हालात ठीक होने लगे थे। उसके ऊपर छोटे भाई को पढ़ाने की जिम्मेदारी थी। जबकि मृतकों में शामिल सुमंत घर सबसे छोटा और लाड़ला था। सेना में रहे उसके पिता उसे अधिकारी बनाना चाहते थे।

धूमन ओझा की फाइल फोटो।
धूमन ओझा की फाइल फोटो।

डूबा एकलौता चिराग
मृतकों में शामिल धूमन ओझा (21) पिता रघुनंदन ओझा अपने परिवार का इकलौता पुत्र था। दो बहनों के बीच एक भाई धूमन के मौत से पूरा परिवार टूट चुका है। उसके मौत से माता-पिता के बुढ़ापे का सहारा छिन गया है। मां एक बात कहकर बार-बार रो रही…रात को ही लौट आने का वादा कर हमेशा के लिए छोड़ गया मेरा लाल। वहीं, उसके बीमार पिता बेटे के मौत की खबर सुन बार-बार बेसुध हो जा रहे थे। धूमन अपने पिता के साथ ईंट भट्ठा के व्यवसाय में उनका हाथ बंटाता था।

अभिषेक कुमार की फाइल फोटो।
अभिषेक कुमार की फाइल फोटो।

पिता की मौत के छह महीने बाद बेटे की मौत
मृतकों में शामिल अभिषेक कुमार (23) की मौत के बाद सभी लोग मर्माहत हैं। मृतक अभिषेक के पिता राम बालक सिंह की मृत्यु कुछ दिन पूर्व में ही हुई थी। पिता की मृत्यु के बाद पूरे परिवार का बोझ अभिषेक के कंधों पर था। स्थानीय लोगों ने बताया कि अभिषेक के पिता रामबालक सिंह गंभीर बीमारी से लंबे दिन तक बीमार रहे थे। उपचार के दौरान मोटी रकम की खर्च हुई थी।

पिता के उपचार में खर्च के बाद परिवार आर्थिक तंगी से गुजर रहा था। इसी बीच अभिषेक की भी मौत ने परिवार को तोड़ दिया है। परिवार को आर्थिक संकट से निकालने के लिए अभिषेक दिल्ली के एक प्राइवेट कंपनी में नौकरी कर रहा था। दोस्त की शादी के लिए 7 दिन की छुट्‌टी में गांव आया था।

अंकित कुमार की फाइल फोटो।
अंकित कुमार की फाइल फोटो।

छोटे भाई को पढ़ाने की थी जिम्मेदारी
मृतकों में शामिल अंकित कुमार (23) के पिता राम प्रवेश सिंह गांव में बच्चों को ट्यूशन पढ़ा अपने परिवार का गुजारा करते हैं। अंकित ने इग्नू से BBA कर की थी। इसके बाद अंकित की कुछ साल पहले ही नौकरी लगी थी। अंकित की नौकरी से परिवार के हालात में सुधार होने लगा था। अंकित का एक छोटा भाई है। जिसे पढ़ाने की जिम्मेदारी उसने अपने ऊपर ले रखी थी। लेकिन इस घटना ने पूरे परिवार का सपना तोड़ दिया।

सुमंत ओझा की फाइल फोटो।
सुमंत ओझा की फाइल फोटो।

घर का लाडला सुमंत डूबा
मृतकों में शामिल अनिल ओझा के बेटे सुमंत ओझा (19) अपने 6 भाई-बहनों में से सबसे छोटा था। छोटा होने के नाते परिवार का सबसे लाड़ला था। उसकी मौत के बाद परिवार सदमे में है। पिता अनिल ओझा सेना से रिटायर्ड होने के बाद कुछ समय के लिए बिहार सैप में नौकरी कर रहे थे। लेकिन सेहत अच्छा नहीं होने से फिलहाल घर पर ही हैं। पिता का सपना था कि सुमंत को पढ़ा कर सेना का अधिकारी बनाए। सुमंत भी पढ़ने में अच्छा छात्र था।

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