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भूमि अभिलेखों के डिजिटलीकरण से जुड़ी चुनौतियाँ क्या है? - श्रीनारद मीडिया

भूमि अभिलेखों के डिजिटलीकरण से जुड़ी चुनौतियाँ क्या है?

भूमि अभिलेखों के डिजिटलीकरण से जुड़ी चुनौतियाँ क्या है?

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श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क

भारत की राष्ट्रपति ने केंद्रीय ग्रामीण विकास मंत्रालय द्वारा आयोजित एक समारोह में “भूमि सम्मान” 2023 प्रदान किया।

भूमि सम्मान:

  • ‘भूमि सम्मान’ डिजिटल इंडिया भूमि रिकॉर्ड आधुनिकीकरण कार्यक्रम (Digital India Land Records Modernization Programme- DILRMP) के कार्यान्वयन में राज्यों और ज़िलों की उपलब्धियों को पहचानने तथा प्रोत्साहित करने के लिये केंद्रीय ग्रामीण विकास मंत्रालय द्वारा शुरू की गई एक प्रतिष्ठित पुरस्कार योजना है।
  • यह पुरस्कार भारत के राष्ट्रपति द्वारा उन राज्य सचिवों और ज़िला कलेक्टरों को उनकी टीमों के साथ प्रदान किया जाता है जिन्होंने DILRMP के मुख्य घटकों की परिपूर्णता में उत्कृष्ट प्रदर्शन किया है, जैसे:
    • भूमि अभिलेखों का कंप्यूटरीकरण
    • भूसंपत्ति मानचित्रों का डिजिटलीकरण
    • पाठ्यचर्या और स्थानिक डेटा का एकीकरण
    • आधुनिक तकनीक का उपयोग कर सर्वेक्षण/पुनः सर्वेक्षण
    • पंजीकरण का कंप्यूटरीकरण
    • पंजीकरण और भूमि अभिलेखों के बीच अंतर-संचालनीयता

नोट: ग्रामीण विकास मंत्रालय के अंतर्गत डिजिटल इंडिया भूमि रिकॉर्ड आधुनिकीकरण कार्यक्रम (तत्कालीन राष्ट्रीय भूमि रिकॉर्ड आधुनिकीकरण कार्यक्रम) को 1 अप्रैल, 2016 से केंद्र द्वारा 100% वित्तपोषण के साथ केंद्रीय क्षेत्र योजना के रूप में संशोधित और परिवर्तित किया गया था।

भूमि अभिलेखों के डिजिटलीकरण से लाभ: 

  • पारदर्शिता और जवाबदेही: भूमि अभिलेखों के डिजिटलीकरण से लेन-देन में पारदर्शिता बढ़ती है, जिससे भूमि से संबंधित अनैतिक और अवैध गतिविधियों की गुंजाइश कम हो जाती है।
  • आपदा प्रबंधन: डिजिटल रिकॉर्ड बाढ़ और आग जैसी प्राकृतिक आपदाओं के प्रति अधिक अनुकूल हैं जिससे भूमि संबंधी आवश्यक दस्तावेज़ों को नुकसान से बचाया जा सकता है।
  • भूमि पार्सल पहचान संख्या: आधार कार्ड के समान, डिजिटल इंडिया भूमि सूचना प्रबंधन प्रणाली के तहत प्रदान की गई विशिष्ट भूमि पार्सल पहचान संख्या कुशल भूमि उपयोग की अनुमति देती है तथा नई कल्याणकारी योजनाओं के निर्माण एवं कार्यान्वयन को सक्षम बनाती है।
  • भूमि विवादों का समाधान: स्वतंत्र एवं सुविधाजनक तरीके से भूमि संबंधी जानकारी तक पहुँच स्वामित्व और भूमि-उपयोग विवादों को हल करने में सहायता करती है जिससे प्रशासन और न्यायपालिका पर बोझ कम होता है।

भूमि अभिलेखों के डिजिटलीकरण से संबंधित चुनौतियाँ:

  • खंडित भूमि रिकॉर्ड: भारत में भूमि रिकॉर्ड विभिन्न स्तरों पर अनेक प्राधिकरणों द्वारा तैयार किये जाते हैं जिसमें गाँव, ज़िला और राज्य शामिल हैं।
    • इन अभिलेखों के बीच एकरूपता एवं एकीकरण की कमी उन्हें केंद्रीकृत और डिजिटलीकृत करने में कठिनाइयाँ उत्पन्न कर सकती है।
  • तकनीकी अवसंरचना एवं कनेक्टिविटी: डिजिटलीकरण के लिये हार्डवेयर, सॉफ्टवेयर और इंटरनेट कनेक्टिविटी सहित पर्याप्त तकनीकी अवसंरचना की आवश्यकता होती है।
    • ग्रामीण क्षेत्रों में जहाँ अधिकांश भूमि स्थित है, वहाँ बुनियादी ढाँचे की उपलब्धता सीमित हो सकती है, जिससे डिजिटलीकरण प्रक्रिया में बाधा उत्पन्न हो सकती है।
  • डेटा सुरक्षा एवं गोपनीयता: भूमि अभिलेखों में संवेदनशील व्यक्तिगत और संपत्ति-संबंधी जानकारी होती है।
    • डिजिटलीकरण में डेटा की सुरक्षा और गोपनीयता सुनिश्चित करना, अनधिकृत पहुँच तथा दुरुपयोग को रोकना भी महत्त्वपूर्ण है।

आगे की राह 

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