युवाओं में बढ़ता नशा क्या घातक हैं?
आसानी से मिल जाती है स्मैक की पुडिय़ा,कुछ दिनों में हो जाते है नशे के आदि
श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क
साल दर साल दुनियाभर में अवैध ड्रग्स के इस्तेमाल और व्यापार दोनों में तेजी से बढ़ोतरी हो रही है। भारत में भी बड़ी संख्या में युवा नशीले पदार्थों के शिकार हो रहे हैं। संसद में एक सवाल के जवाब में सरकार की ओर से दिए गए जवाब में बताया गया कि सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय ने वर्ष 2018 के दौरान एम्स नई दिल्ली के नेशनल ड्रग डिपेंडेंस ट्रीटमेंट सेंटर के जरिए देश में मादक पदार्थों के इस्तेमाल की सीमा और पैटर्न के संबंध में व्यापक राष्ट्रीय सर्वेक्षण किया है।
सर्वेक्षण की रिपोर्ट के मुताबिक 10 से 17 साल युवाओं में भांग कोकीन और ओपीओइड का काफी इस्तेमाल हो रहा है। वर्ल्ड ड्रग्स रिपोर्ट (World Drug Report) 2020 के आंकड़ों की मानें तो 2018 में दुनियाभर में 15 से 64 साल के आयु वर्ग में 26.9 करोड़ लोग ड्रग्स के शिकार हैं। ये आकंड़ा पूरी दुनिया के इस आयु वर्ग का कुल जनसंख्या के 5.4 फीसदी है। रिपोर्ट के मुताबिक 2030 तक इस जनसंख्या में लगभग 11% वृद्धि होगी और यह संख्या 29.9 करोड़ हो जाएगी।
सरकार की ओर से दी गई जानकारी के मुताबिक नशे के आदी हो चुके लोगों की मदद के लिए सरकार की ओर से कई तरह के कदम उठाए गए हैं। सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय मादक पदार्थों का इस्तेमाल करते वाले व्यक्तियों को परामर्श प्रदान करने और उन्हें करीबी नशामुक्ति केंद्र में भेजने के लिए एक राष्ट्रीय टोल फ्री हेल्पलाइन 14446 चला रही है।
सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय ने वर्ष 2018 के दौरान एम्स नई दिल्ली के नेशनल ड्रग डिपेंडेंस ट्रीटमेंट सेंटर के जरिए देश में मादक पदार्थों के इस्तेमाल की सीमा और पैटर्न के संबंध में व्यापक राष्ट्रीय सर्वेक्षण किया है।
आसानी से मिल जाती है स्मैक की पुडिय़ा
शहरके युवाओं के लिए स्मैक खरीदना आसान सी बात है, लेकिन कानून व्यवस्था से जुड़ी पुलिस को इसकी भनक तक नहीं कि अवैध स्मैक का कारोबार शहर में कहां और किस तरह हो रहा है। उपखंड क्षेत्र के हर गांवों में युवाओं स्मैक तस्कर खुलेआम स्मैक बेचते है। एवं अब स्थिति यह बन गई है कि शहर के मुख्य बाजार चौराहों पर भी खुलेआम स्मैक की पुडिय़ां बिकने लगी है। जो 1 ग्राम स्मैक 1500 रुपए में खरीद होती है, जो 4 हजार रुपए तक बिकती है।
शहर की रगों में नशा बसता जा रहा है। दिनों दिन नशे की जड़ें मजबूत होती जा रही हैं। कभी चोरी छिपे बिकने वाले नशे का सामान, आज धड़ल्ले से बिक रहा है। स्मैक के धुएं से जवानी सुलग रही और नशीले इंजेक्शन नशों में उतारे जा रहे हैं। शहर की गली-गली में नशे के दीवाने झूमते दिख रहे हैं। सुनसान स्थानों पर स्मैक और नशीले इंजेक्शन लगाते देखे जा सकते हैं। नशे के आदी युवाओं की बर्बादी का मंजर खुलेआम शहर में चलता जा रहा है। वही शहर में सबसे ज्यादा युवाओं के अंदर स्मैक का नंशा फैल रहा है। जो युवाओं के परिवारों को बर्बादी की ओर ले जा रहा है। कई स्थानों पर हो रही स्मैक की बिक्री युवाओं को बर्बाद कर रही है। महंगा नशा नशेड़ी के साथ ही पूरे परिवार को तबाह कर रहा है। नशे की चपेट में आए युवा 50 रुपए से लेकर 100 रुपए तक स्मैक की एक खुराक पीते पीते सब कुछ लुटने के बाद 10 रुपए के इंजेक्शन और नशीली गोलियों से नशे की प्यास शांत कर रहे हैं।
कुछ दिनों में हो जाते है नशे के आदि
स्मैकका नशा युवाओं के दिलो दिमाग पर इस कदर छा जाता है कि 15 दिन में ये इसके आदी हो जाते हैं। इसकी तलब मिटाने के लिए स्मैकची को जैसे-तैसे स्मैक का जुगाड़ करना पड़ता है। स्मैक नहीं मिलने पर युवाओं में गुस्सा होना, झगड़ा करना इत्यादि आदतें सामान्य हो जाती है। ऐसे में महंगे नशे का शौक पूरा करने के लिए कई युवा अपराध की राह चुन रहे हैं। शहर में स्मैक के आदी कई युवा वर्तमान में भीलवाड़ा जोधपुर के नशामुक्ति केन्द्र में उपचार ले रहे हैं।
सर्वेक्षण की रिपोर्ट के मुताबिक नशीले पदार्थ का नाम- उम्र 10 से 17 साल- उम्र 18 से 75 साल
इस्तेमाल करने वालों की संख्या इस्तेमाल करने वालों की संख्या
भांग 20,00,000 2,90,18,000
ओपीओइड 40,00,000 1,86,44,000
कोकीन 2,00,000 9,40,000
देशभर में 2017 से 2021 के बीच सरकारी संस्थाओं द्वारा पकड़ी गई ड्रग्स (मात्रा किलो में है)
ड्रग्स 2017 2018 2019 2020 2021
मॉरफिन 449 20 125 11 115
हिरोइन 2146 1258 3321 3835 2865
गांजा 352539 319275 342045 560031 299436
कोकीन 69 35 66 18 8
मेथक्कालोन 124 101 49 10 0
एफेड्रिन 2990 337 686 841 70
ओपीएम 2551 4307 4488 5204 261
वहीं 8000 से अधिक युवा स्वयंसेवकों को शामिल करते हुए एक वृहद सामुदायिक आउटरीच कार्यक्रम के साथ 272 सबसे संवेदनशील जिलों में नशा मुक्त भारत अभियान शुरू किया गया है। अभियान के तहत लगभग तीन करोड़ से ज्यादा युवाओं को जोड़ा गया है। सरकार 350 एकीकृत पुनर्वास केंद्रों का रखरखाव कर रही है जो न केवल मादक पदार्थों का सेवन करने वालों का इलाज करते हैं बल्कि प्रेरक परामर्श के बाद देखभाल और समाज की मुख्य धारा से जोड़ने का काम भी कर रहे हैं। सरकारी अस्पतालों में नशा करने वाले लोगों के इलाज के लिए 38 ट्रीटमेंट सेंटर बनाए गए हैं।
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