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भारत और फ्राँस के बीच सहयोग के प्रमुख क्षेत्र क्या है? - श्रीनारद मीडिया

भारत और फ्राँस के बीच सहयोग के प्रमुख क्षेत्र क्या है?

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श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क

भारत-फ्राँस सामरिक वार्ता के दौरान फ्राँसीसी राष्ट्रपति ने राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (NSA) अजीत डोभाल के साथ बैठक में भारत के शांति प्रयासों की प्रशंसा की तथा वैश्विक कूटनीति में भारत की भूमिका पर प्रकाश डाला।

  • वार्ता राफेल-एम लड़ाकू विमानों की लागत में उल्लेखनीय कमी लाने तथा सैन्य क्षमताओं को बढ़ाने पर भी केंद्रित थी।

इस यात्रा की मुख्य बातें क्या हैं?

  • होराइज़न 2047 के प्रति प्रतिबद्धता:
    • NSA ने होराइज़न 2047 पहल के प्रति भारत की प्रतिबद्धता दोहराई, जिसका उद्देश्य भारत-फ्राँस संबंधों को मज़बूत करना है।
  • शांति पहल:
    • फ्राँसीसी राष्ट्रपति ने शांति को स्थापित करने में भारत और फ्राँस के प्रयासों के महत्त्व को स्वीकार किया, विशेष रूप से रूस-यूक्रेन संघर्ष और नई दिल्ली की मध्यस्थता की भूमिका के संबंध में।
  • द्विपक्षीय रक्षा एवं अंतरिक्ष सहयोग:
    • फ्राँसीसी सशस्त्र बल के साथ वार्ता में द्विपक्षीय रक्षा संबंधों को मज़बूत करने और अंतरिक्ष सहयोग का विस्तार करने पर ध्यान केंद्रित किया गया।
    • मुख्य चर्चाओं में राफेल मरीन जेट, स्कॉर्पीन पनडुब्बियाँ और राफेल जेट में स्वदेशी हथियारों के एकीकरण पर चर्चा हुई।
  • होराइजन 2047: यह वर्ष 2047 तक सभी क्षेत्रों में फ्राँस-भारत संबंधों के लिये रोडमैप की रूपरेखा पर केंद्रित है; इस वर्ष भारत की स्वतंत्रता के 100 वर्ष, राजनयिक संबंधों की एक शताब्दी तथा भारत-फ्राँस रणनीतिक साझेदारी के 50 वर्ष पूरे होंगे।
  • इस विज़न दस्तावेज़ का उद्देश्य रक्षा, अंतरिक्ष, असैन्य परमाणु ऊर्जा, नवीकरणीय संसाधन, साइबरस्पेस, डिजिटल प्रौद्योगिकी, आतंकवाद-रोधी, समुद्री सुरक्षा, संयुक्त रक्षा अभ्यास और नीली अर्थव्यवस्था में सहयोग बढ़ाना है।

भारत और फ्राँस के बीच सहयोग के प्रमुख क्षेत्र कौन-कौन से हैं?

  • रणनीतिक साझेदारी:
    • भारत और फ्राँस के बीच गहन सांस्कृतिक, व्यापारिक और आर्थिक संबंध हैं।
    • वर्ष 1998 में स्थापित रणनीतिक साझेदारी को गति मिली है तथा सहयोग के विभिन्न क्षेत्रों को शामिल करते हुए घनिष्ठ, बहुआयामी संबंध विकसित हुए हैं।
  • रक्षा साझेदारियाँ:
    • राफेल सौदे से लेकर 26 मरीन विमानों की खरीद तक, फ्राँस ने भारत को अपनी कुछ शीर्ष रक्षा प्रणालियों में शामिल किया है।
    • फ्राँस द्वारा प्रौद्योगिकी हस्तांतरण से भारत को पहले ही छह स्कॉर्पीन श्रेणी की पनडुब्बियाँ बनाने में मदद मिली है तथा अब तीन और पनडुब्बियां खरीदी जा रही हैं।
    • संयुक्त अभ्यास: अभ्यास शक्ति (सेना)अभ्यास वरुण (नौसेना)अभ्यास गरुड़ (वायु सेना)
  • असैन्य परमाणु सहयोग: भारत और फ्राँस ने वर्ष 2008 में असैन्य परमाणु सहयोग समझौते पर हस्ताक्षर किये थे। फ्राँस जैतापुर परमाणु विद्युत परियोजना के विकास में शामिल है, हालाँकि प्रारंभिक समझौते के बाद से प्रगति धीमी रही है।
    • इसके अतिरिक्त दोनों देश शोर्ट मॉड्यूलर रिएक्टर (SMR) और उन्नत मॉड्यूलर रिएक्टर (AMR) पर साझेदारी करने पर सहमत हुए हैं।
  • समुद्री और सामुद्रिक सहयोग: भारत-फ्राँस समुद्री सहयोग नीली अर्थव्यवस्था और महासागरीय शासन पर भारत-फ्राँस रोडमैप द्वारा निर्देशित है, जिसे वर्ष 2022 में अपनाया गया था।
  • आर्थिक सहयोग:
    • फ्राँस भारत के लिये FDI (प्रत्यक्ष विदेशी निवेश) का एक प्रमुख स्रोत बन गया है, जहाँ 1,000 से अधिक फ्राँसीसी कंपनियाँ कार्यरत हैं।
    • DPIIT के आँकड़ों के अनुसार, अप्रैल 2000 से दिसंबर 2023 तक 10.84 बिलियन अमेरिकी डॉलर (कुल FDI का 1.63%) का योगदान देकर यह 11वें सबसे बड़े विदेशी निवेशक के रूप में रैंक साझा करता है।

भारत-फ्राँस संबंधों में चुनौतियाँ क्या हैं?

  • FTA में ठहराव:
    • फ्राँस और भारत के बीच FTA (मुक्त व्यापार समझौता) का अभाव उनकी व्यापार क्षमता को अधिकतम करने में बाधा उत्पन्न करता है।
  • भिन्न रक्षा एवं सुरक्षा संबंधी प्राथमिकताएँ:
    • मज़बूत रक्षा साझेदारी के बावज़ूद, अलग-अलग प्राथमिकताएँ सहयोग को प्रभावित कर सकती हैं। भारत का क्षेत्रीय दृष्टिकोण और गुटनिरपेक्ष रुख कभी-कभी फ्राँस के वैश्विक हितों के साथ टकराव में आ जाता है। उदाहरण के लिये रूस-यूक्रेन संघर्ष पर भिन्न रुख।
  • बौद्धिक संपदा अधिकार संबंधी चिंताएं:
    • फ्राँस ने भारत के अपर्याप्त बौद्धिक संपदा संरक्षण पर चिंता व्यक्त की है, जो फ्राँसीसी व्यवसायों को प्रभावित करता है और द्विपक्षीय व्यापार के लिये गैर-अनुकूल माहौल उत्पन्न करता है।
  • मानव तस्करी की चिंताएँ:
    • निकारागुआ विमान द्वारा मानव तस्करी की घटना जैसे मामले अंतर्राष्ट्रीय अपराधों से निपटने और व्यक्तिगत सुरक्षा सुनिश्चित करने में मज़बूत सहयोग की आवश्यकता को उज़ागर करते हैं।
  • वीज़ा संबंधी बाधाएँ:
    • भारत में संवाददाताओं ने विरोध पत्र के माध्यम से अपनी चिंता व्यक्त की, तथा कहा कि हाल के वर्षों में उन्हें सख्त वीज़ा प्रतिबंधों का सामना करना पड़ रहा है, जिसके परिणामस्वरूप रिपोर्टिंग और कवरेज़ में चुनौतियाँ आ रही हैं।
  • फ्राँस में भारतीय उत्पादों के लिये बाधाएँ:
    • भारत को सैनिटरी और फाइटोसैनिटरी (SPS) उपायों के कारण फ्राँस को निर्यात करने में कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है, जो भारतीय उत्पादों को फ्राँसीसी बाज़ार में प्रवेश करने से हतोत्साहित कर सकता है।
  • भारत और फ्राँस अंतर्राष्ट्रीय व्यवस्था को आकार देने और निर्भरताओं को संतुलित करने के लिये सहयोग कर सकते हैं। इंडो-पैसिफिक ढाँचे ने उनके संबंधों को मज़बूत किया है, फ्राँस के पास अपने क्षेत्रों और ठिकानों के कारण हिंद महासागर की स्थिरता में महत्त्वपूर्ण हित हैं।
  • फ्राँस पहले से ही निजी और विदेशी निवेश में वृद्धि के साथ घरेलू हथियार उत्पादन का विस्तार करने की भारत की महत्त्वाकांक्षी योजनाओं में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है। चर्चा में कनेक्टिविटी, जलवायु परिवर्तन, साइबर सुरक्षा और विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी जैसे नए सहयोग क्षेत्रों को शामिल किया जाना आवश्यक है।
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