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छत्तीसगढ़ में विष्णुदेव साय के मुख्यमंत्री बनने के क्या कारण है? - श्रीनारद मीडिया

छत्तीसगढ़ में विष्णुदेव साय के मुख्यमंत्री बनने के क्या कारण है?

छत्तीसगढ़ में विष्णुदेव साय के मुख्यमंत्री बनने के क्या कारण है?

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श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क

छत्तीसगढ़ में आखिरकार भारतीय जनता पार्टी ने आदिवासी नेता को मुख्यमंत्री बना दिया है। शुरू से ही छत्तीसगढ़ की राजनीति में माना जा रहा था कि क्या छत्तीसगढ़ की राजनीति में साल 2023 के चुनाव के बाद जिस तरह से भारतीय जनता पार्टी को पूर्ण बहुमत मिला तो क्या छत्तीसगढ़ में आदिवासी मुख्यमंत्री होगा। अब इस पर अंतिम फैसला आ गया है और विधायक दल की बैठक में आदिवासी क्षेत्र से आने वाले विष्णुदेव साय को मुख्यमंत्री बना दिया गया है।

सरगुजा संभाग और आदिवासी बहुल इलाके से ही क्यों बना मुख्यमंत्री?

छत्तीसगढ़ की सरगुजा संभाग में 14 विधानसभा सीटें हैं और सरगुजा संभाग से जशपुर, अंबिकापुर,कोरबा से जुड़ी तीन विधानसभा सीटे भी आती है। विष्णुदेव साय को मुख्यमंत्री बनने के साथ ही भारतीय जनता पार्टी आदिवासियों को साधने की शुरुआत कर दी है। विष्णुदेव साय को मुख्यमंत्री बनने से सरगुजा संभाग समेत बस्तर संभाग और छत्तीसगढ़ प्रदेश के आदिवासियों को भाजपा अपने तरफ ला सकती है।

वही साल 2023 के विधानसभा के चुनाव में सरगुजा संभाग की सभी 14 सीटों पर जनता ने भारतीय जनता पार्टी के विधायक चुनकर विधानसभा भेजे हैं। एक यह भी मुख्य वजह है कि सरगुजा संभाग से आने वाले विष्णुदेव साय को छत्तीसगढ़ का पहले आदिवासी मुख्यमंत्री बनाया गया है। (हालांकि अजीत जोगी भी खुद को आदिवासी कहते थे लेकिन उनकी जाति पर सवाल और जाति निरस्त होने के कारण वह आदिवासी कास्ट की श्रेणी से हटा दिए गए उस लिहाज से विष्णु देव साय को पहला आदिवासी मुख्यमंत्री कहा जा सकता है)

विष्णुदेव साय को सीएम बनने से लोकसभा चुनाव में कितना पड़ेगा असर

देश में साल 2024 में लोकसभा के चुनाव होने हैं। छत्तीसगढ़ जनसंख्या का दूसरा सबसे बड़ा हिस्सा आदिवासी है। प्रदेश में 11 लोकसभा सीटें हैं जिनमें से ज्यादातर आदिवासी सीट है। इसके साथ ही पूरे देश भर में सबसे ज्यादा आदिवासी सीटों का होना माना जाता है। यही वजह है कि भारतीय जनता पार्टी ने देश के राष्ट्रपति के तौर पर आदिवासी चेहरे को आगे किया था। इस लिहाज से यह माना जा रहा है कि छत्तीसगढ़ में भी आदिवासी चेहरे को मुख्यमंत्री बनकर भाजपा देश भर में आदिवासी हितों को साधने बड़ा संदेश देने का काम की है।

इस ऐलान के बाद भाजपा ने एक साथ तीन कार्ड चल दिया है।भाजपा ने विष्णुदेव साय को सीएम बनाया है। साय राज्य के एक बड़े आदिवासी नेता हैं। वो राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के करीबी भी हैं। चार बार विधायक रहे साय की छवि एक शालीन नेता के तौर पर है। एक दिलचस्प बात यह है कि साल 2019 के लोकसभा चुनाव में साय को टिकट नहीं मिला था, लेकिन 2023 में उन्हें सीएम की कुर्सी मिल गई है। राज्य में आदिवासियों की संख्या 30 फीसदी से ज्यादा है, वहीं विष्णुदेव साय राज्य के पहले आदिवासी सीएम भी हैं। पार्टी और संगठन में साय की अच्छी पकड़ है।

कट्टर हिंदू की छवि वाले विजय शर्मा बने डिप्टी सीएम
भगवा दल ने विजय शर्मा को छत्तीसगढ़ का डिप्टी सीएम बनाया है। विजय शर्मा कवर्धा झंडा केस से सुर्खियों में आए थे। उनकी छवि एक कट्टर हिंदूवादी नेता के तौर पर है। इस चुनाव में शर्मा ने भूपेश बघेल के मंत्री मोहम्मद अकबर को बंपर वोटों से हराया है। दरअसल, साल 2021 के कवर्धा झंडा विवाद में विजय शर्मा को दो महीने जेल में भी रहना पड़ा था। इस घटना के बाद उनका नाम एक कट्टर हिंदूवादी चेहरे के तौर पर सामने आया है।

अनुभव के धनी हैं ओबीसी नेता अरुण साव
चुनाव नतीजे सामने आने के बाद जिस नाम की चर्चा सबसे ज्यादा सीएम पद के लिए थी वो अरुण साव ही हैं। भाजपा ने साव को राज्य का डिप्टी सीएम बनाया है। साव भाजपा के प्रदेशाध्यक्ष हैं। वो ओबीसी समुदाय से आते हैं। राज्य में ओबीसी की आबादी 40 फीसदी से ज्यादा है। दरअसल, मध्य प्रदेश से अलग होकर जब छत्तीसगढ़ नया राज्य बना तब अरुण साव ने भाजपा को एक मजबूत पार्टी बनाने में अहम भूमिका निभाई थी।

भाजपा ने चला मास्टर कार्ड
तीन दिसंबर के बाद से ही अटकलबाजियों का दौर जारी था। ऐसा माना जा रहा था कि भाजपा किसी नए चेहरे को सीएम बनाएगी, और हुआ भी ऐसा ही है। भाजपा ने बतौर मुख्यमंत्री एक बड़े आदिवासी चेहरे के नाम का ऐलान किया है। सरपंच बनकर राजनीति में एंट्री लेने वाले अनुभवि नेता विष्णुदेव साय को सीएम बनाया गया है। वहीं दो डिप्टी सीएम बनाकर भाजपा ने हिंदूवादी और ओबीसा कार्ड भी चला है। करीब पांच महीने बाद लोकसभा के चुनाव होने हैं। ऐसे में यह माना जा रहा है कि सूबे में भाजपा की यह तिकड़ी लोकसभा चुनाव में कमाल कर सकती है।

 

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