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दीनदयाल अंत्योदय योजना-राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन क्या है? - श्रीनारद मीडिया

दीनदयाल अंत्योदय योजना-राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन क्या है?

दीनदयाल अंत्योदय योजना-राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन क्या है?

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श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क

ग्रामीण विकास मंत्रालय के तहत दीनदयाल अंत्योदय योजना-राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन (DAY-NRLM) ने “संगठन से समृद्धि- किसी ग्रामीण महिला को पीछे नहीं छोड़ना (Sangathan Se Samridhhi– Leaving no Rural Woman Behind)” अभियान लॉन्‍च किया। इसका उद्देश्‍य स्वयं सहायता समूह (Self Help Groups- SHG) के अंतर्गत सभी कमज़ोर और सीमांत ग्रामीण परिवारों को लाना है।

संगठन से समृद्धि अभियान:

  • परिचय:
    • यह अभियान आज़ादी का अमृत महोत्‍सव समावेशी विकास के अंतर्गत लॉन्‍च किया गया है और इसका उद्देश्‍य पात्र ग्रामीण परिवारों की 10 करोड़ महिलाओं को संगठित करना है।
    • इसका उद्देश्‍य स्वयं सहायता समूह के अंतर्गत सभी कमज़ोर और सीमांत ग्रामीण परिवारों को लाना है, ताकि वे ऐसे कार्यक्रम के अंतर्गत प्रदान किये जा रहे लाभों को प्राप्त कर सकें।
    • यह अभियान 1.1 लाख स्वयं सहायता समूह बनाने की विचार के साथ सभी राज्‍यों में चलाया जाएगा। इसके तहत प्रस्तावित कार्य इस प्रकार हैं:
      • ग्राम संगठनों की सामान्‍य बैठकें आयोजित करना।
      • स्वयं सहायता समूह चैंपियनों द्वारा अनुभव साझा करते हुए परिवारों को इसमें शामिल करने के लिये प्रेरित करना।
      • सामूहिक संसाधन व्‍यक्ति अभियान (Community Resource Persondrives) का आयोजन
      • स्वयं सहायता समूह बैंक खाते खोलना तथा अन्‍य हितधारकों द्वारा संवर्द्धित SHG का सामान्‍य डाटाबेस तैयार करना।
  • ऐसे अभियान की आवश्यकता:
    • भारत की कुल आबादी का 65% ग्रामीण आबादी है और इन क्षेत्रों की महिलाओं को भारत को 5 ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था बनाने में महत्त्वपूर्ण योगदान प्रदान करने हेतु सभी संभव अवसर प्रदान करना महत्त्वपूर्ण है।
    • जब इतनी बड़ी संख्या में महिलाएँ SHG का हिस्सा बनेंगी, तो इसका देश के सकल घरेलू उत्पाद (GDP) पर काफी प्रभाव पड़ेगा।

महिला सशक्तीकरण में SHGs की भूमिका:

  • आर्थिक सशक्तीकरण:
    • SHGs महिला उद्यमियों को उनके व्यवसायों को बनाए रखने हेतु सूक्ष्म ऋण प्रदान करते हैं, साथ ही उनके लिये अधिक अभिकर्तृत्त्व एवं निर्णय लेने के कौशल विकसित करने हेतु एक बेहतर वातावरण भी बनाते हैं।
      • इंस्टीट्यूट फॉर फाइनेंशियल मैनेजमेंट एंड रिसर्च (IFMR) द्वारा वर्ष 2022 के एक अध्ययन के अनुसार, SHGs द्वारा सहायता प्राप्त महिलाओं की नियमित रूप से बचत करने की संभावना 10% अधिक थी, जिसके परिणामस्वरूप अगली पीढ़ी के लिये बेहतर भविष्य की दिशा में काम करते हुए आर्थिक सशक्तीकरण हुआ।
  • महिला उद्यमिता:
    • SHGs महिला उद्यमियों हेतु उद्यमशीलता प्रशिक्षण, आजीविका संवर्द्धन एवं सामुदायिक विकास से लेकर अन्य सेवाएँ भी प्रदान करते हैं।
    • अकेले महाराष्ट्र में 527,000 SHGs हैं, जो भारत में महिलाओं के नेतृत्त्व वाली सभी छोटे पैमाने की औद्योगिक इकाइयों का 50% से अधिक हिस्सा है।
      • यह एक स्पष्ट संकेत है कि SHGs महिला उद्यमिता के समग्र विकास का नेतृत्त्व कर सकते हैं।
  • कौशल विकास:
    • स्वयं सहायता समूह अपने सदस्यों के प्रशिक्षण और क्षमता निर्माण का कार्य भी करते हैं। महिलाएँ सिलाई, हस्तशिल्प या खेती की तकनीक जैसे नए कौशल सीख सकती हैं।
    • इससे न केवल उन्हें अपनी आय क्षमता में सुधार करने में मदद मिलती है बल्कि उनके आत्मविश्वास और आत्म-सम्मान में भी वृद्धि होती है।
  • सामाजिक अधिकारिता: 
    • स्वयं सहायता समूह महिलाओं को एक साथ आने और अपने अनुभव साझा करने के लिये एक मंच प्रदान करते हैं। इससे महिलाओं में एकजुटता की भावना पैदा होती है तथा सामाजिक बाधाओं को तोड़ने में मदद मिलती है।
    • यह महिलाओं को घरेलू और सामुदायिक स्तर पर निर्णय लेने में भागीदार बनने में सक्षम बनाता है, जिससे उन्हें एक पहचान मिलती है और उनका जीवन पर अधिक नियंत्रण होता है।

दीनदयाल अंत्योदय योजना-राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन: 

  • विषय:
    • यह वर्ष 2011 में ग्रामीण विकास मंत्रालय द्वारा शुरू किया गया एक केंद्र प्रायोजित कार्यक्रम है।
    • इसका उद्देश्य देश भर में ग्रामीण गरीब परिवारों के लिये अनेक प्रकार की आजीविकाओं को बढ़ावा देने और वित्तीय सेवाओं तक बेहतर पहुँच के माध्यम से ग्रामीण गरीबी को खत्म करना है।
  • कार्य पद्धति:
    • इसमें स्वयं सहायता की भावना से सामुदायिक पेशेवरों के माध्यम से सामुदायिक संस्थानों के साथ कार्य करना शामिल है जो DAY-NRLM का एक अनूठा प्रस्ताव है।
    • यह आजीविका को प्रभावित करता है, जैसे:
      • ग्रामीण परिवारों को SHGs में संगठित करना।
      • प्रत्येक ग्रामीण गरीब परिवार से एक महिला सदस्य को स्वयं सहायता समूहों में संगठित करना।
      • SHG सदस्यों को प्रशिक्षण और क्षमता निर्माण में सहायता करना।
      • अपने स्वयं के संस्थानों और बैंकों से वित्तीय संसाधनों तक पहुँच प्रदान करना।
  • उप कार्यक्रम:
    • महिला किसान सशक्तीकरण परियोजना: इसका उद्देश्य ऐसे कृषि-पारिस्थितिक प्रथाओं को बढ़ावा देना है जो महिला किसानों की आय में वृद्धि करते हैं और उनकी इनपुट लागत और जोखिम को कम करते हैं।
    • स्टार्ट-अप ग्राम उद्यमिता कार्यक्रम (SVEP): इसका उद्देश्य स्थानीय उद्यमों की स्थापना के लिये ग्रामीण क्षेत्रों में उद्यमियों का समर्थन करना है।
    • आजीविका ग्रामीण एक्सप्रेस योजना (AGEY): AGEY को अगस्त 2017 में शुरू किया गया था, जिसके तहत दूरदराज़ के ग्रामीण गाँवों को जोड़ने के लिये सुरक्षित, सस्ती और सामुदायिक निगरानी वाली ग्रामीण परिवहन सेवाएँ प्रदान की जाती हैं।
    • दीनदयाल उपाध्याय ग्रामीण कौशल योजना (DDUGKY): इसका उद्देश्य ग्रामीण युवाओं को प्लेसमेंट से जुड़े कौशल प्रदान करना ताकि वे अर्थव्यवस्था में अपेक्षाकृत उच्च मज़दूरी वाले रोज़गार प्राप्त कर सकें।
    • ग्रामीण स्वरोज़गार संस्थान (RSETIs): DAY-NRLM, 31 बैंकों और राज्य सरकारों के साथ साझेदारी में ग्रामीण युवाओं को लाभकारी स्वरोज़गार स्थापित करने हेतु कुशल बनाने के लिये ग्रामीण स्वरोज़गार संस्थानों (RSETIs) को सहायता प्रदान कर रहा है।
  • परिणाम:
    • जुलाई 2022 तक 8.35 करोड़ महिलाएँ NRLM से जुड़ी थीं और बैंकों के 5.9 लाख करोड़ रुपए जुड़े थे, जबकि NPA घटकर 2.5% रह गया है।
      • इस योजना में वर्ष 2014 तक 2.35 लाख घरों को शामिल किया गया था जिसमें 9.58% की गैर-निष्पादित संपत्ति (Non-Performing Assets- NPA) के साथ बैंकों द्वारा 80,000 करोड़ रुपए दिये गए थे।
    • मई 2021 तक भारत में 7,83,389 गाँवों में 75 मिलियन सदस्यों के साथ 6.9 मिलियन SHG हैं।
    • NRLM ने ग्रामीण परिवारों को शिक्षा और स्वास्थ्य देखभाल जैसी आवश्यक सेवाओं तक अधिक पहुँच हेतु सक्षम बनाया है।

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