क्या है खाप,600 साल पहले शुरुआत हुई,कैसे?

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श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क

गृहमंत्री अमित शाह ने 3 जून की रात पहलवानों से मुलाकात की, जो पिछले डेढ़ महीने से प्रदर्शन कर रहे हैं। गृहमंत्री से यह मुलाकात खाप पंचायतों की तरफ से केंद्र को 9 जून तक का अल्टीमेटम देने के बाद हुई। मीटिंग के बाद बजरंग पूनिया ने रविवार को सोनीपत के गांव मुंडलाना में हो रही सर्व समाज की महापंचायत से निवेदन किया कि फिलहाल कोई बड़ा फैसला न लें।

इसके बाद 5 जून को दिल्ली पुलिस की टीम ने बृजभूषण के लखनऊ और गोंडा स्थित घर पर छापेमारी की। उनके 15 कर्मचारियों से पूछताछ की गई है। अब इस छापेमारी को बृजभूषण पर एक्शन के तौर पर देखा जा रहा है।

एक गोत्र या बिरादरी के सदस्यों का समूह
कनाडा में प्रोफेसर रहे एमसी प्रधान ‘द जर्नल ऑफ एशियन स्टडीज’ किताब के पेज नंबर 664 में खाप के बारे में बताते हैं। ‘खाप’ एक गोत्र या जाति बिरादरी के सदस्यों का समूह होता है। इनमें एक क्षेत्र या कुछ गांव के उस जाति से जुड़े लोग शामिल होते हैं। उस जाति के बुजुर्ग और दबंग लोग इन खाप का नेतृत्व करते हैं।

इन खापों के प्रधान एक परिवार या वंश के ही लोग होते हैं। जो शख्स इस समय किसी खाप का प्रधान है आने वाले समय में उसका बेटा उस खाप का प्रधान बनता है। जब किसी मुद्दे पर सार्वजनिक फैसला लेने के लिए किसी खाप के प्रधान सभा बुलाते हैं तो इसे खाप पंचायत कहते हैं।

खाप प्रधान को चुनने के लिए कोई तय स्ट्रक्चर या नियम नहीं होते हैं। कई बार खाप प्रधान के पद पर एक ही परिवार या वंश के दो या ज्यादा लोग भी दावा करते हैं।

करीब 600 साल पहले शुरुआत, कई दस्तावेजों में जिक्र
पंजाब यूनिवर्सिटी, चंडीगढ़ की सीनियर रिसर्चर रितिका ठाकुर के मुताबिक खाप की शुरुआत 14वीं सदी के दौरान हुई थी। इसके अलावा कानूनी कागजों में खाप शब्द का प्रयोग पहली बार 1890-91 में जोधपुर की जनगणना रिपोर्ट में किया गया था, जो धर्म और जाति पर आधारित थी। कुछ एक्सपर्ट मानते हैं कि ‘खाप’ शब्द संभवतः ‘शक’ भाषा के खतप से लिया गया है, जिसका अर्थ है एक विशेष कबीले द्वारा बसा हुआ क्षेत्र।

सबसे पहले खाप का नाम क्या था, ये हमारे रिसर्च में पता नहीं चला। हालांकि कुछ रिसर्च पेपर में इसका जिक्र है कि पहली खाप से 84 गांवों के लोग जुड़े थे। 1950 में पश्चिमी UP के मुजफ्फरनगर जिले के सोरेम में हुई खाप पंचायत का जिक्र कई रिसर्च पेपर में मिलता है।

आजादी के बाद हुई इस सर्व खाप पंचायत के प्रधान बीनरा निवास गांव के चौधरी जवान सिंह गुर्जर थे। इस खाप पंचायत में पुनियाला गांव के ठाकुर यशपाल सिंह उप-प्रधान थे, जबकि सोरेम गांव के चौधरी काबुल सिंह इसके मंत्री थे।

जिन तीन लोगों के नेतृत्व में इस पंचायत का आयोजन हुआ उनमें चौधरी काबुल सिंह एकमात्र जाट थे। हालांकि, पिछले कुछ सालों में जाटों का दबदबा खाप पंचायतों में बढ़ा है, इसीलिए कई बार खाप पंचायतों को सीधे जाटों से जोड़ दिया जाता है।

खाप मुख्य रूप से तीन काम करते हैं…

1. पारिवारिक और गांव के विवादों को सुलझाना।

2. समाज के लोगों के बीच आपसी भाईचारे और विश्वास को बनाए रखना।

3. अपने क्षेत्र और लोगों को किसी भी बाहरी हमले से बचाना।

एमसी प्रधान के बताए तीन कामों में से आखिरी काम खाप पंचायतें आजादी से पहले करती थी, अब ये काम न के बराबर रह गया है। आज खापों का मुख्य रूप से काम आपसी विवादों को सुलझाना और यह सुनिश्चित करना है कि उनके क्षेत्र में सामाजिक और धार्मिक प्रथा सही से लागू हो।

देश में इस वक्त 300 से ज्यादा खाप एक्टिव हैं
हरियाणा के झज्जर जिला निवासी धनकड़ खाप के प्रधान ओम प्रकाश धनकड़ का कहना है कि देश में इस समय करीब 300 खाप हैं। इनमें से ज्यादातर खाप नॉर्थ इंडिया के हैं। ये खाप मुख्य रूप से देश के 5 राज्यों हरियाणा, उत्तर प्रदेश, दिल्ली, राजस्थान और उत्तराखंड में एक्टिव हैं।

धनकड़ का कहना है कि गोत्र पर अधारित गठवाल खाप, दलाल खाप, पुनिया खाप, सांगवान खाप, दहिया खाप आदि अपने गांव और आसपास के मामले को खुद ही सुलझाते हैं। इन खापों का 100 से ज्यादा गांवों में असर है। उन्होंने बताया कि ज्यादातर खाप पंचायत जाट इलाके में एक्टिव हैं। जाटों के अलावा गुर्जर, मुस्लिम और राजपूत समुदाय के लोगों के भी अपने खाप होते हैं।

हरियाणा, पश्चिमी UP समेत देश के 5 राज्यों में खाप समुदाय का काफी ज्यादा असर है। इसकी 2 मुख्य वजहें हैं…

  • समुदाय और समाज के स्तर पर होने वाले पारिवारिक, जगह-जमीन और दूसरे विवादों को खाप सही समय पर सुलझा देती है। इससे विवाद थाने और कोर्ट नहीं जाता है।
  • खाप के फैसले को मानने के लिए सामाजिक दबाव होता है। समाज और अपने समुदाय में रहने के लिए लोगों को खाप के फैसले को मानने के लिए मजबूर होना पड़ता है।

खाप प्रधान ज्यादातर मामलों में सोशल बायकॉट, आर्थिक जुर्माना व अन्य तरह की जुर्माना लगाती है। हालांकि खाप पर कई बार दूसरे जाति और धर्म में शादी करने पर विवादित फैसला सुनाने के आरोप भी लगते हैं। इसी वजह से खाप के विरोधी उसे ‘कंगारू कोर्ट’ भी कहते हैं। हालांकि खाप नेता इस तरह के आरोपों को गलत बताते हैं। खाप नेता अब हिंदू मैरिज एक्ट में बदलाव की मांग कर रहे हैं। उनका कहना है कि वो अंतरजातीय विवाह के खिलाफ नहीं हैं, लेकिन एक गोत्र और एक गांव में शादी करने पर रोक लगनी चाहिए।

खाप पंचायतों के विवादित फैसले…

1. रेप रोकने के लिए 15 साल की उम्र में शादी कर दी जाए

जुलाई 2010 में हरियाणा की सर्व खाप जाट पंचायत ने कहा कि लड़कियों की शादी के लिए उनके बालिग होने का इंतजार नहीं करना है। उनकी शादी अब 15 साल में ही कर देनी है। रेप की घटनाओं में हो रही बढ़ोतरी पर अंकुश लगाने के लिए यह आदेश जारी किया गया था।

2. लड़कियों को जींस पहनने से मना किया

अगस्त 2014 में मुजफ्फरनगर के सोरम गांव में हुई एक खाप पंचायत ने लड़कियों के जींस पहनने, उनके फोन और इंटरनेट यूज करने पर बैन लगाया था। कुछ लड़क‍ियों के घर से भागने के बाद समाधान के रूप में यह ऐलान किया गया था।

3. भाई की सजा बहनों को दे दी

अगस्त 2015 में बागपत में एक खाप पंचायत ने दो बहनों के साथ रेप करने और उन्‍हें निर्वस्‍त्र करके गांव में घुमाने का आदेश जारी किया था। उन्‍हें उनके भाई के अपराध की सजा दी जानी थी। उनका भाई एक ऊंची जाति की महिला के साथ भाग गया था। खाप पंचायत के इस आदेश के बाद ब्रिटिश संसद तक में मांग उठी कि आरोपी की 23 और 15 साल की बहनों को पर्याप्‍त सुरक्षा दी जाए।

4. परंपराओं में हस्तक्षेप बर्दाश्त नहीं

फरवरी 2018 में सुप्रीम कोर्ट ने खाप से जुड़े एक मामले में कहा था कि दो रजामंद वयस्कों को अपनी मर्जी से शादी करने का अधिकार है। खाप पंचायत किसी वयस्क को अंतर्जातीय विवाह करने से रोक नहीं सकती। इससे नाराज होकर नरेश टिकैत ने कहा- अगर हमारी परंपराओं में हस्तक्षेप किया गया तो उसे बर्दाश्त नहीं करेंगे। इतना ही नहीं, अगर इस तरह के आदेश पारित होते हैं तो हम न तो लड़कियां पैदा करेंगे और न ही लड़कियों को पैदा होने देंगे।

5. बेटी को जमीन देने पर समाज से बहिष्कार किया

अगस्त 2021 में राजस्‍थान के भीलवाड़ा में एक खाप पंचायत ने बुजुर्ग महिला पर 40 लाख का जुर्माना लगाकर उसे समाज से बहिष्कृत कर दिया। बुजुर्ग महिला की गलती ये थी कि वह महिला अपनी तीन बेटियों के नाम जमीन करना चाहती थी, लेकिन महिला के ससुराल वाले यह नहीं चाहते थे।

खाप पंचायतों को ऐसे फैसलों की ताकत कहां से मिलती है?

खाप को असली ताकत उससे जुड़े लोगों और उनके बीच खाप की सर्वमान्यता से मिलती है। लोगों को बुलाकर जब खाप कोई फैसला लेती है तो लोकल स्तर पर प्रशासन और सरकार भी अलर्ट हो जाती है।

किसान आंदोलन को सफल बनाने में खापों ने काफी अहम भूमिका निभाई थी। इसके कारण केंद्र सरकार ने जो तीन नए कृषि कानून बनाए थे, उन्हें वापस ले लिया। उत्तर भारत के 5 राज्यों की राजनीति को खाप सीधे प्रभावित कर सकती है। यही वजह है कि हर राजनीतिक दल खाप प्रधानों से बेहतर रिश्ता बनाए रखना चाहते हैं।

हरियाणा के दादरी विधानसभा क्षेत्र के सांगवान खाप के प्रधान सोमवीर सांगवान हैं। वह इस समय दादरी के निर्दलीय विधायक भी हैं। ऐसा माना जाता है कि खापों की ताकत पर ही सांगवान को चुनाव में जीत मिली थी।

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