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लोन सेटलमेंट क्या है, बैंकों में यह कैसे किया जाता है? - श्रीनारद मीडिया

लोन सेटलमेंट क्या है, बैंकों में यह कैसे किया जाता है?

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श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क

लोकलाज या जिम्मेदारी वश कर्ज अथवा उधार लेन-देन करना प्रगतिशील मनुष्यों की प्रवृत्ति है। लेकिन जब यह जरूरत की बजाय दिखावे के लिए किया जाए, समय पर ब्याज और मूलधन की क़िस्त का भुगतान करने में कोताही बरती जाए, तो फिर कर्जदारों की लायबलिटीज बढ़ जाती है। यह स्थिति कर्जदाताओं के लिए भी मुश्किलें पैदा करती है। प्राइवेट महाजन तो बलपूर्वक वसूल कर लेते हैं, लेकिन बैंक प्रोफेशनल लोन सेटलमेंट का ऑफर करते हैं। इस प्रकार बैंकों में लोन सेटलमेंट एक वैधानिक प्रक्रिया है, जिसमें बैंक और कर्जदार के बीच एक आपसी समझौता होता है, जिससे कर्जदार को अपने लोन की रकम को कम करने या उसकी अदायगी की शर्तों को बदलने की अनुमति दी जाती है।

देखा जाए तो बढ़ती महंगाई और बेरोजगारी के बीच अपनी दैनंदिन जरूरतों को पूरा करने के चलते आजकल हर व्यक्ति किसी न किसी प्रकार के कर्ज भुगतान के असंतुलन में उलझा हुआ है। इसलिए लोन सेटलमेंट के दौरान बैंक एक समझौता प्रस्ताव रखता है, जिसमें मूल राशि का एक हिस्सा माफ करने की सीधी पेशकश की जाती है। यह राशि अक्सर बकाया लोन राशि का 30 फीसदी से 70 फीसदी तक हो सकती है। हालांकि लोन सेटलमेंट के बाद, क्रेडिट ब्यूरो जैसे सिबिल (CIBIL) को सूचित किया जाता है, जिससे ग्राहक के क्रेडिट स्कोर पर नकारात्मक प्रभाव  पड़ता है, क्योंकि इसे एक प्रकार का डिफॉल्ट ही माना जाता है।

 लोन सेटलमेंट क्या है? यह कैसे किया जाता है?

मसलन, जब कोई व्यक्ति किसी वजह से अपने कर्ज (लोन) की सभी किस्त चुकाने में असमर्थ होता है, तो बैंक से बातचीत करके एक आपसी समझौता किया जाता है। जिसमें उधार लेने वाला व्यक्ति कर्जदाता बैंक को एकमुश्त राशि का भुगतान करता है, जो मूल लोन राशि से कम होती है। इस प्रक्रिया को ही बैंकिंग की भाषा में लोन सेटलमेंट कहते हैं। इसकी पूरी प्रक्रिया निम्नलिखित है- सर्वप्रथम लोन लेने वाला व्यक्ति बैंक से संपर्क करता है और लोन सेटलमेंट के लिए आवेदन करता है।

ततपश्चात बैंक लोन लेने वाले व्यक्ति की स्थिति की जांच करता है और प्राप्त आवेदन की समीक्षा करता है। फिर यदि बैंक लोन सेटलमेंट निवेदन पत्र को मंजूरी देता है, तो वह लोन लेने वाले व्यक्ति को एक प्रस्ताव भेजता है। जिसपर लोन लेने वाला व्यक्ति आद्योपांत विचार करता है और जब वह मिले प्रस्ताव से सहमत हो जाता है, तो फिर वह बैंक का प्रस्ताव स्वीकार करता है।

बता दें कि कोई भी बैंक ऐसे मामलों में बैंक ब्याज, पेनल्टी या लीगल खर्च माफ कर सकता है। इसलिए सेटलमेंट की धनराशि का फैसला कर्जदार की क्षमता और उसकी समसामयिक परिस्थिति पर गौर करने के बाद लिया जाता है। वहीं, सेटलमेंट की रकम भरने के बाद, बैंक टोटल आउटस्टैंडिंग अमाउंट और सेटलमेंट की रकम में अंतर को राइट ऑफ करके लोन को बंद कर देता है। इससे लोन लेने वाले व्यक्ति को राहत मिल जाती है।

हमेशा ध्यान रखिए लोन सेटलमेंट से जुड़ीं कुछ महत्वपूर्ण बातें

जब लोन सेटलमेंट हो जाये तो इससे जुड़े दस्तावेजों को इकट्ठा और सुरक्षित रखना जरूरी है। इनमें आय का प्रमाण पत्र और पहचान प्रमाण पत्र जैसे दस्तावेज शामिल होते हैं। किसी भी लोन सेटलमेंट के बाद क्रेडिट रिपोर्ट में अकाउंटिंग अकाउंट में लोन सेटलमेंट का शेयर अगले सात साल तक रह सकता है। इसके बाद, लोन के लिए फिर से आवेदन करने में परेशानी हो सकती है। क्योंकि लोन सेटलमेंट करने पर बैंक के पास उधारकर्ता को लोन टेन्योर के बीच लौटानी होनी वाली पूरी रकम नहीं पहुंचती। इसके बाद, सेटल्ड लोन का टैग अगले सात सालों तक सिबिल क्रेडिट रिपोर्ट में रहता है।

किसी भी लोन सेटलमेंट के ये-ये हैं महत्वपूर्ण फायदे 

लोन सेटलमेंट के दौरान लोन लेने वाले को ब्याज, जुर्माना, और दूसरे शुल्कों में छूट मिल सकती है। इस प्रकार लोन सेटलमेंट से तुरंत आर्थिक राहत मिलती है। इससे लंबी लोन वसूली की जटिल प्रक्रियाओं से जुड़े कानूनी नतीजों और तनाव से बचा जा सकता है। वहीं, लोन सेटलमेंट से उधार लेने वाले व्यक्ति या संस्था को यह सहमति मिलती है कि वह लोन का एक हिस्सा वसूल कर पाएगा, जो अन्यथा पूरी तरह से खो सकता था।

इससे क्रेडिट स्कोर पर निरंतर चूक या दिवालियापन की तुलना में कम हानि होती है। इसलिए जब भी लोन भुगतान संकट में फंसें तो बैंकों की इस सुविधा का लाभ उठाकर खुद को फिर से व्यवस्थित कर सकते हैं। हां, इस अवसर का बेजा या रणनीतिक इश्तेमाल नहीं करें।

 कुछ महत्वपूर्ण बातों का हमेशा रखिए ध्यान

किसी भी कर्जदार व्यक्ति के लोन सेटलमेंट की प्रक्रिया के पूरे होने के बाद, रिकवरी एजेंसियों से छुटकारा मिल जाता है। क्योंकि इस क्रम में आपको अनापत्ति प्रमाणपत्र (NOC) मिलता है। जो लोन के साफ-सुथरे तरीके से बंद होने की पुष्टि करता है। चूंकि इस पूरी प्रक्रिया में आपका क्रेडिट स्कोर कम हो जाता है। इसलिए भविष्य में अपेक्षित सावधानी बरतिए। आपको पता होना चाहिए कि एक लोन सेटलमेंट से 50 से 100 पॉइंट तक क्रेडिट स्कोर कम हो सकता है।

इतना ही नहीं, लोन सेटलमेंट के बाद सिबिल रिपोर्ट में यह दर्ज रहता है कि उस लोन को सेटल किया गया है। जिसके लिए आपको बैंक से ‘नो ड्यूज सर्टिफिकेट’ मिलता है। वहीं, बैंक क्रेडिट ब्यूरो को सूचित करता है कि आपका अकाउंट बंद कर दिया गया है। इसलिए लोन सेटलमेंट के बाद जब आप आर्थिक रूप से सक्षम हो जाते हैं, तो आप बैंक से कहकर लोन की बची हुई रकम चुका सकते हैं और सेटल्ड अकाउंट को क्लोज करा सकते हैं। इससे आपका सिबिल पुनः सुधर जाएगा और आपका आर्थिक भविष्य समुज्ज्वल हो जाएगा।

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