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महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोज़गार गारंटी अधिनियम में सामाजिक अंकेक्षण क्या है? - श्रीनारद मीडिया

महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोज़गार गारंटी अधिनियम में सामाजिक अंकेक्षण क्या है?

महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोज़गार गारंटी अधिनियम में सामाजिक अंकेक्षण क्या है?

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श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क

ग्रामीण विकास मंत्रालय (MoRD) द्वारा अनुरक्षित सामाजिक अंकेक्षण पर प्रबंधन सूचना प्रणाली (MIS) का हालिया डेटा महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोज़गार गारंटी योजना (MGNREGS) में सामाजिक अंकेक्षण की प्रगति और चुनौतियों पर प्रकाश डालता है।

मनरेगा में सामाजिक अंकेक्षण की प्रगति क्या है?

  • सामाजिक अंकेक्षण पर MIS के आँकड़ों के अनुसार, 34 राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों में से केवल 6 ने ग्राम पंचायतों में मनरेगा के तहत किये गए कार्यों के सामाजिक अंकेक्षण को पूरा करने में 50% का आँकड़ा पार कर लिया है।
  • सामाजिक अंकेक्षण में व्यापक और समावेशी दृष्टिकोण का प्रदर्शन करते हुए ग्राम पंचायतों में 100% कवरेज हासिल कर केरल अग्रणी बनकर उभरा है।
    • केरल के अलावा पाँच अन्य राज्यों ने सामाजिक अंकेक्षण कवरेज में 50 प्रतिशत का आँकड़ा पार कर लिया है, जिनमें बिहार (64.4 %), गुजरात (58.8 %), जम्मू-कश्मीर (64.1 %), ओडिशा (60.42 %) और उत्तर प्रदेश (54.97 %) शामिल हैं।
  • केवल तीन राज्यों तेलंगाना (40.5%), हिमाचल प्रदेश (45.32%) और आंध्र प्रदेश (49.7%) ने 40% या अधिक गाँवों को कवर किया है।
  • तेलंगाना के अलावा चुनाव वाले राज्यों में संख्या वास्तव में कम है जिनमें मध्य प्रदेश (1.73%), मिज़ोरम (17.5%), छत्तीसगढ़ (25.06%) और राजस्थान (34.74%) हैं।

सामाजिक अंकेक्षण क्या है?

  • परिचय:
    • सामाजिक अंकेक्षण आधिकारिक रिकॉर्ड की समीक्षा करने और यह निर्धारित करने की एक प्रक्रिया है कि क्या राज्य द्वारा रिपोर्ट किये गए व्यय ज़मीन पर खर्च किये गए वास्तविक धन को दर्शाते हैं।
    • सामाजिक अंकेक्षण मनरेगा अधिनियम, 2005 में अंतर्निहित भ्रष्टाचार विरोधी तंत्र है।
      • इसमें मनरेगा के तहत बनाए गए बुनियादी ढाँचे की गुणवत्ता, मज़दूरी में वित्तीय हेराफेरी और किसी भी प्रक्रियात्मक विचलन की जाँच करना शामिल है।
  • उद्देश्य:
    • स्थानीय समुदायों को सशक्त बनाने के उद्देश्य से सामाजिक अंकेक्षण नागरिकों को सरकारी पहलों की दक्षता और प्रभावशीलता की जाँच तथा मूल्यांकन करने में सक्षम बनाता है।
  • वैधानिक फ्रेमवर्क:
    • मनरेगा के संदर्भ में महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोज़गार गारंटी अधिनियम (MGNREGA) की धारा 17 ग्राम सभा को कार्यों के निष्पादन की निगरानी और सामाजिक लेखा परीक्षा के लिये कानूनी आधार प्रदान करने का आदेश देती है।
    • योजना नियम अंकेक्षण, 2011, जिसे महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोज़गार गारंटी योजनाओं की लेखापरीक्षा नियम, 2011 के रूप में भी जाना जाता है, भारत के नियंत्रक और महालेखा परीक्षक (CAG) के सहयोग से ग्रामीण विकास मंत्रालय द्वारा विकसित किये गए थे।
      • ये नियम देश भर में पालन किये जाने वाले सामाजिक अंकेक्षण की प्रक्रियाओं और सोशल ऑडिट यूनिट (SAU), राज्य सरकार एवं मनरेगा के फील्ड कार्यकर्त्ताओं सहित विभिन्न संस्थाओं के कर्त्तव्यों की रूपरेखा तैयार करते हैं।
    • सामाजिक अंकेक्षण इकाइयाँ कार्यान्वयन प्राधिकारियों से स्वतंत्र रूप से कार्य करती हैं, जिससे कार्यक्रमों का निष्पक्ष मूल्यांकन सुनिश्चित होता है।
    • सामाजिक अंकेक्षण इकाइयों की स्वायत्तता सुनिश्चित करने के लिये वे गत वर्ष राज्य द्वारा किये गए मनरेगा व्यय के 0.5% के बराबर धनराशि के हकदार हैं।
    • ऐसे मामलों में जहाँ राज्य नियमित सामाजिक अंकेक्षण करने में विफल रहते हैं, केंद्र के पास मनरेगा के तहत आवंटित धन के वितरण को रोकने का अधिकार है।
  • कार्यान्वयन में चुनौतियाँ:
    • सामाजिक अंकेक्षण के लिये वैधानिक फ्रेमवर्क विशेष रूप से स्थानीय समुदायों के बीच सीमित जागरूकता के चलते इस प्रक्रिया में उनकी सक्रिय भागीदारी को बाधित कर सकता है।
    • सामाजिक अंकेक्षण इकाइयों के लिये सीमित वित्तीय संसाधन उनकी गतिविधियों के दायरे को सीमित करते हुए संपूर्ण और प्रभावी ऑडिट करने की उनकी क्षमता से समझौता कर सकते हैं।
    • राजनीतिक प्रभाव सामाजिक अंकेक्षण की निष्पक्षता में बाधा डाल सकता है, जिससे मूल्यांकन प्रक्रिया की प्रामाणिकता व निष्पक्षता प्रभावित हो सकती है।
    • कार्यान्वयन प्राधिकारियों एवं सामाजिक लेखापरीक्षा इकाइयों के सहयोग और समन्वय का अभाव।
    • सामाजिक अंकेक्षण रिपोर्टों के निष्कर्षों और सिफारिशों पर अनुवर्ती निरंतरता एवं कार्रवाई का अभाव।
    • निहित स्वार्थों की वजह से धमकियों और उत्पीड़न का सामना करने वाले सामाजिक लेखा परीक्षकों और मुखबिरों के लिये सुरक्षा और समर्थन का अभाव।

मनरेगा:

  • परिचय:
    • MGNREGS वर्ष 2005 में ग्रामीण विकास मंत्रालय द्वारा शुरू किये गए विश्व के सबसे बड़े कार्य गारंटी कार्यक्रमों में से एक है।
      • मनरेगा एक वैधानिक फ्रेमवर्क है जो योजना के कार्यान्वयन को सक्षम बनाता है और ग्रामीण गरीबों को काम करने का अधिकार देती है।
    • MGNREGS के तहत कुल 11.37 करोड़ परिवारों ने रोज़गार प्राप्त किया और (15 दिसंबर, 2022 तक) कुल 289.24 करोड़ व्यक्ति-दिवस रोज़गार उत्पन्न हुआ है।
  • उद्देश्य:
    • यह योजना प्रत्येक वित्तीय वर्ष में किसी भी ग्रामीण परिवार के उन वयस्क सदस्यों को 100 दिन के रोज़गार की गारंटी देती है जो सार्वजनिक कार्य-संबंधित अकुशल मज़दूरी करने के लिये तैयार हैं।
    • गरीबों के आजीविका संसाधन आधार को मज़बूत करना।
    • सक्रिय रूप से सामाजिक समावेशन सुनिश्चित करना।
    • पंचायती राज संस्थाओं (PRI) को सशक्त बनाना।
  • मनरेगा की उपलब्धियाँ 
    • मंत्रालय ने भौगोलिक सूचना प्रणाली (GIS) का उपयोग करके वाटरशेड विकास सिद्धांतों (रिज टू वैली एप्रोच) के आधार पर ग्राम पंचायतों की एक एकीकृत समग्र योजना शुरू की है।
      • इसे दिसंबर 2022 तक 2,62,654 ग्राम पंचायतों की योजनाओं को तीन वर्ष में पूरा करने के लक्ष्य के साथ डिज़ाइन किया गया है।
  • राष्ट्रीय इलेक्ट्रॉनिक निधि प्रबंधन प्रणाली (NeFMS)/डीबीटी:
    • मनरेगा के तहत 99% मज़दूरों को उनकी मज़दूरी सीधे उनके बैंक/डाकघर खातों में प्राप्त हो रही है।
    • यह पारदर्शिता तथा समय पर वेतन जारी करने की दिशा में एक बड़ा कदम है।
  • सेक्योर (SECURE):
    • SECURE एक ऑनलाइन एप्लीकेशन है जिसे विशेष रूप से मनरेगा कार्यों के लिये अनुमान तैयार करने तथा अनुमोदन हेतु डिज़ाइन एवं विकसित किया गया है।
  • कौशल विकास:
    • परियोजना “उन्नति” का उद्देश्य मनरेगा श्रमिकों के कौशल-आधार को उन्नत करना और इस तरह उनकी आजीविका में सुधार करना है, ताकि वे वर्तमान आंशिक रोज़गार से पूर्ण रोज़गार की ओर बढ़ सकें।
      • दिसंबर 2022 तक 27,383 उम्मीदवारों को प्रशिक्षित किया जा चुका है।
  • कार्यक्रम के कार्यान्वयन के लिये नई पहलें:
    • अमृत सरोवर
    • जलदूत एप
    • लोकपाल

 

 

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