भारत में जाति जनगणना से क्या लाभ है?

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श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क

बढ़ती राजनीतिक और सामाजिक मांगों के कारण उठाया गया यह कदम शासन, सकारात्मक कार्रवाई और सामाजिक न्याय के प्रयासों पर महत्त्वपूर्ण प्रभाव डालने की संभावना है।

  •  जाति जनगणना एक ऐसी प्रक्रिया है जिसमें देशव्यापी जनसंख्या गणना के दौरान व्यक्तियों की जातिगत पहचान से संबंधित डेटा व्यवस्थित रूप से एकत्र किया जाता है।
    • “जाति” शब्द स्पेनिश शब्द ‘कास्टा’ से आया है जिसका अर्थ है ‘नस्ल’ या ‘आनुवंशिक समूह’। पुर्तगालियों ने इसका उपयोग भारत में ‘जाति’ को दर्शाने के लिये किया।
    • एम. एन. श्रीनिवास (भारतीय समाजशास्त्री) जाति को एक आनुवंशिक, अंतर्विवाही और सामान्यतः स्थानीयकृत समूह के रूप में परिभाषित करते हैं, जो एक विशिष्ट व्यवसाय से जुड़ा होता है और सामाजिक पदानुक्रम में एक निश्चित स्थान रखता है।
  • उद्देश्य: इसका उद्देश्य विभिन्न जाति समूहों के सामाजिक-आर्थिक वितरण को समझना है, ताकि सामाजिक न्याय, आरक्षण और कल्याण से संबंधित नीतियों को प्रभावी रूप से तैयार किया जा सके।
  • जाति गणना का ऐतिहासिक परिप्रेक्ष्य: वर्ष 1881 से 1931 तक ब्रिटिश शासन के दौरान जनगणना अभ्यास में जाति गणना एक नियमित प्रक्रिया थी, जबकि वर्ष 1941 की जनगणना में भी जातिगत जानकारी एकत्र की गई थी, लेकिन द्वितीय विश्व युद्ध के प्रारंभ होने के कारण इसे प्रकाशित नहीं किया गया।
    • वर्ष 1951 की जनगणना से लेकर अब तक जाति गणना केवल अनुसूचित जातियों (SC) और अनुसूचित जनजातियों (ST) के लिये की जाती रही है, जिससे अन्य पिछड़ा वर्ग (OBC) तथा अन्य जाति समूहों पर कोई विश्वसनीय राष्ट्रीय डेटा उपलब्ध नहीं है।
    • वर्ष 1961 में, केंद्र सरकार ने राज्यों को सर्वेक्षण करने और राज्य-विशिष्ट अन्य पिछड़ा वर्ग (OBC) की सूची तैयार करने की अनुमति दी।
    • अंतिम राष्ट्रीय जाति डेटा संग्रह वर्ष 2011 में सामाजिक-आर्थिक और जातिगत जनगणना (SECC) के माध्यम से किया गया था, जिसका उद्देश्य जाति जानकारी के साथ-साथ परिवारों की सामाजिक-आर्थिक स्थितियों का आकलन करना था।
  • राज्य-स्तरीय सर्वेक्षण: बिहारकर्नाटक और तेलंगाना जैसे राज्यों ने हाल ही में अपनी स्वयं की जाति सर्वेक्षण किये।
  • जाति जनगणना भारत के डेटा-संचालित शासन में प्रमुख बदलाव का प्रतीक है, जिसका उद्देश्य प्रतिनिधित्व व्यवस्था एवं लोगों के कल्याण संबंधी ऐतिहासिक अंतराल को कम करना है।
  • हालाँकि यह समावेशिता एवं बेहतर नीति निर्माण पर केंद्रित है लेकिन सटीकता, राजनीतिकरण एवं सामाजिक सद्भाव से संबंधित चिंताओं का समाधान किया जाना चाहिये। सतत् विकास लक्ष्य संख्या 16 (डेटा-संचालित शासन को सक्षम करना) के अनुरूप मज़बूत सुरक्षा उपाय और पारदर्शी निष्पादन, इसकी सफलता की कुंजी है।
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