Notice: Function _load_textdomain_just_in_time was called incorrectly. Translation loading for the newsmatic domain was triggered too early. This is usually an indicator for some code in the plugin or theme running too early. Translations should be loaded at the init action or later. Please see Debugging in WordPress for more information. (This message was added in version 6.7.0.) in /home/imagequo/domains/shrinaradmedia.com/public_html/wp-includes/functions.php on line 6121
क्या है भारत-चीन संबंधों पर दलाई लामा और तिब्बत का प्रभाव? - श्रीनारद मीडिया

क्या है भारत-चीन संबंधों पर दलाई लामा और तिब्बत का प्रभाव?

क्या है भारत-चीन संबंधों पर दलाई लामा और तिब्बत का प्रभाव?

०१
WhatsApp Image 2023-11-05 at 19.07.46
priyranjan singh
IMG-20250312-WA0002
IMG-20250313-WA0003
previous arrow
next arrow
०१
WhatsApp Image 2023-11-05 at 19.07.46
priyranjan singh
IMG-20250312-WA0002
IMG-20250313-WA0003
previous arrow
next arrow

श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क

हाल ही में भारतीय सैनिकों की एक छोटी टुकड़ी के अंतिम जीवित सदस्य, जो वर्ष 1959 में तिब्बत से भागते समय दलाई लामा को बचाकर ले गए थे, की मृत्यु हो गई है।

  • परिचय:
    • दलाई लामा तिब्बती बौद्ध धर्म की गेलुग्पा परंपरा से संबंधित हैं, जो तिब्बत में सबसे बड़ी और सबसे प्रभावशाली परंपरा है।
    • तिब्बती बौद्ध धर्म के इतिहास में केवल 14 दलाई लामा हुए हैं और पहले तथा दूसरे दलाई लामाओं को मरणोपरांत यह उपाधि दी गई थी।
      • 14वें और वर्तमान दलाई लामा ‘तेनजिन ग्यात्सो’ हैं।
    • माना जाता है कि दलाई लामा अवलोकितेश्वर या चेनरेज़िग, करुणा के बोधिसत्व और तिब्बत के संरक्षक संत के प्रतीक हैं।
      • बोधिसत्व सभी संवेदनशील प्राणियों के लाभ के लिये बुद्धत्व प्राप्त करने की इच्छा से प्रेरित प्राणी हैं, जिन्होंने मानवता की मदद के लिये दुनिया में पुनर्जन्म लेने की प्रतिबद्धता जताई थी।
  • दलाई लामा का अनुरक्षण:
    • 1950 के दशक में चीन का राजनीतिक परिदृश्य बदलना शुरू हुआ।
    • तिब्बत को आधिकारिक रूप से चीनी नियंत्रण में लाने की योजनाएँ बनाई गईं लेकिन मार्च 1959 में तिब्बती, चीनी शासन को समाप्त करने की मांग को लेकर सड़कों पर उतर आए। चीनी पीपुल्स रिपब्लिक के सैनिकों ने विद्रोह को कुचल दिया और हजारों लोग मारे गए।
    • दलाई लामा 1959 के तिब्बती विद्रोह के दौरान हज़ारों अनुयायियों के साथ तिब्बत से भारत भाग आए, जहाँ उनका स्वागत पूर्व भारतीय प्रधानमंत्री, जवाहरलाल नेहरू ने किया, जिन्होंने उन्हें धर्मशाला (हिमाचल प्रदेश) में ‘निर्वासन में तिब्बती सरकार’ बनाने की अनुमति दी।
  • दलाई लामा को चुनने की प्रक्रिया:
    • पुनर्जन्म के सिद्धांत में बौद्ध धर्म के बाद वर्तमान दलाई लामा को बौद्धों द्वारा उस शरीर को चुनने में सक्षम माना जाता है जिसमें उनका पुनर्जन्म होता है।
    • वह व्यक्ति जब मिल जाता है तो अगला दलाई लामा उसे बना दिया जाता है।
    • बौद्ध विद्वानों के अनुसार, यह गेलुग्पा परंपरा के उच्च लामाओं और तिब्बती सरकार की ज़िम्मेदारी है कि वे पदाधिकारी की मृत्यु के बाद अगले दलाई लामा की तलाश करें और उन्हें खोजें।
    • यदि एक से अधिक उम्मीदवारों की पहचान की जाती है, तो वास्तविक उत्तराधिकारी एक सार्वजनिक समारोह में अधिकारियों और भिक्षुओं द्वारा बहुत से लोगों को आकर्षित करते हुए पाया जाता है।
    • एक बार पहचाने जाने के बाद सफल उम्मीदवार और उसके परिवार को ल्हासा (या धर्मशाला) ले जाया जाता है,जहाँ बच्चा आध्यात्मिक नेतृत्त्व की तैयारी के लिये बौद्ध धर्मग्रंथों का अध्ययन करता है।
    • इस प्रक्रिया में कई वर्ष लग सकते हैं, 14वें (वर्तमान) दलाई लामा को खोजने में चार वर्ष लग गए।
    • यह खोज आमतौर पर तिब्बत तक ही सीमित है, हालाँकि वर्तमान दलाई लामा ने कहा है कि उनका पुनर्जन्म नहीं होगा और यदि होगा तो यह चीनी शासन के तहत देश में नहीं होगा।

तिब्बत और दलाई लामा: भारत-चीन संबंधों पर प्रभाव

  • भूमिका:
    • सदियों से, तिब्बत भारत का वास्तविक पड़ोसी था, क्योंकि भारत की अधिकांश सीमाएँ और 3500 किमी LAC (वास्तविक नियंत्रण रेखा) तिब्बती स्वायत्त क्षेत्र के साथ है न कि शेष चीन के साथ।
    • 1914 में चीनियों के साथ तिब्बती प्रतिनिधियों ने ब्रिटिश भारत के साथ शिमला सम्मेलन पर हस्ताक्षर किये जिसमें सीमाओं का निर्धारण किया गया था।
    • हालाँकि वर्ष 1950 में चीन द्वारा तिब्बत पर पूर्ण रूप से कब्ज़ा करने के बाद चीन ने उस कन्वेंशन और मैकमोहन लाइन को खारिज़ कर दिया, जिसने दोनों देशों को विभाजित किया था।
    • इसके अलावा वर्ष 1954 में भारत ने चीन के साथ तिब्बत को “चीन के तिब्बत क्षेत्र” के रूप में मान्यता देने के लिये एक समझौते पर हस्ताक्षर किये थे।
  • वर्तमान परिदृश्य:
    • दलाई लामा और तिब्बत भारत तथा चीन के संबंधों के बीच प्रमुख अड़चनों में से एक है।
    • चीन दलाई लामा को अलगाववादी मानता है, जिनका तिब्बतियों पर अधिक प्रभाव है।
    • भारत वास्तविक नियंत्रण रेखा पर चीन की निरंतर आक्रामकता का मुकाबला करने के लिये तिब्बती कार्ड का उपयोग करना चाहता है।
    • भारत और चीन के बीच बढ़ते तनाव की स्थिति में भारत की तिब्बत नीति में बदलाव आया है। नीति में यह बदलाव, सार्वजनिक मंचों पर दलाई लामा के साथ सक्रिय रूप से प्रबंधन करने वाली भारत सरकार को चिह्नित करता है।
    • भारत की तिब्बत नीति में बदलाव मुख्य रूप से प्रतीकात्मक पहलुओं पर केंद्रित है, लेकिन तिब्बत नीति के प्रति भारत के दृष्टिकोण से संबंधित कई चुनौतियांँ हैं।

आगे की राह 

Leave a Reply

error: Content is protected !!