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छोटी दिवाली पर श्रीकृष्ण, मां काली और यमराज की पूजा का क्या महत्व है? - श्रीनारद मीडिया

छोटी दिवाली पर श्रीकृष्ण, मां काली और यमराज की पूजा का क्या महत्व है?

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श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क

हिंदू पंचांग के अनुसार, कार्तिक माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि 30 अक्टूबर को अपराह्न 01 बजकर 15 मिनट पर प्रारंभ होगी. इसका समापन अगले दिन 31 अक्टूबर को अपराह्न 03 बजकर 52 मिनट पर होगा. नरक चतुर्दशी हर वर्ष कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को मनाई जाती है. इसे दीपावली से एक दिन पूर्व और धनतेरस के एक दिन बाद मनाने की परंपरा है. कुछ स्थानों पर इसे छोटी दिवाली, रूप चौदस, नरक चौदस और काली चौदस के नाम से भी जाना जाता है. इस दिन कुछ खास उपाय किए जाते हैं, जिससे मां लक्ष्मी की कृपा बनी रहती है.

यमराज की पूजा

धार्मिक परंपराओं के अनुसार, छोटी दिवाली के अवसर पर यमराज की पूजा करना अत्यंत महत्वपूर्ण है. इस दिन उनके नाम का दीप जलाना भी आवश्यक माना जाता है. ऐसा मानना है कि यम देव की पूजा करने से अकाल मृत्यु का भय समाप्त हो जाता है.

मां काली की पूजा

नरक चतुर्दशी, जिसे काली चौदस के नाम से भी जाना जाता है, के दिन माता कालिका की पूजा करने से सभी दुख दूर हो जाते हैं.

तेल से मालिश करें

छोटी दिवाली के दिन तेल से मालिश करने की परंपरा है. इसके बाद स्नान करना चाहिए. मान्यता है कि चतुर्दशी के दिन तेल में माता लक्ष्मी और सभी जलों में मां गंगा का वास होता है, जिससे जीवन में सकारात्मकता का संचार होता है.

छोटी दिवाली पर करें ये काम

छोटी दिवाली के दिन रोली, गुलाब के फूल और लाल चंदन की पूजा करके इन्हें एक लाल वस्त्र में बांध दें. इसे घर की तिजोरी में रखने से धन की प्राप्ति होती है और अनावश्यक खर्चों में कमी आती है. इस प्रकार, धन घर में स्थिर रहने लगता है.

नरक चतुर्दशी का पर्व अत्यंत महत्वपूर्ण माना जाता है. इसे यम चतुर्दशी और छोटी दीवाली के नाम से भी जाना जाता है. इस दिन भक्तगण भगवान कुबेर, देवी लक्ष्मी, भगवान धन्वंतरि और यम देव की पूजा करते हैं, जिन्हें मृत्यु का देवता माना जाता है. हिंदू धर्म में इस दिन का विशेष धार्मिक महत्व है. इसके साथ ही, यह यम का दीपक जलाने का भी एक महत्वपूर्ण अवसर है, जो नरक चतुर्दशी की संध्या को किया जाता है.

नरक चतुर्दशी के दिन यम दीप जलाना एक महत्वपूर्ण परंपरा है. यह माना जाता है कि यम दीप जलाने से पितरों का आशीर्वाद मिलता है और घर में सुख-शांति रहती है, लेकिन यम दीप को किस दिशा में जलाना चाहिए, इस बारे में कई लोगों के मन में संशय रहता है. आमतौर पर यम दीप को दक्षिण दिशा में जलाने की परंपरा है. दक्षिण दिशा को यमराज की दिशा माना जाता है. इसलिए यम दीप को दक्षिण दिशा में जलाकर यमराज को प्रसन्न किया जाता है.

काली चौदस को नरक चतुर्दशी के नाम से भी जाना जाता है. इस वर्ष काली चौदस का पर्व आज 30 अक्टूबर 2024 को मनाया जा रहा है. यह दिन विशेष रूप से बंगाल में बड़े धूमधाम से मनाया जाता है. मां काली की पूजा का सर्वोत्तम समय रात्रि का होता है. पाप ग्रहों, विशेषकर राहु और केतु, तथा शनि की शांति के लिए मां काली की आराधना अत्यंत प्रभावी मानी जाती है.आइए, जानते हैं कि काली चौदस के दिन मां काली की पूजा करने की क्या मान्यता है.

दीपोत्सव का मुख्य त्योहार दीपावली कार्तिक मास की अमावस्या तिथि कल यानी 31 अक्टूबर गुरुवार को परंपरागत तरीके से मनाया जाएगा. कार्तिक अमावस्या की रात को आयोजित की जाने वाली काली पूजा को बंगाल में श्यामा पूजा या महानिषि पूजा के नाम से भी जाना जाता है. यह माना जाता है कि इस दिन इस पूजा के माध्यम से भय का नाश, स्वास्थ्य की प्राप्ति, आत्मरक्षा और शत्रुओं पर नियंत्रण संभव होता है.

 

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