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विश्व कुष्ठ दिवस मनाने का क्या उद्देश्य है? - श्रीनारद मीडिया

विश्व कुष्ठ दिवस मनाने का क्या उद्देश्य है?

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श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क

विश्व कुष्ठ रोग दिवस (World Leprosy Day) प्रतिवर्ष जनवरी के आखिरी रविवार को मनाया जाता है। भारत में यह प्रतिवर्ष 30 जनवरी को महात्मा गांधी की पुण्य तिथि के साथ मनाया जाता है।

विश्व कुष्ठ दिवस मनाने का उद्देश्य क्या है?

  • विश्व कुष्ठ दिवस 2024 का विषय “बीट लेप्रोसी” है। यह विषय इस दिन के दोहरे उद्देश्यों को समाहित करता है: कुष्ठ रोग से जुड़े लांछन या कलंक (stigma) को मिटाना और रोग से प्रभावित लोगों की गरिमा को बढ़ावा देना।
  • इस दिन का प्राथमिक उद्देश्य कुष्ठ रोग से जुड़े लांछन या कलंक के बारे में आम जनता के बीच जागरूकता बढ़ाना है।
  • लोगों को यह शिक्षित करना कि कुष्ठ रोग एक विशिष्ट बैक्टीरिया के कारण होता है और इसका इलाज आसानी से किया जा सकता है, यह जागरूकता अभियान का एक महत्त्वपूर्ण हिस्सा है।

कुष्ठ रोग क्या है?

  • परिचय:
    • कुष्ठ रोग, जिसे हैनसेन रोग के नाम से भी जाना जाता है, एक दीर्घकालिक संक्रामक रोग है जो “माइकोबैक्टीरियम लेप्री (Mycobacterium lepra)” नामक बैक्टीरिया के कारण होता है।
    • यह रोग त्वचापरिधीय तंत्रिकाओंऊपरी श्वसन पथ की श्लैष्मिक सतहों और आँखों को प्रभावित करता है।
    • यह ज्ञात है कि कुष्ठ रोग बचपन से लेकर बुढ़ापे तक सभी उम्र में होता है।
    • कुष्ठ रोग आनुवंशिक नहीं होता है, लेकिन यह अनुपचारित रूप से निकटता और लगातार संपर्क के दौरान, नाक तथा मुँह से बूंदों (droplets) के माध्यम से फैलता है।

  • वर्गीकरण:
    • पॉसिबैसिलरी (PB) और मल्टीबैसिलरी (MB) कुष्ठ रोग के वर्गीकरण हैं।
      • PB कुष्ठ रोग में सभी स्मीयर-नकारात्मक मामले (छोटे जीवाणु भार) शामिल हैं, जबकि MB कुष्ठ रोग में सभी स्मीयर-पॉजिटिव (स्मीयर-नकारात्मक PTB की तुलना में अधिक संक्रामक) मामले शामिल हैं।
  • उपचार:
    • कुष्ठ रोग का इलाज संभव है और शुरुआती चरणों में उपचार से दिव्यांगता को रोका जा सकता है।
      • वर्तमान में अनुशंसित उपचार आहार में तीन दवाएँ शामिल हैं: डैपसोन, रिफैम्पिन और क्लोफाज़िमिन। इस संयोजन को मल्टी-ड्रग थेरेपी (MDT) कहा जाता है।
      • MDT को विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के माध्यम से वर्ष 1995 से दुनिया भर के सभी रोगियों के लिये निःशुल्क उपलब्ध कराया गया है।
  • कुष्ठ रोग का वैश्विक बोझ:
    • कुष्ठ रोग उपेक्षित उष्णकटिबंधीय रोग (Neglected Tropical Disease- NTD) है जिससे अब भी 120 से अधिक देश प्रभावित हैं और प्रत्येक वर्ष इस रोग के 2,00,000 से अधिक नए मामले सामने आते हैं।
    • वर्ष 2022 में, 182 देशों में कुष्ठ रोग के 1.65 लाख से अधिक मामले सामने आए, जिनमें 174,087 नए मामले शामिल हैं।
    • WHO के अनुसार, कुष्ठ रोग के नए मामलों की उच्च दर वाले अधिकांश देश WHO अफ्रीकी और दक्षिण-पूर्व एशिया क्षेत्रों में हैं।
  • भारत और कुष्ठ रोग:
    • भारत ने वर्ष 2005 में राष्ट्रीय स्तर पर प्रति 10,000 जनसंख्या पर 1 मामले से भी कम WHO मानदंड के अनुसार कुष्ठ रोग को सार्वजनिक स्वास्थ्य समस्या के रूप में समाप्त करने का लक्ष्य हासिल कर लिया है।
      • कुष्ठ रोग भारत के कई राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों में स्थानिक है।
    • देश में कुष्ठ रोग की व्यापकता दर प्रति 10,000 जनसंख्या पर 0.4 है।
  • की गई पहल:
    • वैश्विक:
      • वैश्विक कुष्ठ रोग रणनीति:
        • वर्ष 2016 में WHO ने वैश्विक कुष्ठ रोग रणनीति 2016-2020 लॉन्च की, जिसका उद्देश्य कुष्ठ रोग को नियंत्रित करने और विशेष रूप से स्थानिक देशों में इस बीमारी से प्रभावित बच्चों में, विकलांगता को रोकने के प्रयासों को फिर से मज़बूत करना है।
      • शून्य कुष्ठ रोग के लिये वैश्विक भागीदारी (GPZL):
        • शून्य कुष्ठ रोग के लिये वैश्विक भागीदारी (GPZL) कुष्ठ रोग को समाप्त करने हेतु प्रतिबद्ध व्यक्तियों और संगठनों का एक गठबंधन है।
      • विश्व कुष्ठ रोग दिवस।
    • भारत:
      • राष्ट्रीय रणनीतिक योजना (NSP) और कुष्ठ रोग के लिये रोडमैप (2023-27):
        • इसे वर्ष 2027 तक यानी सतत् विकास लक्ष्य (SDG) 3.3 से तीन वर्ष पहले कुष्ठ रोग के शून्य संचरण को प्राप्त करने के लिये लॉन्च किया गया है।
          • SDG 3.3 का लक्ष्य वर्ष 2030 तक AIDSक्षय रोगमलेरिया तथा उपेक्षित उष्णकटिबंधीय रोगों की महामारी की रोकथाम एवं हेपेटाइटिस, जल-जनित रोगों व अन्य संचारी रोगों का समाधान करना है।
      • राष्ट्रीय कुष्ठ उन्मूलन कार्यक्रम (NLEP):
        • NLEP वर्ष 1983 में शुरू की गई एक केंद्र प्रायोजित स्वास्थ्य योजना है तथा इसका उद्देश्य रोग के प्रभाव को कम करने, दिव्यांगता की रोकथाम एवं कुष्ठ रोग व इसके उपचार के बारे में जनता को जागरूक करना है।

उपेक्षित उष्णकटिबंधीय रोग (NTD)

  • NTD विभिन्न प्रकार के रोगजनकों (वायरसबैक्टीरियापरजीवीकवक और टॉक्सिन सहित) के कारण होने वाली संक्रमणों का एक समूह है जिसके परिणामस्वरूप स्वास्थ्य प्रभावित होता है तथा साथ ही इसके सामाजिक एवं आर्थिक परिणाम भी हैं।
  • NTD अफ्रीका, एशिया और अमेरिका के विकासशील क्षेत्रों में हाशिए पर रहने वाले समुदायों में सबसे आम है।
  • अनुमान के अनुसार 1 अरब से अधिक लोग NTD से प्रभावित हैं जबकि NTD हस्तक्षेप (निवारक और उपचारात्मक दोनों) की आवश्यकता वाले लोगों की संख्या 1.6 अरब है।
  • NTD के कुछ उदाहरणों में बुरुली अल्सरचगास रोगडेंगूचिकनगुनिया तथा लसीका फाइलेरिया शामिल हैं।

 

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