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भारतीय खिलौना उद्योग की स्थिति क्या है? - श्रीनारद मीडिया

भारतीय खिलौना उद्योग की स्थिति क्या है?

भारतीय खिलौना उद्योग की स्थिति क्या है?

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श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क

भारतीय प्रबंधन संस्थान  के तहत उद्योग संवर्द्धन और आंतरिक व्यापार विभाग  के आदेश पर “भारत में निर्मित खिलौनों की सफलता की कहानी पर अध्ययन किया है, जिसमें एक पर प्रकाश डाला गया कि वित्त वर्ष 2014-15 की तुलना में वित्त वर्ष 2022-23 में खिलौना निर्यात में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है।

अध्ययन के अनुसार भारतीय खिलौना उद्योग की स्थिति क्या है?

  • विकास की प्रवृत्तियाँ:
    • भारतीय खिलौना उद्योग ने वित्त वर्ष 2014-15 और वित्त वर्ष 2022-23 के बीच उल्लेखनीय वृद्धि दर्ज की, जिसमें आयात में 52% की भारी गिरावट तथा निर्यात में 239% की उल्लेखनीय वृद्धि हुई।
    • यह वृद्धि आत्मनिर्भरता और वैश्विक प्रतिस्पर्द्धात्मकता की दिशा में बदलाव का संकेत देती है।
  • गुणवत्ता में सुधार: 
    • घरेलू बाज़ार में उपलब्ध खिलौनों की गुणवत्ता में समग्र वृद्धि हुई है। यह अंतर्राष्ट्रीय मानकों को पूरा करने और उपभोक्ता संतुष्टि तथा सुरक्षा सुनिश्चित करने के महत्त्व पर बल देती है।
  •   विकास वाहक:
    • उन्नत विनिर्माण पारिस्थितिकी तंत्र: सरकारी प्रयासों ने एक अधिक अनुकूल विनिर्माण पारिस्थितिकी तंत्र के निर्माण की सुविधा प्रदान की है। छह वर्षों में विनिर्माण इकाइयों की संख्या दोगुनी करना, आयातित इनपुट पर निर्भरता को 33% से घटाकर 12% करना, सकल विक्रय मूल्य में 10% CAGR की वृद्धि करना और श्रम उत्पादकता में सुधार करना उल्लेखनीय उपलब्धियाँ हैं।
    • वैश्विक एकीकरण और निर्यात पर फोकस: खिलौना उद्योग में शीर्ष निर्यातक देश के रूप में भारत का उभरना वैश्विक खिलौना मूल्य शृंखला में सफल एकीकरण का संकेत देता है। संयुक्त अरब अमीरात और ऑस्ट्रेलिया जैसे प्रमुख देशों में शून्य-शुल्क बाज़ार पहुँच ने इस विकास पथ में योगदान दिया है।

खिलौना उद्योग में विकास को बढ़ावा देने के लिये सरकारी पहल क्या हैं?

  • खिलौनों के लिये राष्ट्रीय कार्य योजना (National Action Plan for Toys- NAPT):
    • यह एक व्यापक योजना है जिसमें 21 विशिष्ट कार्य बिंदु शामिल हैं, जो DPIIT द्वारा समन्वित है और कई केंद्रीय मंत्रालयों/विभागों द्वारा कार्यान्वित है। यह योजना डिज़ाइन, गुणवत्ता नियंत्रण, स्वदेशी खिलौना समूहों को बढ़ावा देने आदि जैसे विभिन्न पहलुओं को सुनिश्चित करती है।
  • मूल सीमा शुल्क (Basic Customs Duty- BCD) में वृद्धि:
    • खिलौनों पर BCD में पर्याप्त वृद्धि (फरवरी 2020 में 20% से 60% और उसके बाद मार्च 2023 में 70% तक) का उद्देश्य घरेलू खिलौना उद्योग को सस्ते आयात से बचाना तथा स्थानीय विनिर्माण को प्रोत्साहित करना है।
  • अनिवार्य नमूना परीक्षण (Mandated Sample Testing):
    • वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय के तहत विदेश व्यापार महानिदेशालय (Directorate General of Foreign Trade- DGFT) ने निम्न स्तरीय खिलौनों के आयात को रोकने तथा बेहतर गुणवत्ता नियंत्रण सुनिश्चित करने के लिये प्रत्येक आयात खेप/प्रेषण के लिये नमूना परीक्षण अनिवार्य किया है।
  • खिलौनों के लिये गुणवत्ता नियंत्रण आदेश (Quality Control Order- QCO): 
    • वर्ष 2020 में जारी यह आदेश देश में निर्मित और बेचे जाने वाले खिलौनों की समग्र गुणवत्ता को बढ़ाने के लिये जनवरी 2021 से प्रभावी खिलौनों के गुणवत्ता मानकों पर ज़ोर देता है।
  • खिलौना विनिर्माताओं के लिये प्रावधान:
    • भारतीय मानक ब्यूरो (Bureau of Indian Standards- BIS) द्वारा विशेष प्रावधान किये गए हैं जिसमें एक निर्दिष्ट अवधि के लिये परीक्षण सुविधाओं के बिना लघु इकाइयों को लाइसेंस देना, गुणवत्ता मानकों के अनुपालन की सुविधा प्रदान करना शामिल है।
  • BIS मानक चिह्न:
    • BIS मानक चिह्नों के माध्यम से गुणवत्ता मानकों का अनुपालन सुनिश्चित करते हुए घरेलू विनिर्माताओं को 1,200 से अधिक लाइसेंस तथा विदेशी विनिर्माताओं को 30 से अधिक लाइसेंस प्रदान किये गए हैं।
  • क्लस्टर-आधारित दृष्टिकोण:
    • MSME मंत्रालय द्वारा पारंपरिक उद्योगों के पुनर्जनन के लिये निधि की योजना (Scheme of Funds for the Regeneration of Traditional Industries- SFURTI) जैसी योजनाओं के माध्यम से घरेलू खिलौना उद्योग का समर्थन किया जा रहा है तथा वस्त्र मंत्रालय द्वारा विभिन्न खिलौना उत्‍पादन केंद्रों को खिलौनों का डिज़ाइन तैयार करने एवं ज़रूरी साधन मुहैया कराने में सहायता प्रदान की जा रही है।
  • प्रचार पहल:
    • द इंडियन टॉय फेयर 2021 और टॉयकैथॉन जैसे आयोजनों का उद्देश्य स्वदेशी खिलौनों को बढ़ावा देना, नवाचार को प्रोत्साहित करना तथा खिलौना उद्योग में प्रदर्शन एवं विचार के लिये एक मंच तैयार करना है।

आगे की राह

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