Notice: Function _load_textdomain_just_in_time was called incorrectly. Translation loading for the newsmatic domain was triggered too early. This is usually an indicator for some code in the plugin or theme running too early. Translations should be loaded at the init action or later. Please see Debugging in WordPress for more information. (This message was added in version 6.7.0.) in /home/imagequo/domains/shrinaradmedia.com/public_html/wp-includes/functions.php on line 6121
भारतीय प्रवासी समुदाय की क्या स्थिति है? - श्रीनारद मीडिया

भारतीय प्रवासी समुदाय की क्या स्थिति है?

भारतीय प्रवासी समुदाय की क्या स्थिति है?

०१
WhatsApp Image 2023-11-05 at 19.07.46
priyranjan singh
IMG-20250312-WA0002
IMG-20250313-WA0003
previous arrow
next arrow
०१
WhatsApp Image 2023-11-05 at 19.07.46
priyranjan singh
IMG-20250312-WA0002
IMG-20250313-WA0003
previous arrow
next arrow

श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क

हाल ही में भारत द्वारा अपना 16वाँ वार्षिक प्रवासी भारतीय दिवस मनाया गया। यह भारत की विशाल प्रवासी आबादी तक पहुँचने, उनकी उपलब्धियों को सम्मानित करने और उन्हें जड़ों से जोड़ने के साथ भारत की विकास यात्रा में प्रवासी भारतीयों के जुड़ाव के लिये एक रूपरेखा प्रदान करने का अवसर है। भारत के राष्ट्रीय हितों की पैरवी करने, भारत की सॉफ्ट पावर का प्रसार और आर्थिक रूप से भारत के उत्थान में योगदान देने की प्रवासियों की पर्याप्त क्षमता को स्वीकृति मिलने लगी है।

हालाँकि, इस प्रवासी लाभांश का सदुपयोग करने के लिये भारत को इससे जुड़ी संवेदनशीलता को ध्यान में रखते हुए अपनी कूटनीति का संचालन करने की आवश्यकता है।

भारतीय प्रवासियों का महत्त्व:   

  • भारत की सॉफ्ट पावर में वृद्धि: भारतीय प्रवासी समुदाय/भारतीय डायस्पोरा (Indian Diaspora) कई विकसित देशों में सबसे धनी अल्पसंख्यकों में से एक हैं। “प्रवासी कूटनीति” में इन प्रवासियों की सकारात्मक भूमिका का महत्त्व स्पष्ट है, जिसके तहत वे भारत और अपने प्रवास के देशों के बीच संबंधों को मज़बूत करने में एक महत्त्वपूर्ण कड़ी के रूप में कार्य करते हैं। 
    • भारत-अमेरिका असैन्य परमाणु समझौता इसका एक महत्त्वपूर्ण उदाहरण है, अमेरिका में भारतीय मूल के लोगों द्वारा इस परमाणु समझौते पर हस्ताक्षर करने के लिये सफलतापूर्वक पैरवी की गई।
    • इसके अतिरिक्त भारतीय प्रवासी केवल भारत की सॉफ्ट पावर का हिस्सा ही नहीं हैं, बल्कि पूरी तरह से हस्तांतरणीय राजनीतिक वोट बैंक भी हैं।
    • साथ ही भारतीय मूल के बहुत से लोग अनेक देशों में शीर्ष राजनीतिक पदों पर  कार्यरत हैं, जो संयुक्त राष्ट्र जैसे बहुपक्षीय संस्थानों में भारत के राजनीतिक प्रभुत्व को बढ़ाता है।
  • आर्थिक सहयोग: भारतीय प्रवासियों द्वारा प्रेषित धन का भुगतान संतुलन (Balance of Payment) पर सकारात्मक प्रभाव पड़ता है, जो व्यापार घाटे को कम करने में सहायता करता है। विश्व में भारत प्रवासियों द्वारा सर्वाधिक प्रेषित धन प्राप्त करने वाला देश है।
    • कम कुशल श्रमिकों के प्रवास (विशेषकर पश्चिम एशिया की तरफ) ने भारत में प्रच्छन्न बेरोज़गारी को कम करने में सहायता की है।
    • इसके अलावा प्रवासी श्रमिकों ने भारत में परोक्ष सूचनाओं, वाणिज्यिक और व्यावसायिक विचारों तथा प्रौद्योगिकियों के प्रवाह को सुविधाजनक बनाया है।

प्रवासी भारतीयों की चुनौतियाँ और अन्य मुद्दे: 

  •  भारतीय लोकतंत्र में प्रवासी भारतीयों की भूमिका: भारतीय प्रवासी एक गैर-सजातीय समूह के रूप में हैं और भारत सरकार से की जाने वाली इनकी मांगें भी अलग-अलग हैं।
    • यही कारण है कि इन मांगों और भारत सरकार की नीतियों में अंतर्विरोध देखने को मिलता है। इसे हाल के किसान प्रदर्शनों को कुछ प्रवासी समूहों द्वारा प्राप्त समर्थन के रूप में देखा जा सकता है।
    • पूर्व में भारतीय प्रवासियों के कई समूहों ने बहुत से कानूनों या कानूनी संशोधनों को रद्द करने की मांग की थी जिनमें कश्मीर में अनुच्छेद 370, नागरिकता (संशोधन) अधिनियम, राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर (NRC) आदि शामिल हैं।
  • COVID-19 का प्रभाव:  COVID-19 महामारी और इससे उत्पन्न चुनौतियों ने एक वैश्वीकरण विरोधी लहर को जन्म दिया है, जिसके कारण कई प्रवासी श्रमिकों को भारत लौटना पड़ा और अब उन्हें उत्प्रवास के संबंध में प्रतिबंधों का सामना करना पड़ रहा है।
    • इसने भारतीय प्रवासी समुदायों और भारतीय अर्थव्यवस्था दोनों के लिये आर्थिक चुनौतियों में वृद्धि की है।
  • पश्चिम एशिया की अस्थिरता: इज़राइल और चार अरब देशों (यूएई, बहरीन, मोरक्को तथा सूडान) के बीच शांति समझौते (अब्राहम एकार्ड) को लेकर अतिउत्साह के बावजूद सऊदी अरब तथा ईरान के बीच मौजूदा तनाव के कारण पश्चिम एशिया की स्थिति अभी भी संवेदनशील बनी हुई हैं।
    • इस क्षेत्र में किसी भी युद्ध की स्थिति में पश्चिम एशियाई देशों से भारी संख्या में भारतीय नागरिकों की वापसी होगी जिसके कारण प्रेषित धन में कटौती के साथ स्थानीय रोज़गार बाज़ार पर भी दबाव बढ़ेगा।
  • नियामकीय चुनौतियाँ: वर्तमान में प्रवासी भारतीयों के लिये भारत के साथ सहयोग या देश में निवेश करने के संदर्भ में भारतीय प्रणाली में कई कमियाँ हैं। 
    • उदाहरण के लिये लालफीताशाही, मंज़ूरी मिलने में देरी, सरकार के प्रति अविश्वास आदि भारतीय प्रवासियों को अवसरों का लाभ प्राप्त करने में बाधा उत्पन्न करने का काम करते हैं।

आगे की राह: 

  • नीतिगत मामलों में पारदर्शिता: सोशल मीडिया उपकरणों ने भारतीय डायस्पोरा के लिये भारत में अपने परिवार और दोस्तों के संपर्क में रहना अधिक आसान तथा सस्ता बना दिया है एवं वर्तमान में भारत से उनका संपर्क पहले की तुलना में कहीं अधिक मज़बूत हुआ है।
    • वर्तमान में यह सबसे सही समय है कि भारत सरकार द्वारा सभी नीतिगत निर्णयों में अत्यधिक पारदर्शिता का पालन करते हुए लोगों के बीच बने इस मज़बूत बंधन का  लाभ अपने राष्ट्रीय हितों के लिये उठाया जाए।
  • नीति की आवश्यकता: वर्तमान में विश्व के कई सक्रिय संघर्ष क्षेत्रों में  बगैर किसी चेतावनी के भारी संकट आने की संभावना बनी रहती है और सरकारों को प्रतिक्रिया व्यक्त करने के लिये बहुत कम समय मिलता है। ऐसे में संघर्ष क्षेत्रों से प्रवासी भारतीयों को सुरक्षित निकालने के लिये एक रणनीतिक प्रवासी निकास नीति की आवश्यकता है।  
  • व्यापार सुगमता को बढ़ावा देना: ईज़ ऑफ डूइंग बिज़नेस (Ease Of Doing Business) के क्षेत्र में किये गए सुधार प्रवासियों भारतीयों द्वारा देश में आसन निवेश को सक्षम बनाने में सकारात्मक और दूरगामी परिणाम प्रदान कर सकते हैं।
    • भारत की विदेश नीति का उद्देश्य स्वच्छ भारत, स्वच्छ गंगा, मेक इन इंडिया, डिजिटल इंडिया और स्किल इंडिया जैसी प्रमुख परियोजनाओं को सफल

‘प्रवासी कूटनीति’ का संस्थागत/संस्थानीकरण किया जाना इस तथ्य का एक स्पष्ट संकेत है कि भारतीय प्रवासी समुदाय भारत की विदेश नीति और संबंधित सरकारी गतिविधियों के लिये अत्यधिक महत्त्व का विषय बन गया है।

Leave a Reply

error: Content is protected !!