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चित्रकूट जेल शूटआउट की कहानी क्या है? - श्रीनारद मीडिया

चित्रकूट जेल शूटआउट की कहानी क्या है?

चित्रकूट जेल शूटआउट की कहानी क्या है?

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श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क

उत्तर प्रदेश के चित्रकूट जेल में शुक्रवार को कैदियों के बीच खूनी गैंगवार हुआ। इसमें तीन लोगों की मौत हो गई है। पश्चिमी यूपी के गैंगस्टर अंशु दीक्षित ने मुख्तार अंसारी के खास गुर्गे मेराज और मुकीम काला की गोली मारकर हत्या कर दी। बाद में पुलिस ने एनकाउंटर में अंशुल को ढेर कर दिया। मेराज अहमद को बहुजन समाजवादी पार्टी के बाहुबली विधायक मुख्तार अंसारी का करीबी माना जाता था।

मारे गए तीनों कैदी शातिर अपराधी थे। खास बात ये है चित्रकूट जेल में ये सभी एक बैरक में रखे गए। सबसे बड़ा सवाल यह है कि कोरोना काल में जेल में कैदियों से किसी की मुलाकात नहीं हो सकती है तो अंशु दीक्षित तक पिस्टल कैसे पहुंच गई? फिलहाल CM योगी आदित्यनाथ ने जांच के लिए कमेटी बनाई है।

मेरठ: तीन पुलिस वालों की हत्या में शामिल रहा मुकीम

मुकीम काला।- फाइल फोटो

शामली के कैराना थाना क्षेत्र के जहानपुरा गांव में रहने वाले मुकीम उर्फ काला ने 2011 में सबसे पहले पानीपत में ट्रैक्टर लूटकर अपराध की शुरुआत की। मुकीम का पिता मुस्तकीम पिस्टल और तमंचे बनाने का काम करता था। जेल से छूटने के बाद पिता के कहने पर उसने 50 हजार के इनामी कग्गा से हाथ मिला लिया। 2 जून 2011 को उसने शामली में कग्गा के साथ मिलकर 86 लाख रुपए की लूट की। इसके बाद पहली बार मुकीम पुलिस और STF के रडार पर आया। 5 जुलाई 2011 को मुकीम ने कग्गा और मेहताब काला के साथ मिलकर शामली में यूपी पुलिस के सिपाही सचिन की हत्या कर दी थी। इसके बाद मुकीम मोस्ट वांटेड बन गया।

14 अक्टूबर 2011 को उसने धौला कुआं थाना बेहट, सहारनपुर में सिपाही बलवीर की हत्या कर दी। एक होमगार्ड को भी गोली मारकर घायल कर दिया। मुकीम वेस्ट यूपी की पुलिस के लिए चुनौती बन गया। 28 अक्टूबर 2011 की हरियाणा के यमुनानगर में पेट्रोल पंप लूटकर सहारनपुर के सदर इलाके में जा पहुंचा।

सीओ सदर ने पुलिस के साथ मुकीम की घेराबंदी की तो वह पुलिस पर भारी पड़ गया और सीओ सदर के गनर राहुल ढाका की हत्या कर सिपाही की कार्बाइन लूट ली थी। 15 फरवरी 2015 को सहारनपुर में तनिष्क शोरूम में 10 करोड़ की डकैती डाली थी।

वाराणसी: मुख्तार अंसारी की करीबी से मेराज ने पूर्वांचल में धाक जमाई

मेराज अहमद।- फाइल फोटो

महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ छात्रसंघ के पूर्व अध्यक्ष सुनील राय के भाई अनिल राय की हत्या 17 दिसंबर 2002 को मलदहिया में गोली मार कर की गई थी। इस हत्याकांड में मुन्ना बजरंगी सीधे शामिल नहीं था, लेकिन उसी के इशारे पर यह हत्या की गई। इसमें एके-47 का इस्तेमाल किया गया था। मेराज इस वारदात में साजिश रचने का आरोपी था। पुलिस के अनुसार मेराज ने ही अनिल राय की मुखबिरी कर शूटरों को उनकी लोकेशन बताई थी। इससे पहले अनिल राय के भाई सुनील राय की हत्या भी मुन्ना बजरंगी ने एके-47 से 6 अप्रैल 1997 को नरिया में की थी।

इसके बाद मुन्ना बजरंगी और मुख्तार के करीबी और बदमाशों को शरण देने वाले के तौर पर मेराज जाना जाने लगा। धीरे-धीरे मुख्तार से मेराज की करीबी बढ़ती गई और बनारस के अलावा गाजीपुर, मऊ सहित पूर्वांचल के अन्य जिलों में उसकी धाक बढ़ती गई। इसके बाद मेराज का नाम हत्या के किसी मामले में नहीं आया, लेकिन आर्म्स एक्ट, एनडीपीएस एक्ट, धोखाधड़ी सहित अन्य मामलों में सामने आता रहा। हथियारों का शौकीन मेराज आखिरकार शुक्रवार को जेल में गोली का शिकार हो गया।

ईद के दिन जान गई, परिवार चित्रकूट जाएगा
पहड़िया क्षेत्र की अशोक विहार कॉलोनी में रहने वाले मेराज के परिवार के लोग शुक्रवार को एक-दूसरे से ईद की खुशियां साझा कर रहे थे। इसी बीच चित्रकूट की पुलिस का फोन आया कि मेराज की हत्या कर दी गई है। इससे खुशियों की बजाय अचानक रोने-चीखने की आवाज सुनाई देने लगी। मेराज के घर में मौजूद परिवार की महिलाओं ने कुछ भी कहने या बताने से साफ इनकार कर दिया। मेराज के कुछ करीबियों ने बताया कि परिवार के लोग चित्रकूट जाने की तैयारी कर रहे हैं।

गोरखपुर: 2014 में STF ने अंशु को दबोचा था

यह फोटो 7 साल पुरानी है। अंशु पर CMO विनोद आर्या की हत्या का आरोप था।

अंशु दीक्षित को 2014 में गोरखपुर STF ने दबोचा था। उस वक्त शातिर अंशु ने देवरिया एक बड़े व्यापारी की हत्या की सुपारी ले रखी थी। वह हत्या करने की फिराक में लगा ही था कि STF की गोरखपुर यूनिट के हत्थे चढ़ गया। उस समय चर्चित रहे CMO विनोद आर्या हत्याकांड के आरोपी अंशु दीक्षित को गोरखनाथ थाना क्षेत्र के 10 नंबर बोरिंग से मुठभेड़ के बाद गिरफ्तार किया गया था।

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