Notice: Function _load_textdomain_just_in_time was called incorrectly. Translation loading for the newsmatic domain was triggered too early. This is usually an indicator for some code in the plugin or theme running too early. Translations should be loaded at the init action or later. Please see Debugging in WordPress for more information. (This message was added in version 6.7.0.) in /home/imagequo/domains/shrinaradmedia.com/public_html/wp-includes/functions.php on line 6121
कोरियाई युद्ध में भारत की भूमिका क्या थी? - श्रीनारद मीडिया

कोरियाई युद्ध में भारत की भूमिका क्या थी?

कोरियाई युद्ध में भारत की भूमिका क्या थी?

०१
WhatsApp Image 2023-11-05 at 19.07.46
priyranjan singh
IMG-20250312-WA0002
IMG-20250313-WA0003
previous arrow
next arrow
०१
WhatsApp Image 2023-11-05 at 19.07.46
priyranjan singh
IMG-20250312-WA0002
IMG-20250313-WA0003
previous arrow
next arrow

श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क

भारत ने वर्ष 2023 की G20 अध्यक्षता के दौरान सात दशक पूर्व हुए कोरियाई युद्ध में अपनी राजनयिक भूमिका के योगदान को पुनः स्मरण किया।

  • कोरियाई युद्ध में भारत की भूमिका आंशिक रूप से सफल रही, फिर भी भारत की गणना उन देशों में की जाती है, जिन्होंने युद्ध को समाप्त करने में योगदान दिया।

Korea

कोरियाई युद्ध का घटनाक्रम:

  • पृष्ठभूमि:
    • संघर्ष की जड़ वर्ष 1910-1945 के मध्य कोरिया पर जापानी नियंत्रण में निहित है।
    • जब द्वितीय विश्व युद्ध में जापान की पराजय हुई, तो मित्र देशों की सेना याल्टा सम्मेलन (1945) में “कोरिया पर फोर पॉवर ट्रस्टीशिप” स्थापित करने के लिये सहमत हुए।
    • हालाँकि यूनियन ऑफ सोवियत सोशलिस्ट रिपब्लिक (USSR) ने कोरिया पर आक्रमण किया और उत्तरी क्षेत्र पर नियंत्रण कर लिया, जबकि दक्षिण, बाकी सहयोगियों मुख्य रूप से संयुक्त राज्य अमेरिका के अधीन रहा।
      • 38वीं समानांतर उत्तर के साथ दोनों क्षेत्रों का विभाजन कर दिया गया था, जो अभी भी कोरिया को दो भागों में विभाजित करने वाली आधिकारिक सीमा बनी हुई है।
    • वर्ष 1948 में कोरिया गणराज्य (दक्षिण कोरिया) एवं डेमोक्रेटिक पीपुल्स रिपब्लिक ऑफ कोरिया (उत्तर कोरिया) की स्थापना की गई थी।
      • दोनों देशों ने क्षेत्रीय एवं वैचारिक रूप से अपनी पहुँच बढ़ाने की कोशिश की जिससे दोनों देशों के मध्य कोरियाई संघर्ष उभर कर सामने आया।
  • संघर्ष का समय:
    • वर्ष 1950 में USSR द्वारा समर्थित उत्तर कोरिया ने दक्षिण कोरिया पर हमला कर देश के अधिकांश हिस्से पर कब्ज़ा कर लिया।
      • बदले में अमेरिका के नेतृत्त्व में संयुक्त राष्ट्र बल ने जवाबी कार्रवाई की।
    • वर्ष 1951 में डगलस मैकआर्थर के नेतृत्व में अमेरिकी सेना ने 38वीं समानांतर रेखा को पार किया और उत्तर कोरिया के समर्थन से चीन में प्रवेश करने के अपने प्रयासों को गति दी।
      • अमेरिका को आगे बढ़ने से रोकने के लिये वर्ष 1951 के अंत में शांति वार्ता शुरू हुई।
    • भारत सभी प्रमुख हितधारकों- अमेरिका, USSR और चीन सहित कोरियाई प्रायद्वीप में शांति वार्ता में सक्रिय रूप से शामिल रहा।
      • वर्ष 1952 में कोरिया पर भारतीय संकल्प को संयुक्त राष्ट्र (UN) में अपनाया गया था।
    • वर्ष 1953 में संयुक्त राष्ट्र कमान, कोरियाई पीपुल्स आर्मी और चीनी पीपुल्स वॉलंटियर आर्मी के बीच कोरियाई संघर्ष-विराम समझौते पर हस्ताक्षर किये गए थे।
      • इसने शांति संधि के बिना एक आधिकारिक संघर्ष-विराम का नेतृत्त्व किया। इस प्रकार संघर्ष आधिकारिक तौर पर कभी समाप्त नहीं हुआ।
      • इसने ‘कोरियाई असैन्यीकृत ज़ोन’ (DMZ) की स्थापना का भी नेतृत्व किया जो कि उत्तर कोरिया और दक्षिण कोरिया के बीच बफर ज़ोन के रूप में कोरियाई प्रायद्वीप में भूमि की एक पट्टी है।
    • दिसंबर 1991 में उत्तर और दक्षिण कोरिया ने एक समझौते पर हस्ताक्षर किये, जिसमें आक्रामकता से बचने के लिये सहमति व्यक्त की गई थी।

कोरियाई संघर्ष में भारत की भूमिका:

  • वर्ष 1950 में प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू ने एक और विश्व युद्ध होने से रोकने तथा इन देशों के त्वरित युद्ध-विराम पर पहुँचने हेतु एक बड़ा कूटनीतिक प्रयास किया।
  • भारत द्वारा युद्धविराम करने के कुछ प्रयास विफल रहे। हालाँकि जुलाई 1953 का युद्धविराम समझौता, जिसकी अभी 70वीं वर्षगाँठ है, वर्ष 1952 में कैदियों की अदला-बदली के प्रस्तावों से संभव हुआ है।
  • भारत ने वर्ष 1952 में संयुक्त राष्ट्र और साम्यवादी पक्षों के बीच बातचीत के दौरान युद्धबंदियों (Prisoners of War- PoWs) के मुद्दे को हल करने हेतु एक आयोग का प्रस्ताव रखा था, लेकिन शुरुआत में प्रस्ताव पर कोई कार्यवाही नहीं हुई। हालाँकि जब वर्ष 1953 में वार्ता फिर से शुरू हुई तो भारत को तटस्थ राष्ट्र प्रत्यावर्तन समिति की अध्यक्षता के लिये चुना गया, जिसने 90 दिनों तक PoW को सफलतापूर्वक आयोजित किया एवं अंततः 27 जुलाई, 1953 को युद्धविराम समझौते पर हस्ताक्षर किये गए।
    • भारत लगातार उत्तर कोरिया के परमाणु और मिसाइल परीक्षणों का विरोध करता रहा है। हालाँकि इसने प्रतिबंधों को लेकर तटस्थ रुख बनाए रखा है।
  • भारत ने 60वीं पैराशूट फील्ड एम्बुलेंस भी भेजी, जिसने वर्ष 1950 और 1954 के बीच 200,000 से अधिक लोगों का इलाज करने का उत्कृष्ट कार्य किया।

उत्तर और दक्षिण कोरिया के साथ भारत के संबंध: 

  • मई 2015 में दक्षिण कोरिया के साथ द्विपक्षीय संबंधों को ‘विशेष रणनीतिक साझेदारी’ में अद्यतन किया गया। 
    • भारत को दक्षिण कोरिया की दक्षिणी नीति में एक महत्त्वपूर्ण भूमिका निभानी है, यह नीति देश के निकट क्षेत्र से परे द्विपक्षीय संबंधों का विस्तार करना चाहती है।
    • इसी तरह दक्षिण कोरिया भारत की एक्ट ईस्ट नीति में एक प्रमुख अभिकर्त्ता है जिसके तहत भारत का उद्देश्य आर्थिक सहयोग, सांस्कृतिक संबंधों को बढ़ावा देना और एशिया-प्रशांत के देशों के साथ रणनीतिक संबंधों को विकसित करना है।
  • भारत और उत्तर कोरिया के बीच 47 वर्षों से अधिक समय से राजनयिक संबंध हैं, जो गुटनिरपेक्ष आंदोलन के प्रति भारत की प्रतिबद्धता की विरासत का प्रतीक है।

आगे की राह

  • कोविड के बाद की भू-राजनीतिक व्यवस्था में बड़े बदलाव और वैश्विक आर्थिक स्थिति बिगड़ने के साथ उत्तर कोरिया अपनी पहले से ही कमज़ोर अर्थव्यवस्था को मज़बूत करने पर ध्यान केंद्रित करना चाहेगा, खासकर जब इस देश पर महामारी का काफी बुरा प्रभाव पड़ा था।
  • इसके अतिरिक्त उत्तर कोरिया, संयुक्त राज्य अमेरिका, दक्षिण कोरिया, जापान और कोरियाई प्रायद्वीप पर अन्य हितधारकों के बीच बातचीत फिर से शुरुआत की जा सकेगी।
    • ऐसे में कोरियाई प्रायद्वीप में शांति और सुरक्षा को प्रोत्साहित करने की दिशा में भारत की भूमिका रचनात्मक हो सकती है।
    • उत्तर कोरिया के नेतृत्त्व के साथ भारत के जुड़ाव को जारी रखना इन निकटस्थ स्थितियों में लाभकारी हो सकता है।
  • रूस और यूक्रेन के बीच युद्ध के वर्तमान परिदृश्य में भारतीय प्रधानमंत्री का संदेश “यह युद्ध का युग नहीं है” ने नई उम्मीद को जन्म दिया है कि भारत, जिसकी प्रस्तावित भूमिका “विश्वगुरु” की रहती है, युद्ध को समाप्त करने के लिये रूस और यूक्रेन के बीच मध्यस्थता कर सकता है।
  • यह भी पढ़े…………………
  • भारत के ऊर्जा संकट से निपटने के लिये प्रमुख चुनौतियां क्या है?
  • बाज़ार की बदलती गतिशीलता के कारण प्रतिस्पर्द्धा आयोग का महत्त्व।
  • प्रोजेक्ट टाइगर 50 वर्ष पूरे किये है,जो एक उपलब्धि है,कैसे?

 

Leave a Reply

error: Content is protected !!