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जहां वायु प्रदूषण ज्यादा, वहां कोरोना का खतरा अधिक. - श्रीनारद मीडिया

जहां वायु प्रदूषण ज्यादा, वहां कोरोना का खतरा अधिक.

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श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क

अगर आप दिल्ली, महाराष्ट्र, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश और तमिलनाडु जैसे राज्यों के बड़े और औद्योगिक शहरों में रहते हैं तो सावधान हो जाइए क्योंकि आपके कोरोना वायरस के संक्रमण की चपेट में आने का खतरा ज्यादा है। ऐसा वायु प्रदूषण की वजह से हैं।

सावधान करने वाली यह जानकारी देश में कराए गए एक नवीनतम अध्ययन में सामने आई है। इसके मुताबिक जिन दिल्ली, मुंबई, पुणे, लखनऊ, वाराणसी, कोलकाता, बंगलोर और सूरत समेत 16 शहरों में कोरोना संक्रमण के ज्यादा मामले पाए गए हैं, उनमें वायु प्रदूषण पीएम2.5 का स्तर भी ज्यादा मिला है। इसके लिए कोई और नहीं पारंपरिक ईंधन पर आधारित मानवजनित गतिविधियां ही जिम्मेदार हैं।

अध्ययन के लेखकों में से एक और सिस्टम आफ एयर क्वालिटी एंड वेदर फोरकास्टिंग एंड रिसर्च (सफर) के निदेशक गुरफान बेग के मुताबिक यह अध्ययन देश के 721 जिलों में किया गया। इसमें पीएम2.5 स्तर और कोरोना संक्रमण और उसकी वजह से होने वाली मौतों के बीच ठोस संबंध का पता चलता है।

क्या है पीएम2.5 ?

सवाल उठता है कि पीएम2.5 क्या है और इससे हमारे स्वास्थ्य को क्या नुकसान पहुंचता है। पीएम से मतलब पार्टिकुलेट मैटर से है, जिसे कण प्रदूषण भी कहा जाता है। यह हवा में पाए जाने वाले ठोस और तरल बूंदों के मिश्रण के लिए शब्द है। पीएम2.5 बहुत छोटे-छोटे कण होते हैं जो आंखों से नजर नहीं आते। ये इतने महीन होते हैं कि हमारे सिर का एक बाल भी इनसे 30 गुना ज्यादा मोटा होता है। हम जब सांस लेते हैं तो ये कण हमारे शरीर में घुस जाते हैं और फेफड़ों एवं कभी-कभी रक्तप्रवाह तक में प्रवेश कर जाते हैं। इसके चलते स्वास्थ्य संबंधी कई तरह की परेशानियां पैदा होती हैं, खासकर सांस संबंधी।

यह अध्ययन करने वाली टीम में भुवनेश्वर स्थित उत्कल विश्वविद्यालय, पुणे स्थित भारतीय उष्णकटिबंधीय मौसम विज्ञान संस्थान, राउरकेला स्थित राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान और आइआइटी-भुवनेश्वर के शोधकर्ता शामिल थे। टीम ने पिछले साल पांच नवंबर तक इन जिलों में उत्सर्जन, वायु की गुणवत्ता और कोरोना संक्रमण के मामलों और उससे होने वाली मौतों का अध्ययन किया।

यह अध्ययन भारत के लिए कोरोना संक्रमण और वायु प्रदूषण के बीच पहला व्यवहारिक साक्ष्य प्रस्तुत करता है। इससे यह साफ हो गया है कि इन शहरों में ज्यादा प्रदूषण वाले इलाकों के कोरोना संक्रमण की चपेट में आने का खतरा ज्यादा है।

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