जइसे सुहागिन के हाथ में चुड़ी शोभेला, वैसे ही हिन्दी के श्रंगार भोजपुरी ह

जइसे सुहागिन के हाथ में चुड़ी शोभेला, वैसे ही हिन्दी के श्रंगार भोजपुरी ह

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जय भोजपुरी- जय भोजपुरिया मंच के तहत छठियांव में आयोजित हुआ कार्यक्रम

 

भोजपुरी कवि सम्मलेन सह सम्मान समारोह में पहुंची कई बड़ी हस्तियां

 

भोरे ( गोपालगंज ) भोजपुरी को विश्व में ख्याति दिलाने के लिए रविवार को भोजपुरी के कवियों ने हुंकार भरा. मौका था जय भोजपुरी-जय भोजपुरिया मंच के तत्वावधान में प्रखंड के अमहीं मिश्र छठियांव बाजार में आयोजित भोजपुरी साहित्यिक आ सांस्कृतिक महोत्सव का. कार्यक्रम के पहले सत्र में कवि सम्मलेन सह सम्मान समारोह का आयोजन किया गया. जिसमें कवियों ने भोजपुरी के मान और ख्याति को लेकर अमहीं की मिट्टी से गर्जना की. इससे पूर्व कार्यक्रम का विधिवत उद्घाटन बिहार पुलिस के पूर्व आईजी डॉ. विनोद कुमार चौधरी ने दीप प्रज्जवलित कर किया. इसके साथ-साथ भोजपुरी के कवि स्व. राधामोहन चौबे और लोक गायिका स्व. तिस्ता के तैल चित्र पर माल्यार्पण कर उन्हें श्रद्वांजलि दी गयी. पूर्व आईजी विनोद चौधरी ने कहा कि भोजपुरी भाषा अपने आप में एक संस्कृति है, यह भाषा लोगों को अपनाती है. इस भाषा पर अश्लीलता हावी हो रही है. जिसे लेकर यह जय भोजपुरी-जय भोजपुरिया ने मुहिम छेड़ रखी है. जो अपने आन एक सराहनीय प्रयास है. वहीं कार्यक्रम में शामिल होने आये बिहार पुलिस एसोशिएसन के कोषाध्यक्ष जियाउल हक ने कहा कि जइसे सुहागिन के हाथ में चुड़ी शोभेला, वैसे ही हिन्दी के श्रंगार भोजपुरी ह. उन्होंने कहा कि भोजपुरी पुलिस के राष्ट्रीय भाषा ह. स्वतंत्रता संग्राम में बाबू वीर कुंवर सिंह भोजपुरिया जवान रहले, मंगल पांडेय भी भोजपुरिया रहले. ऐही से ऐ भाषा के आपन एक अलग महत्व बा. वहीं जद यू कला संस्कृति मंच् के प्रदेश उपाध्यक्ष मंटू उपाध्याय ने भी भोजपुरी के व्याप्त अश्लीलता को हटाने के चल रहे इस अभियान की सराहना की. मौके पर जय भोजपुरी- जय भोजपुरिया मंच के अध्यक्ष सतीश चंद्र त्रिपाठी, कांग्रेस नेता अमुल्य रत्न शुक्ल जुगानी, कौशल किशोर मिश्र उर्फ डिंपल मिश्र, दुर्गेश्वर नाथ तिवारी, कुंज बिहारी मिश्र, ददन त्रिपाठी, केशव तिवारी आदि लोग मौजूद रहे.

डॉ. अनिल चौबे को अंजन, तो रूद्रांश सिंह को मिला तिस्ता सम्मान

सबसे पहले सम्मान समारोह आयोजित हुआ. जिसमें प्रमुख भोजपुरी कवि रहे स्व. राधामोहन चौबे के सम्मान में दिया जाने वाला अंजन सम्मान प्रमुख हास्य कवि डॉ. अनिल चौबे को दिया गया. वहीं भोजपुरी साहित्य में विशिष्ट योगदान के लिए दिया जाने वाला साहित्य सम्मान आरा के अमरेंद्र सिंह तथा पंचदेवरी की माया शर्मा को दिया गया. वादन के क्षेत्र में उल्लेखनीय योगदान के लिए दिया जाने वाला तिस्ता सम्मान वाराणसी के मशहुर बाल तबला वादक रूद्रांश प्रताप सिंह को मिला. वहीं गायकी के क्षेत्र में योगदान के लिए दिया जाने वाला गायिका सम्मान भोजपुरी लोकगीत गायिका प्रीति कुशवाहा को प्रदान किया गया.

डॉ. अनिल चौबे की कविता को सुन कर मंत्र मुग्ध हुए श्रोता

अंतर्राष्टीय स्तर के कवि डॉ. अनिल चौबे ने कवि सम्मलेन में जब कविता का पाठ करना शुरू किया, पूरा पंडाल तालियों की गड़गड़ाहट से गुंज उठा. डॉ. अनिल चौबे ने कहा कि ना दिक्कत बा सुखा से, नो बिजली बत्ती पानी से, हमरा त परेशानी बा मेहर के प्रधानी से…. इतिहास गवाह की नारी से लागेला लेंढा, कजरा के पंजरा से पनिगर मदर हो जाले भेंडा… काका कहत कहावत रहले पड़ले राम कुकुर के पाले, धइलस पोंछ पटकलस खाले. इसके आलावे मदन माहन पांडेय, आकाश महेश पुरी, अवध किशेर अवधु, सान्या राय, नंदेश्वर मिश्र नंद, अभय कुमार त्रिपाठी, बाबू राम भगत, जितेंद्र तिवारी, श्री दुर्गेश दुर्लभ, मदुसुदन पांडेय, सुजीत पांडेय, आके भट्ट, सत्य प्रकाश शुक्ल, माया शर्मा, अरविंद श्रीवास्तव, कृष्ण मुरारी राय, नुरैन अंसारी, मधुबाला सिन्हा, अमित कुमार मिश्र ने अपनी अपनी रचनाएं प्रस्तुत की.

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