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बाबा की पसन्द बुलडोजर, मामा की पसन्द बुलडोजर आखिर क्यों? - श्रीनारद मीडिया

बाबा की पसन्द बुलडोजर, मामा की पसन्द बुलडोजर आखिर क्यों?

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श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क

उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, गुजरात के बाद अब दिल्ली में भी दंगाईयों के ठिकानों पर सरकार का बुलडोजर चला है।

बुलडोजर की परिभाषा

बुलडोजर शब्द मजबूत सांडों से निकलकर सामने आया है। बुल डोज यानी इतनी बाड़ी मात्रा का डोज जो किसी बैल के लिए प्रभावी हो या उसकी तरह प्रभावी हो। इस शब्द का उपयोग किसी दवा या सजा के लिए भी किया जाता था। पहला बुलडोजर का आविष्कार जेम्स कमिंग्स और जे अर्ल मैकलियोड ने 1923 में मोरोविल, कान्सास में किया था। उन्होंने एक ऐसा बड़ा ब्लेड बनाया जो ट्रैक्टर के सामने से जुड़ सकता था।

वे जिस ट्रैक्टर का उपयोग करते थे वह खेतों की जुताई के लिए बनाया गया था। इस “अटैचमेंट फॉर ट्रैक्टर्स” के लिए उनका पेटेंट 1925 में स्वीकृत किया गया था।बु लडोजर शब्द तकनीकी रूप से केवल फावड़े की तरह के ब्लेड को संदर्भित करता है, वर्षों से लोग बुलडोजर शब्द को ब्लेड और क्रॉलर ट्रैक्टर दोनों को मिलाकर पूरे वाहन से संदर्भित करते हैं। अतीत में, दुनिया भर में बुलडोजर का इस्तेमाल केवल खेती किसानी में होता था।

लेकिन धीरे-धीरे इसका इस्तेमाल इमारतों को धराशायी करने और सड़कों को बनाने के लिए सतह को समतल और सपाट करने में होने लगा। शुरुआती दौर में बुलडोजर एक अटैचमेंट हुआ करता था, जिसे किसी ट्रैक्टर आदि से जोड़ा जाता था। लेकिन 1940 आते-आते ये एक मशीन में बदल गया।

पहले विश्व युद्ध संग कनेक्शन

कहा जाता है कि 1870 में अमेरिका में बुलडोज शब्दा का इस्तेमाल बतौर धनकी के तौर पर किया गया था। 1876 के राष्ट्रपति चुनाव में भी बुलडोजर शब्द गूंजा। जिसके बाद से ही बुलडोजर शब्द ताकत का पर्याय बन गया। बुलडोजर की सहायता से ही पहले विश्व युद्ध के वक्त हथियारों से लैस और बख्तरबंद बुलडोजर बनाए गए थे। रास्ते की रुकावटों को हटाते हुए जगह को समतल करने की इसकी खायिसत की वजह से ही इसे अनेक कामों में इस्तेमाल में लाया जाने लगा।

कितने प्रकार के बुलडोजर होते हैं

बुलडोजर का उपयोग विभिन्न प्रकार के इलाकों में उनके डिजाइन के कारण किया जाता है। मुख्य विशेषताएं जो डोजर्स को अलग करती हैं वे हैं ब्लेड, रिपर, और क्या टायर या ट्रैक। मुख्यत: तीन प्रकार के बुलडोजर होते हैं। विशिष्ट परियोजना के आधार पर चुनने के लिए अलग-अलग बुलडोजर के प्रकार हैं।  बुलडोजर का चयन करते समय जिस प्रकार के इलाके पर काम किया जा रहा है और प्रोजेक्ट के प्रकार और अन्य मानदंड महत्वपूर्ण कारक हैं।

क्रॉलर बुलडोजर- क्रॉलर को कभी-कभी ट्रैक बुलडोजर के रूप में संदर्भित किया जाता है और यह ट्रैक्टर के समान दिखता है। यह हैवीवेट भारी सामग्री को एक क्षेत्र से दूसरे क्षेत्र में ले जाने के लिए बहुत उपयोगी है। बड़े क्रॉलर में रिपर होते हैं जो घने इलाके को कुचलने और साफ़ करने में सहायता करते हैं।

व्हील बुलडोजर- इस मशीन को कभी-कभी टायर बुलडोजर कहा जाता है और यह आमतौर पर क्रॉलर से बड़ी होती है। क्रॉलर की तुलना में व्हील डोजर अधिक चलने योग्य होता है क्योंकि इसके टायर बेहतर समग्र हैंडलिंग प्रदान करते हैं। इसमें हाइड्रोलिक स्टीयरिंग भी जोड़ा गया है। इसका इस्तेमाल सड़क निर्माण में किया जाता है और आप अक्सर हाइवे पर इससे रूबरू हो सकते हैं।

मिनी बुलडोजर- इसे कॉम्पैक्ट बुलडोजर के नाम से भी जाना जाता है। मिनी डोजर उन परियोजनाओं के लिए बहुत अच्छा है जिनके लिए बड़ी मशीनरी की तुलना में अधिक गतिशीलता की आवश्यकता होती है।

बुलडोजर ब्लेड- उपयोग किए गए ब्लेड के आधार पर उपरोक्त बुलडोजर प्रकारों को और वर्गीकृत किया जा सकता है। विभिन्न ब्लेड विभिन्न उद्देश्यों की पूर्ति करते हैं। जैसे रिपर का इस्तेमाल खुदाई के लिए किया जाता है इसलिए इसके आगे पंजे जैसे धातु के यंत्र लगे होते हैं और ये तेज और नुकीले होते हैं। ऐसे ही कई बुलडोजर में लोहे का ब्लेड लगा होता है. ये एक बार में ढेर सारा मलबा उठा लेता है।

बुलडोजर की माइलेज?

बुलडोजर को रखने में क्या हाथी पालने जैसा खर्च आता है। जेसीबी 3डीएक्स इको एक्सीलेंस अधिकतम एक घंटे में 4 लीटर डीजल की खपत करता है। खुदाई के दौरान अधिकतम डीजल की खपत होती है। वहीं बुलडोजर या जेसीबी 4-6 लीटर प्रति घंटे का माइलेज देता है उसे बेहतर माना जाता है।

बुलडोजर बनाने वाली कंपनियां 

चीन का शांगतुई, अमेरिका का जॉन डीरे, जापान में स्थित कोमात्सु, अमेरिका का कैटरपिलर और चीन का लियूगोंग ये दुनिया की पांच प्रमुख बुलडोजर बनाने वाली कंपनियां हैं। इंडस्ट्री के आंकड़ों के अनुसार भारत में हर साल करीब 40 हजार बुलडोजर बनते हैं। यहां हर महीने औसतन 3500 बुलडोजर बनते हैं, जो जेसीबी, टाटा हिटाची, महिंद्रा, एस्कॉर्ट्स, एसीई जैसी कंपनियां बनाती हैं। भारत में बने कुल बुलडोजर का करीब 70-75 फीसदी उत्पादन तो अकेली जेसीबी ही करती है। अगर एक बुलडोजर की कीमत की बात करें तो यह करीब 30 लाख का पड़ता है। हालांकि, जितनी अधिक पावर का बुलडोजर आप लेते हैं, आपको उसके दाम भी उतने ही अधिक चुकाने होंगे।

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