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रेलवे परीक्षा के विरोध में क्यों उतरे हजारों उम्मीदवार? - श्रीनारद मीडिया

रेलवे परीक्षा के विरोध में क्यों उतरे हजारों उम्मीदवार?

रेलवे परीक्षा के विरोध में क्यों उतरे हजारों उम्मीदवार?

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35 हजार पद, 1.25 करोड़ कैंडिडेट

श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क

उम्मीदवारों के भारी विरोध को देखते हुए रेलवे ने अपनी एनटीपीसी और ग्रुप डी परीक्षा को स्थगित करते हुए एक हाई लेवल पांच सदस्यीय कमेटी का गठन किया है। सोमवार को बिहार में हजारों कैंडिडेट्स ने रेलवे की भर्ती परीक्षा में धांधली का आरोप लगाते हुए हिंसक विरोध प्रदर्शन किया था। कैंडिडेट्स का ये विरोध प्रदर्शन 26 जनवरी को भी जारी रहा, जिसके बाद रेलवे ने भर्ती परीक्षा को स्थगित करते हुए जांच कमेटी बैठा दी है।

रेलवे भर्ती के किन पदों के लिए हो रहा बवाल?

रेलवे के जिन पदों पर भर्ती के लिए बवाल हो रहा है, उन पदों की संख्या 35 हजार से ज्यादा है और उनके लिए 1.25 करोड़ कैंडिडेट्स ने आवेदन किया था।

रेलवे भर्ती बोर्ड (RRB) ने नॉन टेक्निकल पॉपुलर कैटेगरीज (NTPC) के लिए जनवरी 2019 में 35277 पदों की घोषणा करते हुए फरवरी 2019 में इसका नोटिफिकेशन जारी किया था। इसमें ग्रेजुएट और अंडर-ग्रेजुएट दोनों पोस्ट शामिल थे।

इस आवेदन के जरिए रेलवे जूनियर क्लर्क, ट्रेन असिस्टेंट, गार्ड, टाइम कीपर से लेकर स्टेशन मास्टर तक के पदों पर अपने विभिन्न जोनों के लिए भर्ती कर रहा है।

इस भर्ती परीक्षा में 10,628 पदों के लिए न्यूनतम योग्यता 10+2 है। वहीं 24,649 पदों के लिए न्यूनतम योग्यता ग्रेजुएशन है। सभी पदों को पांच वेतनमान- लेवल 2 से लेवल 6 तक में बांटा गया है।

12वीं पास के पदों के लिए लेवल 2 और लेवल 3 में 19900 रुपए और 21700 रुपए का वेतनमान है, तो वहीं ग्रेजुएशन के पदों के लिए लेवल 4 से लेवल 6 तक के लिए क्रमश: 25500 रुपए, 29200 रुपए और 35400 रुपए वेतनमान रखा गया है।

कैसे हुई थी रेलवे की भर्ती परीक्षा?

रेलवे के इस 35 हजार पद के लिए करीब 1.25 करोड़ कैंडिडेट्स ने आवेदन किया था। रेलवे ने सभी कैंडिडेट्स के स्क्रीनिंग प्रोसेस के लिए एक कॉमन टेस्ट लिया, जिसे कम्यूटर बेस्ड टेस्ट-1 (CTBT-1) कहा जाता है।

रेलवे ने इन पदों की घोषणा जनवरी 2019 में की थी, परीक्षा की संभावित डेट सितंबर 2019 थी, लेकिन ये मार्च 2020 तक टल गई थी। इसके बाद कोविड लॉकडाउन की वजह से ये फिर स्थगित हुई और आखिरकार कम्प्यूटर बेस्ड टेस्ट-1 (CTBT-1) की परीक्षा दिसंबर 2020 से जुलाई 2021 तक सात चरणों में आयोजित हुई थी।

CTBT-1 परीक्षा का रिजल्ट 14-15 जनवरी 2022 को घोषित किया गया था।

रेलवे ने कैंडिडेट्स के विरोध के बाद परीक्षा टाली

रेलवे भर्ती बोर्ड (RRB) के नॉन टेक्निकल पॉपुलर कैटेगरीज (NTPC) के इन 35 हजार पदों के लिए अगले राउंड की परीक्षा, यानी कम्प्यूटर बेस्ड टेस्ट-2 (CTBT-2) 15 फरवरी 2022 को आयोजित की जानी थी, लेकिन रेलवे ने कैंडिडेट्स के विरोध को देखते हुए फिलहाल इस परीक्षा को स्थगित कर दिया है।

रिजल्ट के संबंध में कैंडिडेट्स की चिंताओं और शंकाओं के समाधान के लिए रेलवे ने एक हाई पावर कमेटी का गठन किया है।

कैंडिडेट्स को अपनी शिकायतें और सुझाव दर्ज कराने के लिए करीब तीन हफ्तों यानी 16 फरवरी तक का समय दिया गया है। संबंधित पक्षों की शिकायतों को सुनने के बाद कमेटी 4 मार्च को रेल मंत्रालय को अपनी रिपोर्ट सौंपेगी। कैंडिडेट 16 फरवरी तक rrbcommittee@railnet.gov.in इस ईमेल पर अपनी शिकायतें और सुझाव दर्ज करा सकते हैं।

रेलवे ने इस परीक्षा के अलावा रेलवे भर्ती बोर्ड (RRB) की ग्रुप डी (RRC-01/2019) की 23 फरवरी को होने वाली कम्प्यूटर बेस्ड टेस्ट-1 (CTBT-1) परीक्षा को भी स्थगित कर दिया है।

रेलवे भर्ती के खिलाफ सड़कों पर क्यों उतरे हजारों छात्र?

बिहार में हजारों उम्मीदवार रेलवे भर्ती बोर्ड की नॉन टेक्निकल पॉपुलर कैटेगरीज (RRB-NTPC) परीक्षा में धांधली का आरोप लगाते हुए सोमवार को सड़कों पर उतर आए और कई जगह ट्रेन की पटरियों पर बैठते हुए ट्रेनों को रोक दिया। 26 जनवरी यानी गणतंत्र दिवस के दिन भी कैंडिडेट्स का विरोध प्रदर्शन जारी रहा और गया में उन्होंने एक ट्रेन को आगे के हवाले कर दिया।

ऐसे में चलिए ये समझते हैं कि आखिर क्यों हजारों छात्र रेलवे भर्ती की परीक्षा को लेकर नाराज हैं:

  • इन 35 हजार पदों पर ज्यादा लोगों को प्रतिस्पर्धा का मौका देने के लिए रेलवे ने इस बार नियम बनाया था कि हर लेवल के लिए दूसरे चरण के कम्प्यूटर बेस्ड टेस्ट यानी CTBT-2 टेस्ट के लिए उपलब्ध पदों की संख्या से 20 गुना ज्यादा उम्मीदवारों को शॉर्टलिस्ट किया जाएगा।
  • इससे पहले 2016 में हुई रेलवे की भर्ती के लिए वैकेंसी से 15 गुना ज्यादा कैंडिडेट्स को शॉर्टलिस्ट किया था। उससे पहले की रेलवे की परीक्षाओं में वैकेंसी से 10 गुना ज्यादा छात्रों को शॉर्टलिस्ट करने का नियम था।
  • इसी वजह से इस बार कुल 35277 वैकेंसी के लिए पहले राउंड की परीक्षा के बाद 7 लाख से ज्यादा आवेदकों को शॉर्टलिस्ट किया गया था, लेकिन दूसरे राउंड के लिए वास्तव में शॉर्टलिस्ट किए गए उम्मीदवारों की असली संख्या 7 लाख नहीं बल्कि 3.84 लाख है।
  • यही कैंडिडेट्स की नाराजगी की सबसे बड़ी वजह है। कैंडिडेट्स का आरोप है कि रेलवे ने अपने वादे से मुकरते हुए दूसरे राउंड के टेस्ट के लिए शॉर्टलिस्ट उम्मीदवारों की संख्या 7 लाख से घटाकर महज 3.84 लाख कर दी।
  • रेलवे का कहना था कि शॉर्ट लिस्टिंग की प्रक्रिया आवेदनों पर निर्भर होगी। इसका मतलब है कि अगर आवेदक A ने लेवल 2 और लेवल 5 दोनों के लिए आवेदन किया था, तो उपलब्ध पदों की संख्या के 20 गुना अधिक आवेदकों को शॉर्टलिस्ट किए जाने के आधार पर, उस व्यक्ति के स्कोर को पैमाना मानते हुए उसे दोनों कैटेगरी में गिना जाएगा।
  • आंदोलनकारी कैंडिडेट्स का कहना है कि ज्यादा योग्यता वाले उम्मीदवारों के दोनों लेवल में चुने जाने से कम योग्यता वालों की उम्मीदों को झटका लगेगा।

दूसरे चरण के लिए कैंडिडेट्स की संख्या घटाए जाने पर विरोध

कैंडिडेंट्स का आरोप है कि रेलवे ने अपने नोटिफिकेशन में छात्रों से RRB- NTPC परीक्षा में पहले चरण के बाद करीब 7 लाख छात्रों को शॉर्टलिस्ट किए जाने की बात कही थी, लेकिन आखिर में दूसरे चरण की परीक्षा के लिए 3.84 लाख आवेदकों का ही चयन हुआ।

साथ ही आवेदकों का ये भी आरोप है कि शॉर्टलिस्ट कैंडिडेट्स की संख्या घटाए जाने से कट ऑफ बहुत ऊपर चला गया है। इस वजह से कई कैंडिडेंट्स जिनका दूसरे चरण की परीक्षा में चयन होना था, वह कट ऑफ ऊपर जाने से इस प्रक्रिया से बाहर हो गए हैं।

परीक्षा दो चरण में कराए जाने का विरोध

आवेदकों के विरोध की दूसरी वजह रेलवे भर्ती बोर्ड की ग्रुप-डी की परीक्षा को दो चरणों में कराए जाने को लेकर है। पहले ग्रुप-डी के लिए एक चरण में परीक्षा आयोजित होती थी।

आवेदकों का आरोप है कि सरकार ग्रुप-डी के लिए दो चरणों में परीक्षा आयोजित करके नियुक्ति की प्रक्रिया को लंबे समय तक टालना चाहती है। साथ ही दूसरे चरण की परीक्षा के बहाने छात्रों से ज्यादा आवेदन शुल्क भी वसूला जाता है। पहले रेलवे की ग्रुप-डी पदों के लिए एक ही परीक्षा आयोजित होती थी, लेकिन इस बार दो चरणों में परीक्षा कराई जा रही है।

इससे पहले हर रेलवे भर्ती बोर्ड अपनी अलग-अलग परीक्षाएं लेते थे। बाद में ये प्रक्रिया बंद हो गई और एक केंद्रीकृत भर्ती शुरू हुई थी। इस आधार पर आखिरी परीक्षा 2016 में आयोजित हुई थी, तब रेलवे ने 18 हजार पदों पर भर्ती निकाली थी, हालांकि उस समय आवेदन के लिए न्यूनतम योग्यता ग्रेजुएशन थी।

रेलवे ने दिया है क्या तर्क?

रेलवे के मुताबिक, कक्षा-12 पास कैंडिडेट्स अपनी पसंद और टेस्ट स्कोर के आधार पर लेवल 2 और लेवल 3 दोनों पदों के लिए शॉर्टलिस्ट हो सकता है। इसी तरह एक ग्रेजुएट आवेदक भी टेस्ट स्कोर के आधार पर सभी लेवल के पदों के लिए शॉर्टलिस्ट हो सकता है। इसी वजह से CTBT-2 के लिए 35 हजार पदों के लिए 7 लाख से ज्यादा कैंडिडेंट्स को शॉर्टलिस्ट किया गया था।

रेलवे का कहना है कि ज्यादा योग्यता वालों को फायदा मिलने की बात सही नहीं है। उसका कहना है कि संभव है कि CTBT-2 टेस्ट के लिए कई लेवल में शॉर्टलिस्ट कुछ कैंडिडेट कई लेवल की परीक्षाएं दे दें, लेकिन इसका मतलब ये नहीं है कि एक ही व्यक्ति को एक से ज्यादा नौकरी मिल जाएगी।

रेलवे ने इस विवाद पर कहा है कि आखिरी चरण में, जिसे डॉक्यूमेंट वेरिफिकेशन भी कहते हैं, उस दौरान रेलवे सबसे टॉप लेवल पदों की प्रक्रिया को होल्ड रखेगा। यानी सबसे पहले लेवल-6, फिर लेवल-5 इत्यादि। अगर किसी व्यक्ति को एक लेवल में नौकरी मिल जाती है, तो अगले लेवल में उसके नाम पर विचार नहीं किया जाएगा। वास्तव में, कोई भी व्यक्ति रेलवे में एक ही समय में दो अलग लेवल पर दो नौकरियां नहीं पा सकता है।

रेलवे का कहना है कि वह टॉप लेवल के लिए डॉक्युमेंट वेरिफिकेशन की प्रक्रिया को पहले होल्ड करेगा। ऐसे में अगर कोई स्टेशन मास्टर की नौकरी के लिए क्वॉलिफाई करता है, तो उसके नाम पर अन्य निचले लेवल पर, जैसे TTE या अन्य पदों के लिए विचार नहीं किया जाएगा।

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