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मणिपुर में फिर क्यों भड़की हिंसा? - श्रीनारद मीडिया

मणिपुर में फिर क्यों भड़की हिंसा?

मणिपुर में फिर क्यों भड़की हिंसा?

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श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क

 एक साल से भी ज्यादा वक्त से जातीय हिंसा की आग में झुलस रहे मणिपुर में पिछले कुछ दिनों में फिर से तनाव बढ़ा है और हिंसा हुई है। मैतई और कुकी समुदाय के बीच जो बफर जोन बनाए गए हैं वहां फिर तनाव बहुत बढ़ गया है और इस तनाव के बीच ही असम राइफल्स की दो बटालियन का वहां से हटना शुरू हो गया है। कुछ दिन पहले ही मणिपुर पुलिस ने बयान दिया कि कुकी विद्रोहियों ने ड्रोन का इस्तेमाल कर सिविल आबादी में गोलीबारी की। इसकी जांच की जा रही है।

मणिपुर में शांति की कोशिशों और उम्मीदों के बीच फिर से तनाव बढ़ गया है। ऐसे में असम राइफल्स की दो बटालियन का यहां से जाना और उनकी जगह पर सीआरपीएफ की तैनाती से जहां मैतई समुदाय खुश है वहीं कुकी समुदाय इसका लगातार विरोध कर रहा है।

मणिपुर में एक बार फिर हिंसा भड़क उठी है. सूबे के जिरीबाम में हथियारबंद समूहों के बीच हुई गोलीबारी में 5 लोगों की मौत हो गई है. पुलिस के मुताबिक जिरीबाम में आज (7 सितंबर) सुबह ताजा हिंसा में 5 लोगों की मौत हो गई. एक पुलिस अधिकारी ने बताया कि एक व्यक्ति की सोते समय गोली मारकर हत्या कर दी गई. वहीं, दो विरोधी समूहों के हथियारबंद लोगों के बीच गोलीबारी में 4 अन्य लोग मारे गए.

पुलिस के मुताबिक उग्रवादियों ने जिला मुख्यालय से करीब 5 KM दूर एक सुनसान जगह पर अकेले रहने वाले व्यक्ति के घर में घुसकर उसे सोते समय गोली मार दी. हत्या के बाद करीब 7 किलोमीटर दूर पहाड़ियों में युद्धरत समुदायों के हथियारबंद लोगों के बीच भीषण गोलीबारी हुई, जिसमें 3 पहाड़ी उग्रवादियों सहित 4 हथियारबंद लोगों की मौत हो गई.

इस सप्ताह की शुरुआत में जिले में आगजनी की घटना भी हुई थी. यहां कुछ लोगों ने बोरोबेकरा पुलिस स्टेशन के जकुराधोर में एक रिटायर्ड पुलिस अधिकारी के 3 कमरों वाले खाली पड़े घर को जला दिया था. हालांकि, आदिवासी निकाय स्वदेशी जनजाति वकालत समिति (फेरजावल और जिरीबाम) ने इस घटना में किसी भी तरह की संलिप्तता से इनकार कर दिया था.

गोलीबारी रोकने के लिए समझौता

दरअसल, 1 अगस्त को असम के कछार में CRPF की देखरेख में एक बैठक आयोजित की गई. बैठक में दो अलग-अलग समुदायों के प्रतिनिधियों ने सामान्य स्थिति बहाल करने और आगजनी और गोलीबारी की घटनाओं को रोकने के लिए समझौता किया. हालांकि, इसके बावजूद जिले में फिर से हिंसा देखी गई.

इन समुदायों के प्रतिनिधि थे मौजूद

जिरीबाम जिला प्रशासन द्वारा संचालित बैठक में असम राइफल्स और सीआरपीएफ के जवान तथा जिरीबाम जिले के हमार, मैतेई, थाडौ, पैते और मिजो समुदायों के प्रतिनिधि भी मौजूद थे. हालांकि, जिरीबाम जिले के बाहर स्थित कई हमार आदिवासी निकायों ने इस समझौते की निंदा करते हुए कहा था कि उन्हें इसके बारे में कोई जानकारी नहीं है.

मारे गए 200 से ज्यादा लोग

पिछले साल मई से लेकर अब तक इम्फाल घाटी स्थित मैतेई और आसपास के पहाड़ी इलाकों में रहने वाले कुकी और जो समूहों के बीच जातीय हिंसा में 200 से अधिक लोग मारे गए हैं. हजारों लोग बेघर हो गए हैं.

वहीं, बिष्णुपुर में उग्रवादियों के रॉकेट हमले में एक व्यक्ति की मौत और छह अन्य के घायल होने के बाद सुरक्षा बलों ने चुराचांदपुर जिले में तीन बंकर नष्ट कर दिए. पुलिस ने यह अभियान न शुक्रवार को चुराचांदपुर जिले के मुआलसांग और लाइका मुआलसौ गांव में चलाया गया था.

पीटीआई भाषा को पुलिस ने बताया,’बिष्णुपुर जिले में उग्रवादियों ने दो जगहों पर लंबी दूरी के रॉकेट दागे थे. इस हमले में एक बुजुर्ग व्यक्ति की मौत हो गई और छह अन्य नागरिक घायल हो गए थे. इसके बाद पुलिस दलों और सुरक्षा बलों ने पास के पहाड़ी इलाकों में अभियान चलाया था. इस दौरान जैसे ही बिष्णुपुर के पुलिस अधीक्षक सहित पुलिस अधिकारी क्षेत्र में पहुंचे, तो संदिग्ध उग्रवादियों ने उन पर गोलीबारी की. इसके बाद  पुलिस दल ने जवाबी कार्रवाई की और उग्रवादियों के हमले को नाकाम कर दिया.

ड्रोन के डर से लोगों ने बंद की लाइट 

इससे पहले मणिपुर के बिष्णुपुर और इंफाल पूर्वी जिले के इलाकों में लोगों ने  कई ड्रोन देखे जाने के बाद अपनी घरों की लाइट बंद कर दी. बता दें कि हाल में ही इंफाल पश्चिम जिले में दो स्थानों पर लोगों पर बम गिराने के लिए ड्रोन का प्रयोग किया गया था. बिष्णुपुर जिले के नारायणसेना, नाम्बोल कामोंग और इंफाल पूर्वी जिले के पुखाओ, दोलाईथाबी, शांतिपुर में कई ड्रोन देखे गए थे. इसके बाद . घबराए ग्रामीणों ने घरों की लाइटें बंद कर दीं.

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