भारत और मलेशिया भारतीय रुपए में व्यापार करने पर क्यों सहमत है?

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श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क

भारत और मलेशिया ने भारतीय रुपए में व्यापार करने पर सहमति जताई है। इस तंत्र से भारत-मलेशिया द्विपक्षीय व्यापार में वृद्धि होने की उम्मीद है जो कि वर्ष 2021-22 के दौरान 19.4 बिलियन अमेरिकी डॉलर का था।

  • सिंगापुर और इंडोनेशिया के बाद मलेशिया आसियान क्षेत्र में भारत का तीसरा सबसे बड़ा व्यापारिक भागीदार है, जिसका भारत के साथ द्विपक्षीय व्यापार क्रमशः 30.1 बिलियन अमेरिकी डॉलर और 26.1 बिलियन अमेरिकी डॉलर का है।

भारत और मलेशिया द्वारा भारतीय रुपए में व्यापार करने का महत्त्व:

  • परिचय: 
    • जुलाई 2022 में भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) ने भारतीय रुपए में अंतर्राष्ट्रीय व्यापार के निपटान की अनुमति दी।
    • दिसंबर 2022 में भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा शुरू किये गए ‘भारतीय रुपए में व्यापार के अंतर्राष्ट्रीय निपटान’ तंत्र के हिस्से के रूप में भारत ने रूस के साथ रुपए में विदेशी व्यापार का अपना पहला समझौता किया।
    • मार्च 2023 में RBI द्वारा 18 देशों के बैंकों को भारतीय रुपए में भुगतान का निपटान करने हेतु विशेष रुपया वोस्त्रो खाते (SRVAs) खोलने की अनुमति दी गई थी।
      • इसमें शामिल हैं: बोत्सवाना, फिज़ी, जर्मनी, गुयाना, इज़रायल, केन्या, मलेशिया, मॉरीशस, म्याँमार, न्यूज़ीलैंड, ओमान, रूस, सेशेल्स, सिंगापुर, श्रीलंका, तंजानिया, युगांडा एवं यूनाइटेड किंगडम।  
  • भारतीय रुपए में व्यापार करने के लाभ:
    • रुपए के मूल्यह्रास को नियंत्रित करना:  
      • भारत मूलतः शुद्ध आयातक देश है तथा भारतीय रुपए का मूल्य लगातार घट रहा है।
        • अंतर्राष्ट्रीय व्यापार हेतु लेन-देन के लिये रुपए का उपयोग करने से भारत से बाहर जाने वाले डॉलर के प्रवाह को रोकने में मदद मिलेगी और मुद्रा के मूल्यह्रास को कम किया जा सकेगा, हलाँकि यह “बहुत सीमित सीमा तक ही संभव हो सकेगा।
        • इस प्रकार सबसे महत्त्वपूर्ण बात यह है कि इस कदम से भारत के विदेशी मुद्रा भंडार पर दबाव कम होने की उम्मीद है।
    • वस्तुओं और सेवाओं का बेहतर मूल्य निर्धारण:  
      • भारतीय रुपए में व्यापार करने से बिलिंग क्षमता के साथ भारतीय व्यापारी अपनी वस्तुओं एवं सेवाओं के लिये बेहतर मूल्य प्राप्त कर सकते हैं।
        • इसके अलावा इस तंत्र से मुद्रा रूपांतरण प्रसार को कम करके व्यापार में दोनों पक्षों को लाभ होने की उम्मीद है।
    • रुपए की वैश्विक स्वीकृति:  
      • रुपए में अंतर्राष्ट्रीय व्यापार निपटान धीरे-धीरे मुद्रा की वैश्विक स्वीकृति में वृद्धि करेगा और अंततः एशियाई बुनियादी ढाँचा निवेश बैंक जैसे फंड बैंकों से लिये गए ऋणों को चुकाने की क्षमता में वृद्धि की उम्मीद है।
  • चुनौतियाँ: 
    • भारतीय रुपए की अस्थिरता:
      • भारतीय रुपया अस्थिर और विदेशी मुद्रा बाज़ार में उतार-चढ़ाव के अधीन माना जाता है, जो इसे कुछ अंतर्राष्ट्रीय व्यापारियों के लिये निपटान मुद्रा के रूप में कम आकर्षक बना सकता है।
    • घरेलू आपूर्ति को नियंत्रित करने में जटिलता:  
      • RBI की रिपोर्ट में चेतावनी दी गई है कि रुपए का ‘अंतर्राष्ट्रीयकरण’ संभावित रूप से घरेलू मुद्रा आपूर्ति को नियंत्रित करने और घरेलू वृहत आर्थिक स्थितियों के अनुसार ब्याज दरों को प्रभावित करने की केंद्रीय बैंक की क्षमता को सीमित कर सकता है। 
      • अंततः यह मौद्रिक नीति तैयार करने के संदर्भ में जटिलताओं का कारण बन सकता है।
    • अन्य मुद्राओं के साथ प्रतिस्पर्द्धा: भारतीय रुपए को अमेरिकी डॉलरयूरो और येन जैसी अन्य प्रमुख मुद्राओं से प्रतिस्पर्द्धा का सामना करना पड़ सकता है, जो पहले से ही अंतर्राष्ट्रीय व्यापार निपटान हेतु व्यापक रूप से स्वीकार किये जाते हैं।

वोस्त्रो खाता (Vostro Account): 

  • वोस्त्रो खाता एक एसा खाता है जिसमें घरेलू बैंक विदेशी बैंकों के लिये घरेलू मुद्रा रखते हैं, इस मामले में रुपया।
    • घरेलू बैंक इसका उपयोग अपने उन ग्राहकों को अंतर्राष्ट्रीय बैंकिंग सेवाएँ प्रदान करने हेतु करते हैं जिनको वैश्विक बैंकिंग की ज़रूरत है।
  • वोस्त्रो खाता रखने वाला बैंक विदेशी बैंक के धन के संरक्षक के रूप में कार्य करता है और मुद्रा रूपांतरण, भुगतान प्रसंस्करण एवं खाता मिलान जैसी विभिन्न सेवाएँ प्रदान करता है।

अपने अंतर्राष्ट्रीय व्यापार के वि-डॉलरीकरण की दिशा में ठोस कदम उठाने और रुपए को व्यापार योग्य मुद्रा बनाने की भारत की इच्छा रुपए के अंतर्राष्ट्रीयकरण की दिशा में महत्त्वपूर्ण कदम है। जिसके लिये भारत को महत्त्वपूर्ण सुधारों द्वारा समर्थित अपने निर्यात में वृद्धि करनी चाहिये जिसमें पूंजी खाता परिवर्तनीयता, बड़े पैमाने पर पूंजी के प्रवाह एवं बहिर्वाह को प्रबंधित करने हेतु वित्तीय बाज़ारों को मज़बूत करना शामिल है।

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