Notice: Function _load_textdomain_just_in_time was called incorrectly. Translation loading for the newsmatic domain was triggered too early. This is usually an indicator for some code in the plugin or theme running too early. Translations should be loaded at the init action or later. Please see Debugging in WordPress for more information. (This message was added in version 6.7.0.) in /home/imagequo/domains/shrinaradmedia.com/public_html/wp-includes/functions.php on line 6121
पीएम मोदी की बातें चीन को क्यों नागवार लग रही है? - श्रीनारद मीडिया

पीएम मोदी की बातें चीन को क्यों नागवार लग रही है?

पीएम मोदी की बातें चीन को क्यों नागवार लग रही है?

०१
WhatsApp Image 2023-11-05 at 19.07.46
priyranjan singh
IMG-20250312-WA0002
IMG-20250313-WA0003
previous arrow
next arrow
०१
WhatsApp Image 2023-11-05 at 19.07.46
priyranjan singh
IMG-20250312-WA0002
IMG-20250313-WA0003
previous arrow
next arrow

श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क

एक दिन पहले आसियान-भारत सालाना सम्मेलन में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने दक्षिण पूर्वी एशियाई क्षेत्र के देशों के भौगोलिक संप्रभुता को समर्थन दे कर चीन की तरफ इशारा किया था। शुक्रवार को ईस्ट एशिया सम्मेलन में पीएम मोदी ने हिंद प्रशांत क्षेत्र और साउथ चाईना सी को लेकर वह सारी बातें कहीं, जो इस क्षेत्र में आक्रामक रवैया अपना रहे चीन को नागवार गुजर सकती है।

मोदी ने समूचे हिंद प्रशांत क्षेत्र को कानून सम्मत बनाते हुए यहां की समुद्री गतिविधियों को संयुक्त राष्ट्र के संबंधित कानून (अनक्लोस) से तय होने की मांग की और साउथ चाईना सी के संदर्भ में एक ठोस व प्रभावी आचार संहिता बनाने की भी बात कही। आसियान के सभी दस सदस्य देश भी इसकी मांग कर रहे हैं।

यह युद्ध का युग नहीं: पीएम मोदी

एक दिन पहले चीन के प्रधानमंत्री ली शियांग के साथ बैठक में आसियान नेताओं ने इन मुद्दों को जोरदार तरीके से उठाया था। इसके साथ ही भारतीय प्रधानमंत्री ने दुनिया के दूसरे क्षेत्रों में चल रहे तनाव के संदर्भ में कहा, ‘विश्व के अलग-अलग क्षेत्रों में चल रहे संघर्षों का सबसे नकारात्मक प्रभाव ग्लोबल साउथ के देशों पर हो रहा है। सभी चाहते हैं कि चाहे यूरेशिया हो या पश्चिम एशिया, जल्द से जल्द शांति और स्थिरता की बहाली हो।’

उन्होंने कहा, ‘मैं बुद्ध की धरती से आता हूं और मैंने बार-बार कहा है कि यह युद्ध का युग नहीं है। समस्याओं का समाधान रणभूमि से नहीं निकल सकता। संप्रभुता, क्षेत्रीय अखंडता और अन्तर्राष्ट्रीय कानूनों का आदर करना आवश्यक है। मानवीय दृष्टिकोण रखते हुए, डायलॉग और कूटनीति को प्रमुखता देनी होगी। विश्वबंधु के दायित्व को निभाते हुए, भारत इस दिशा में हर संभव योगदान करता रहेगा।’

भारत ने आसियान के दृष्टिकोण का किया समर्थन

मोदी ने आतंकवाद भी वैश्विक शांति और सुरक्षा के लिए एक गंभीर चुनौती बताते हुए मानवता में विश्वास रखने वाली ताकतों को एकजुट होकर काम करने का आह्वान किया। लाओस की राजधानी विएनताने में पिछले दो दिनों में आसियान के नेताओं के साथ और उसके बाद ईस्ट एशिया सम्मेलन में म्यांमार की स्थिति पर चर्चा हुई है। इस मुद्दे पर भारत ने आसियान के दृष्टिकोण का समर्थन किया है।

पीएम मोदी ने कहा कि म्यांमार की स्थिति पर हम आसियान दृष्टिकोण का समर्थन करते हैं। हम पांच बिंदुओं पर बनी सहमति (म्यांमार में अशांति दूर करने के लिए प्रस्तावित) का भी समर्थन करते हैं। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि भारत म्यांमार को मानवीय सहायता बनाए रखने के पक्ष में है और लोकतंत्र की बहाली के लिए उपयुक्त कदम भी उठाए जाने चाहिए।

भारत लौटे पीएम मोदी

पीएम मोदी दोपहर बाद लाओस से नई दिल्ली के लिए रवाना हो गये। पिछले दो दिनों में उन्होंने आसियान-भारत सम्मेलन और ईस्ट एशियाा सम्मेलन में हिस्सा लिया जहां साउथ चाईना सी का मामला कई स्तरों पर उठा। विदेश मंत्रालय के सूत्रों ने बताया कि इस 19वें ईस्ट एशिया सम्मेलन में सबसे पहले पीएम मोदी को भाषण के लिए आमंत्रित किया गया।

वजह यह थी कि सम्मेलन में शामिल सभी नेताओं में सबसे ज्यादा बार (नौ बार) पीएम मोदी ने ही इस सालाना सम्मेलन में हिस्सा लिया है। यह आसियान के मामलों में भारत की बढ़ती भूमिका को भी बताता है। उन्होंने सम्मेलन में शामिल सभी नेताओं को नालंदा विश्वविद्यालय में आयोजित होने वाले उच्च शिक्षा सम्मेलन में शामिल होने के लिए आमंत्रित किया।

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने दुनिया के अलग-अलग हिस्सों में जारी संघर्षों का सबसे अधिक नकारात्मक प्रभाव ‘ग्लोबल साउथ’ के देशों पर पड़ने का उल्लेख करते हुए शुक्रवार को यूरेशिया और पश्चिम एशिया में शांति एवं स्थिरता की बहाली का आह्वान किया। मोदी ने 19वें पूर्वी एशिया शिखर सम्मेलन (EAS) को संबोधित करते हुए कहा कि समस्याओं का समाधान युद्ध के मैदान से नहीं निकल सकता। उन्होंने यह भी कहा कि स्वतंत्र, मुक्त, समावेशी, समृद्ध और नियम-आधारित हिंद-प्रशांत पूरे क्षेत्र में शांति तथा प्रगति के लिए महत्वपूर्ण है।

उन्होंने कहा कि दक्षिण चीन सागर में शांति, सुरक्षा और स्थिरता पूरे हिंद-प्रशांत क्षेत्र के हित में है। मोदी ने कहा, ‘हमारा मानना है कि समुद्री गतिविधियां संयुक्त राष्ट्र समुद्री कानून संधि (UNCLOS) के तहत संचालित की जानी चाहिए। नौवहन और वायु क्षेत्र की स्वतंत्रता सुनिश्चित करना आवश्यक है। एक मजबूत और प्रभावी आचार संहिता बनाई जानी चाहिए। और इससे क्षेत्रीय देशों की विदेश नीति पर कोई अंकुश नहीं लगना चाहिए।’

चीन पर निशाना

बिना नाम लिए उन्होंने सीमा विस्तार करने वाले चीन पर नशाना साधा। उन्होंने कहा, ‘हमारा दृष्टिकोण विकासवाद का होना चाहिए, न कि विस्तारवाद का।’ विश्व के विभिन्न भागों में चल रहे संघर्षों का सबसे अधिक नकारात्मक प्रभाव ‘ग्लोबल साउथ’ के देशों पर पड़ने का उल्लेख करते हुए मोदी ने कहा कि चाहे वह यूरेशिया हो या पश्चिम एशिया, हर कोई चाहता है कि यथाशीघ्र शांति और स्थिरता बहाल होनी चाहिए। उन्होंने कहा, ‘मैं बुद्ध की धरती से आता हूं और मैंने बार-बार कहा है कि यह युद्ध का युग नहीं है। समस्याओं का समाधान युद्ध के मैदान से नहीं निकल सकता।’

Leave a Reply

error: Content is protected !!