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गुड़ी पड़वा मराठी जनमानस के लिए क्यों खास है? - श्रीनारद मीडिया

गुड़ी पड़वा मराठी जनमानस के लिए क्यों खास है?

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श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क

गुड़ी पड़वा हिंदू कैलेंडर के अनुसार चैत्र महीने के पहले दिन पर पड़ता है. ये दिन इसलिए भी खास है क्योंकि इस दिन इस दिन मराठी समुदाय के लोग अपने नए साल की शुरुआत करते हैं. इस दिन खास तौर से लोग अपने घरों के बाहर एक खास तरह का झंडा लगाते हैं और कई तरह के धार्मिक कार्यक्रमों का आयोजन भी करते हैं. ऐसे में जानें इस साल कब है गुड़ी पड़वा और क्या है इस खास त्योहार से जुड़ा इतिहास.

गुड़ी पड़वा का पावन त्यौहार इस साल 9 अप्रैल को मनाया जाएगा. इस पर्व के साथ इसी दिन चैत्र नवरात्रि की शुरुआत भी होती है. इस दिन को अलग अलग जगहों पर अलग अलग मायनों में मनाया जाता है. इस साल गुड़ी पड़वा की तिथि 8 अप्रैल को रात 8 बजकर 20 मिनट पर शुरू होगी और अगले दिन यानी कि 9 अप्रैल को शाम 5 बजे तक रहेगी.

हिंदू पुराणों के अनुसार ऐसा माना जाता है कि भगवान ब्रह्मा ने हमारे श्रृष्टि की रचना गुड़ी पड़वा के दिन की थी. कुछ लोगों का ये भी मानना है कि इस दिन राजा शालीवाहना ने युद्ध में अपनी जीत हासिल कि थी और जब वो लौटकर अपने साम्राज्य आ रहे थे तो वहां के लोगों ने झंडे लगाकर उनका स्वागत किया था. गुड़ी पड़वा के दिन को झंडा लगाते हैं उसे गुड़ी कहा जाता है और ऐसा माना जाता है कि वह गुड़ी बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक है.

क्या है गुड़ी पड़वा की खास प्रथा

मराठी समुदाय के लोग गुड़ी पड़वा के दिन खास तौर से अपने दिन की शुरुआत सुबह के एक खास स्नान के साथ करते हैं. इस दिन के लिए तेल से नहाने की और नीम के पत्तों को खाने की एक खास प्रथा है. इस दिन सभी लोग खास तौर के पोषक पहनते हैं और कई लोग झंडे लेकर रैलियां भी करते नजर आते हैं.

एक समृद्ध सांस्कृतिक महत्व रखता है। हिंदू पौराणिक कथाओं के अनुसार, ऐसा कहा जाता है कि इस दिन भगवान ब्रम्हा ने ब्रह्मांड का निर्माण किया था। ‘गुड़ी’ शब्द का अर्थ है सजा हुआ झंडा या बैनर, जिसे इस दिन विजय और समृद्धि के प्रतीक के रूप में घरों के बाहर फहराया जाता है।

पारंपरिक तरीकों के अनुसार, गुड़ी एक बांस की छड़ी की नोक पर एक रेशमी कपड़े को लपेटकर बनाई जाती है, जो अक्सर चमकीले रंग का होता है। फिर बांस की छड़ी को मालाओं और नीम के पत्तों से सजाया जाता है और उसके ऊपर तांबे या चांदी का कलश (कलश) उल्टा रखा जाता है। फिर गुड़ी को घर के बाहर रखा जाता है, जो रावण पर भगवान राम की जीत का प्रतीक है। 

गुड़ी पड़वा कैसे मनाया जाता है? इस दिन, लोग घरों की साफ-सफाई करते हैं और रंगोली, आम के पत्तों और गेंदे के फूलों से सजाते हैं। द्रिक पंचांग के अनुसार, लोग नई शुरुआत का जश्न मनाने के लिए तेल से स्नान करते हैं और नीम की पत्तियां चबाते हैं। गुड़ी पड़वा के मौके पर बनाए जाने वाले व्यंजनों में से एक है ‘श्रीखंड-पूरी’

 

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