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खालिस्तानी आतंकियों का खात्मा क्यों आवश्यक है? - श्रीनारद मीडिया

खालिस्तानी आतंकियों का खात्मा क्यों आवश्यक है?

खालिस्तानी आतंकियों का खात्मा क्यों आवश्यक है?

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श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क

खालिस्तानी आतंकी हरदीप सिंह निज्जर की आज कनाडा में गोली मारकर हत्या कर दी गई। निज्जर को ब्रिटिश कोलंबिया प्रांत के पंजाबी बहुल सरे शहर में गुरु नानक सिख गुरुद्वारे में मारा गया। निज्जर खालिस्तान समर्थक संगठन सिख फॉर जस्टिस (SFJ) का एक्टिव मेंबर था, जिसे NIA ने अपनी वांटेड लिस्ट में भी शामिल किया था।

निज्जर ने कनाडा के ब्रैम्पटन शहर में खालिस्तान जनमत संग्रह के आयोजन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। इसको लेकर भारत भी हमेशा अलर्ट मोड में रहा है, ऐसा इसलिए क्योंकि वो भगोड़ा घोषित था।

NIA ने वर्ष 2020 में नौ आतंकियों की लिस्ट जारी की थी, जिसमें कनाडा के हरदीप सिंह निज्जर का भी नाम शामिल था। बीते दो साल में 4 खालिस्तानी आतंकियों का खात्मा हो चुका है।

डेढ़ महीने पहले केसीएफ चीफ हुआ ढेर

डेढ़ महीने पहले ही आतंकी संगठन खालिस्तान कमांडो फोर्स (केसीएफ) के चीफ परमजीत सिंह पंजवड़ की लाहौर में हत्या कर दी गई थी। परमजीत को जौहर कस्बे की सनफ्लावर सोसाइटी में घुसकर गोलियां मारी गईं, जिससे उसकी मौके पर ही मौत हो गई।

वह 1990 से पाकिस्तान में शरण लेकर बैठा था। वह वहां मलिक सरदार सिंह के नाम से रह रहा था। एनआईए की वांटेड लिस्ट में परमजीत सिंह पंजवड़ का नाम आठवें नंबर पर था।

दूसरी हत्या कनाडा में हरदीप सिंह निज्जर की हुई है। उसे भी अज्ञात हमलावरों ने गोली मारी है। निज्जर को भी 2020 में जारी की गई आतंकियों की सूची में शामिल किया गया था।

अवतार सिंह खांडा की ब्रिटेन में मौत

ब्रिटेन में बैठे खालिस्तानी नेता खालिस्तान लिबरेशन फोर्स (केएलएफ) अवतार सिंह खांडा की भी मौत हो गई थी। अवतार सिंह खंडा केएलएफ का ब्रिटेन चीफ था। खंडा ब्लड कैंसर से पीड़ित था। अवतार सिंह खांडा वारिस पंजाब दे व खालिस्तानी समर्थक अमृतपाल सिंह को पंजाब में स्थापित करने में अहम भूमिका निभा रहा था।

हरविंदर सिंह रिंदा की लाहौर में मौत

2022 में भी पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी आइएसआइ के सहयोग से ड्रोन के जरिए पंजाब में हथियार भेजने वाले आतंकी हरविंदर सिंह रिंदा की मौत हो गई थी। रिंदा आतंकी घटनाओं को अंजाम देने वाले बब्बर खालसा इंटरनेशनल (बीकेआइ) से जुड़ा था। रिंदा को किडनी की बीमारी थी और लाहौर के एक अस्पताल में उसकी इलाज के दौरान दवा की ओवर डोज से मौत हो गई थी।

पंजाब के नवांशहर में अपराध जांच एजेंसी (सीआईए) कार्यालय पर हैंड ग्रेनेड हमले में जिस आतंकी माड्यूल का भंडाफोड़ हुआ था, उसमें भी रिंदा का हाथ था।

विदेशी मुल्कों की धरती से भारत में आतंकवाद फैलाने वाले दो मोस्ट वांटेड खालिस्तानी आतंकियों का महज ‘120’ घंटे में निपट जाना एक बड़ी घटना है। खालिस्तानी आतंकी अवतार सिंह खांडा, जिसने लंदन स्थित भारतीय दूतावास पर तिरंगे को उताकर उसका अपमान किया था, 15 जून को बर्मिंघम के एक अस्पताल में उसकी मौत हो गई थी। अब यानी 19 जून को कुख्यात खालिस्तानी आतंकी हरदीप सिंह निज्जर की कनाडा में मौत हो गई। दो अज्ञात बंदूरधारियों ने निज्जर पर अंधाधुंध गोलियां बरसाई थी। ये दोनों ही आतंकी, एनआईए की वांटेड लिस्ट में शामिल थे। हरदीप सिंह निज्जर पर एनआईए ने दस लाख रुपये का इनाम रखा था।

क्या पन्नू के साथ भी कोई घटना/हादसा संभावित है

पूर्व अधिकारी बताते हैं कि एनआईए के अलावा पंजाब और हरियाणा में भी पन्नू के खिलाफ केस दर्ज हैं। वह हमारे देश का नागरिक नहीं है, इसी वजह से जांच एजेंसियों के हाथ बंध जाते हैं। कुछ देश ऐसे हैं, जहां भारत के साथ अपराधियों के प्रत्यापर्ण को लेकर संधि या समझौता हुआ है। जिन देशों के साथ ऐसा नहीं है, वहां से किसी अपराधी को भारत लाने में दिक्कत होती है। ‘पन्नू’ कभी अमेरिका में रहता तो कभी ब्रिटेन में। वहां से पन्नू जो नफरत भरे वीडियो भेजकर भारत में खालिस्तान को बढ़ा रहा है, उस पर प्रतिबंध लगाना आसान नहीं है। वजह, उन देशों में ऐसी बातों को अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता बताया जाता है। अगर उसके खिलाफ कार्रवाई होती है तो उसे मानवाधिकार का उल्लंघन कह दिया जाता है।

किसान आंदोलन से लेकर अभी तक वह लगातार पंजाब के युवाओं को खालिस्तान की मांग के लिए उकसा रहा है। जिस देश के साथ ऐसे मामलों को लेकर कोई संधि नहीं है, वहां द्विपक्षीय संबंध भी देखे जाते हैं। ऐसे मामलों में ज्यादा दखल से संबंध खराब होने का खतरा बना रहता है। पन्नू ने उन देशों में शरण नहीं ली है, वह उस देश का नागरिक है। यह नागरिकता ही उसके खिलाफ कार्रवाई में सबसे बड़ी बाधा बन जाती है।

एनआईए ने पन्नू की जमीन और दूसरी प्रॉपर्टी जब्त की है। उसमें यह आधार था कि वह देश-विरोधी गतिविधियों के लिए फंडिंग करता है। गृह मंत्रालय ने उसे यूएपीए के तहत आतंकी घोषित किया है। पूर्व अधिकारी का कहना था, जब ऐसे आरोपियों के खिलाफ कोई कानूनी रास्ता नजर नहीं आता तो सरकार हाथ पर हाथ धरे रहकर नहीं बैठ सकती। संभव है कि आने वाले समय में खालिस्तान के कई ऐसे चेहरे जमीन पर गिरते हुए नजर आएं।

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