पीएम मोदी का पापुआ न्यू गिनी का दौरा अहम क्यों?

पीएम मोदी का पापुआ न्यू गिनी का दौरा अहम क्यों?

०१
WhatsApp Image 2023-11-05 at 19.07.46
priyranjan singh
IMG-20250312-WA0002
IMG-20250313-WA0003
previous arrow
next arrow
०१
WhatsApp Image 2023-11-05 at 19.07.46
priyranjan singh
IMG-20250312-WA0002
IMG-20250313-WA0003
previous arrow
next arrow

श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के पैर छूने वाला शख्स कोई आम आदमी नहीं, बल्कि पापुआ न्यू गिनी यानी PNG के प्रधानमंत्री जेम्स मारेप हैं। राजधानी पोर्ट मोरेस्बी एयरपोर्ट पर पीएम मोदी के पहुंचते ही वहां खड़े जेम्स मारेप ने मोदी को पहले गले लगाया, फिर पैर छू लिए। इस पर मोदी ने उनकी पीठ को थपथपाकर फिर से गले लगा लिया।

जेम्स मारेप का जन्म 24 अप्रैल 1971 को हेला प्रांत के तारी में हुआ। यानी वो अभी 52 साल के हैं। मारेप देश के सबसे बड़े आदिवासी समुदाय ‘हुली’ से आते हैं। मारेप के पिता पादरी थे।

मारेप की शादी राचेल से हुई है, जो मूल रूप से पूर्वी सेपिक प्रांत की रहने वाली हैं। इन दोनों के छह बच्चे हैं।

PNG हाइलैंड्स में मिंज प्राइमरी स्कूल और कबीउफा एडवेंटिस्ट सेकेंडरी स्कूल में पढ़ाई की। मारेप ने 1993 में पापुआ न्यू गिनी यूनिवर्सिटी से ग्रेजुएशन किया। इसके बाद PNG इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल रिसर्च तारी ब्रॉन्च में ऑफिसर इंचार्ज बन गए।

उन्होंने साल 2000 में एनवायर्नमेंटल साइंस से पोस्ट ग्रेजुएशन किया। इसके बाद डिपार्टमेंट ऑफ पर्सनल मैनेजमेंट में एक्टिंग असिस्टेंट सेक्रेटरी रहे।

पॉलिटिक्स में एंट्री: हिंसा की वजह से पहला चुनाव ही रद्द हो गया

राजनीति में मारेप की एंट्री 2002 में हुई थी। उन्होंने पीपुल्स प्रोग्रेस पार्टी यानी PPP से तारी पोरी सीट से चुनाव लड़ा। हालांकि बड़े पैमाने पर हिंसा होने की वजह से साउदर्न हाइलैंड्स प्रांत में चुनाव ही रद्द हो गए।

2003 में उपचुनाव हुआ, लेकिन उनके समर्थकों ने चुनाव अधिकारी को पीट दिया। इस वजह से मारेप चुनाव हार गए। उन्होंने इस रिजल्ट को कोर्ट में चुनौती भी दी, लेकिन उनकी प्रारंभिक याचिका और बाद की अपील दोनों को खारिज कर दिया गया।

2007 में मारेप दूसरी बार चुनाव लड़े। इस दौरान मौजूदा सांसद टॉम टोमियापे को हराकर नेशनल अलायंस पार्टी से सांसद बने। प्रधानमंत्री माइकल सोमारे ने मारेप को प्रमुख संसदीय जिम्मेदारियां दीं।

2008 में प्रधानमंत्री सर माइकल सोमारे की सरकार में सिर्फ 37 साल की उम्र में मारेप शिक्षा मंत्री बने। हालांकि सिर्फ तीन साल बाद ही उनको पद से हटा दिया गया।

फरवरी 2012 में मारेप ने नेशनल अलायंस पार्टी छोड़ दी और प्रधानमंत्री पीटर ओ नील की पीपुल्स नेशनल कांग्रेस में शामिल हो गए। 2012 में ओ नील ने उन्हें वित्त मंत्री बना दिया।

भ्रष्टाचार के आरोप लगे, इस्तीफा तक देना पड़ा

इस दौरान मारेप पर भ्रष्टाचार का आरोप लगा। एंटी करप्शन बॉडी ने प्रधानमंत्री और मारेप के खिलाफ अरेस्ट वारंट जारी कर दिया। काफी आलोचना के बाद 11 अप्रैल 2019 को मारेप ने वित्त मंत्री पद से इस्तीफा दे दिया।

29 अप्रैल को मारेप ने पीपुल्स नेशनल कांग्रेस से भी इस्तीफा दे दिया। इसके बाद मारेप पांगु पार्टी में शामिल हो गए। मई 2012 में प्रधानमंत्री ओ नील ने भी इस्तीफा दे दिया।

इसी बीच देश में बड़ा राजनीतिक घटनाक्रम सामने आया। मारेप 26 सांसदों के साथ प्रधानमंत्री पद के सबसे बड़े दावेदार के तौर पर उभरे। ये सभी 26 सांसद विपक्षी पार्टी से पीपुल्स नेशनल कांग्रेस में लौट आए थे।

इसके बाद नए प्रधानमंत्री को चुनने के लिए मतदान हुआ। इसमें मारेप को 101 वोट मिले जबकि उनके प्रतिद्वंद्वी मेकेरे मोरौता को सिर्फ 8 वोट मिले।

प्रधानमंत्री बनने के बाद मारेप ने कहा था कि वे 10 साल में पापुआ न्यू गिनी को ‘दुनिया का सबसे अमीर अश्वेत ईसाइयों का देश’ बनाएंगे।

पिछले साल संसदीय चुनाव में मारेप की पार्टी ने 36 सीटें जीतीं। हालांकि छोटी पार्टियों और निर्दलीय सांसदों के समर्थन से गठबंधन सरकार बनी। एक बार फिर से संसद में मारेप निर्विरोध प्रधानमंत्री चुन लिए गए।

पीएम मोदी का पापुआ न्यू गिनी का दौरा अहम क्यों?

प्रधानमंत्री मोदी पैसिफिक आईलैंड कंट्रीज के लीडर्स के साथ होने वाली फोरम फॉर इंडिया पैसिफिक आईलैंड कॉ-ऑपरेशन समिट यानी FIPIC में शामिल होने पापुआ न्यू गिनी पहुंचे।

इसमें अमेरिकी राष्ट्रपति बाइडेन के साथ ही 14 पैसिफिक आईलैंड के देश के नेताओं को शामिल होना था। हालांकि घरेलू वजहों से बाइडेन इसमें शामिल नहीं हुए।

इन आईलैंड देशों में फिजी, पापुआ न्यू गिनी, टोंगा, तुवालु, किरिबाती, मार्शल द्वीप समूह, समोआ, वानुआतु, नीयू, माइक्रोनेशिया, कुक द्वीप समूह, पलाऊ, नाउरू और सोलोमन द्वीप शामिल हैं।

1980 के दशक से ही चीन इस क्षेत्र से आर्थिक रूप से जुड़ा हुआ है। अब उसके संबंध सिक्योरिटी फोकस्ड हो गए हैं।

पापुआ न्यू गिनी में बढ़ रहा चीन का प्रभाव पूरे इंडो पैसिफिक रीजन के लिए सुरक्षा के लिहाज से घातक हो सकता है। चीन ने अपने ‘बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव’ के तहत यहां निवेश किया हुआ है।

PNG सोना, तांबा जैसे समृद्ध संसाधनों वाला देश है। इस पर चीन ने निगाह गड़ाई हुई है। चीन के साथ एक फ्री ट्रेड डील भी हो चुकी है, जो दोनों देशों की करीबी को दिखाता है।

चीन की ओर PNG के बढ़ते झुकाव ने क्वाड यानी भारत, ऑस्ट्रेलिया, जापान और अमेरिका के लिए एक अलार्म बजा दिया है।

PNG एक बेहद रणनीतिक जगह है, जो ऑस्ट्रेलिया के करीब है। अगर यहां चीन मजबूत होता है तो ऑस्ट्रेलिया के लिए खतरा बढ़ेगा और अंततः ये क्वाड के लिए खतरनाक होगा।

रिपोर्ट्स के मुताबिक लंबे समय से क्वाड देशों ने PNG को इग्नोर किया है, जिससे अंततः चीन को बढ़त मिली। चीन के प्रभाव से सबसे ज्यादा चिंतित अमेरिका है। ऐसे में प्रधानमंत्री मोदी का यह दौरा इस क्षेत्र में संबंध बढ़ाने की कोशिश है।

Leave a Reply

error: Content is protected !!