कबहु निरामिष होईहें ना कागा

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पहलगाम घटना की तेरहवीं पर विशेष

✍️ राजेश पाण्डेय

श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क

देश के पूर्व प्रधानमंत्री स्वर्गीय अटल बिहारी वाजपेई ने कहा था कि मित्र बदले भी जा सकते हैं परंतु पड़ोसी नहीं। यह उच्च विचार उस पड़ोसी के लिए है जो अपने कर्तव्य बोध से ओत-प्रोत हो। लेकिन हमारे पड़ोसी ने अपने अस्तित्व के लिए हमारे निरिह नागरिकों एवं सेवा के जवानों पर समय-समय पर गोलीबारी करके व्यापक क्षति पहुंचाई है।
हमारे देश में कुछ लोगों का तर्क है कि सरकार सीमा की सुरक्षा करने में विफल है और सीमा पार करके पाक समर्थित आतंकवादी भारत आते हैं और रक्तपात कर जाते है। जम्मू कश्मीर के एक हजार किलोमीटर की सीमा पर पूर्णत: निगरानी करना संभव नहीं है क्योंकि यहां की भौगोलिक संरचना राजस्थान व पंजाब राज्य की सीमा से भिन्न है। जबकि अपने देश की आन-बान-शान की रक्षा करते हुए औसतन एक जवान प्रतिदिन इस भूमि पर बलिदान होता है।

पाक सेना प्रमुख का उद्बोधन

पाकिस्तान में 16 अप्रैल 2025 को दिए गए अपने भाषण में पाक सेना प्रमुख ने जिस प्रकार भारत के विरुद्ध जहर उगला, उससे यह सिद्ध हो गया था कि इसके कुछ ना कुछ परिणाम अवश्य निकलेगा। ऐसा ही हुआ जब 22 अप्रैल को कश्मीर में अनंतनाग जिले के पहलगाम में वैसरनाग घाटी में चार आतंकवादियों ने 27 निरिह जनता का धर्म पूछ कर मौत के घाट उतार दिया।

सेना का अपना देश पाकिस्तान

कश्मीर के माध्यम से पाकिस्तान हमें सदैव एक ऐसा दर्द देता रहा है कि हम समय-समय पर किंकर्तव्यविमूढ़ हो जाते हैं। पूरे विश्व में पाकिस्तान ही एक ऐसा देश है जहां की सरकार एवं आम जनमानस सेना के मातहत कार्य करती है अर्थात प्रत्येक देश की अपनी एक सेना होती है परन्तु पाकिस्तानी सेना का अपना एक देश है। दरअसल पाकिस्तान अल्लाह, आर्मी एवं अमेरिका के माध्यम से चलता है।

परन्तु 1991 में शीत युद्ध के समाप्त होने पर पाकिस्तान- अमेरिका संबंधों में परिवर्तन हुआ और पाक के अवस्थिति कि अब अमेरिका को आवश्यकता नहीं थी और रही-सही कसर 9/11 की घटना ने पूरी कर दी। अमेरिका मान बैठा कि पूरे विश्व में आतंकवाद का कारखाना पाकिस्तान में है और इसकी पुष्टि एटामाबाद से ओसामा बिन लादेन के बरामदगी से हुई।

समय-समय पर परेशान होता देश

भारत को समय-समय पर परेशान करने की कोशिश में पाकिस्तान सफल होता है तथा देश के अंदर कुछ जनता भी इस कार्य में सहयोग देती है हमारे देश में विचारों की स्वच्छंद स्वतंत्रता, बेलगाम मीडिया, सोशल मीडिया का अतिरेक हस्तक्षेप ने स्थिति को और भयावह बनाया है। हमें अपने देश पर गर्व है लेकिन उसके लिए हम कर्म नहीं करते, अपना चरित्र विकसित नहीं करते।

पाक सेना का कुकृत्य

पाकिस्तान सेना इस प्रकार कृत करके अपनी प्रासंगिकता को पूरे देश के समक्ष बनाए रखना चाहती है। पाक में सेना के पास अकूत संपत्ति है। वह सूई से शिखर तक के सामग्रियों का निर्माण करती है। आम जनता एवं पाक सरकार को भारत का भय दिखाकर ये मनमाना कार्य करते है। पाकिस्तान के पढ़े-लिखे विद्वान सदैव देश छोड़कर अन्य देशों में अपना कार्य करते है।

पाक सेना के लिए कश्मीर एक मुद्दा है जिसे वह कई कारणों से जीवित रखना चाहते है। भारत को सदैव बाधित करने के लिए आतंकवादियों द्वारा पूरे देश में हमला करवाते है। सबसे बड़ी विडम्बना है कि पाक सेना के बच्चे विश्व के बड़े-बड़े विद्यालय व महाविद्यालयों में पढ़ते है वहीं आम जनता को मकतब एवं मदरसे का ही सहारा है। शिक्षण में धर्मांधता व कट्टरता को बढ़ावा दिया जाता है जो आतंकवाद में परिणत हो जाता है।

बहरहाल जिसका जन्म हुआ है उसकी मृत्यु निश्चित है क्योंकि पाकिस्तान का जन्म 14 अगस्त 1947 का हुआ है अब यह समय के गर्त में है की पाक कब तक खंड-खंड होकर बिखर जाएगा या ऊपर वाले की कृपा से सुधर जाएगा।

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