महिलाओं को बिना बुलाये मायके नहीं जाना चाहिए- पं. मधुकर शास्त्री

महिलाओं को बिना बुलाये मायके नहीं जाना चाहिए- पं. मधुकर शास्त्री

०१
WhatsApp Image 2023-11-05 at 19.07.46
priyranjan singh
IMG-20250312-WA0002
IMG-20250313-WA0003
previous arrow
next arrow
०१
WhatsApp Image 2023-11-05 at 19.07.46
priyranjan singh
IMG-20250312-WA0002
IMG-20250313-WA0003
previous arrow
next arrow

श्रीनारद मीडिया, सीवान (बिहार):


श्री शतचंडी महायज्ञ के तत्वावधान में सीवान जिला के बड़हरिया प्रखंड के रामपुर मठिया के काली स्थान परिसर में आयोजित संगीतमयी श्रीराम कथा के दौरान कथावाचक पं मधुकर शास्त्री जी ने उपस्थित श्रोताओं से कहा कि रामकथा की महिमा का रोचक वर्णन कर श्रोताओं को मनमुग्ध कर दिया।

उन्होंने कहा कि इस कलियुग में श्रीराम नाम ही भवसागर से पार उतरने का सर्वोत्तम साधन है। उन्होंने कहा कि शांत और एकांत होकर मनोयोग से श्रीराम कथा सुनने से मनुष्य को आत्मिक शांति मिलती है। उन्होंने श्रीराम कथा के दौरान रविवार की देर शाम को भगवान शिव व माता पार्वती विवाह का सुंदर वृतांत श्रद्धालुओं को सुनाया।भगवान शंकर भक्तों द्वारा अर्पित भक्ति से देवों के देव महादेव बहुत जल्दी प्रसन्न हो जाते हैं। वे तो औघड़ दानी हैं।वे अपने भक्तों के संकटों को हरने के साथ ही उनकी इच्छाओं को भी पूर्ण करते हैं।

कथावाचक पं मधुकर जी शास्त्री ने जहां से बुलावा नहीं आये,वहां नहीं जाना चाहिए। माताओं को बिना बुलावे मायके कदापि नहीं जाना चाहिए। कथा प्रसंग में उन्होंने श्रद्धालुओं से कहा कि माता सती के पिता दक्ष ने यज्ञ का आयोजन किया था। इस यज्ञ में उन्होंने भगवान शिव को निमंत्रण नहीं दिया और माता सती बिना निमंत्रण के ही यज्ञ में पहुंच गई। लेकिन वहां भगवान शिव को देख सती के पिता राजा दक्ष गुस्से से लाल पीले हो गए और उन्होंने भगवान शिव का अनादर कर दिया। भगवान शिव के अनादर को माता सती बर्दाश्त नहीं कर सकीं और उन्होंने अग्निकुंड में कूदकर अपना शरीर अग्निदेवता को समर्पित कर दिया।

 

उन्होंने कहा कोई भी पत्नी अपने पति का अपमान कतई सहन नहीं कर सकती। माता पार्वती को भी भगवान शंकर का अपमान सहन नहीं होना स्वाभाविक था। हालांकि बाद में सती ने माता पार्वती के रूप में जन्म लिया और भगवान शंकर से उनका विवाह हुआ।कथा मंच का सरस संचालन किशोर श्रीवास्तव ने किया।इस मौके पर समाजसेवी डॉ अशरफ अली ने कहा कि यज्ञ से आध्यात्मिक सुख की प्राप्ति होती है। हवन पूजनादि से वातावरण शुद्ध होती है और ईश्वर का नाम लेने से जिह्वा शुद्ध होती है। उन्होंने कहा कि अत्याचार और अनाचर बढ़ने भारतभूमि ईश्वर के अंश का अवतार होता रहा है।

 

संसार के कष्टों से पार पाने के लिए ईश्वर का स्मरण करना आवश्यक है। इस दौरान आचार्य प्रो पं रामराज उपाध्याय, पं संतोष तिवारी, पं दीपक मिश्र,पं चंद्रप्रकाश पांडेय, पं द्विजराज तिवारी,पं निरंजन तिवारी के साथ महायज्ञ समिति के अध्यक्ष डॉ टीएन गिरि, मुखिया प्रतिनिधि बबुआ जी,पैक्स अध्यक्ष मनोरंजन सिंह,पूर्व सरपंच बीजेंद्र सिंह,अधिवक्ता लालबहादुर यादव, हरेराम गिरि,राकेश गिरि,सचिन पर्वत, अशोक गिरि,बीरेंद्र गिरि,पप्पू यादव,प्रदीप गिरि,गौतम गिरि,विनोबा गिरि,मुकेश गिरि,भगवान गिरि,अनु गिरि,सुबोध गिरि, जगलाल यादव,रामलक्ष्मण गिरि सहित अन्य गणमान्य उपस्थित थे। प्रवचन के बाद दरभंगा की रामलीला मंडली द्वारा लीला का मंचन किया गया।

यह भी पढ़े

क्या शराब बिहार सरकार के गले की हड्डी बन गई है?

मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने राजगीर में महिला एशियन हॉकी चैंपियंस ट्रॉफी का उद्घाटन किया

सिधवलिया की खबरें :  पहले दिन बारह पैक्सो के लिए मात्र अध्यक्ष पद के सात प्रत्याशियों ने नामांकन किया

ठंड के साथ गंभीर वायु प्रदूषण ने उत्तरी भारत को अपनी चपेट में ले लिया है

 

Leave a Reply

error: Content is protected !!