सुरक्षित व संस्थागत प्रसव की ओर महिलाओं ने बढ़ाया कदम, 11 प्रतिशत की हुई बढ़ोतरी.

सुरक्षित व संस्थागत प्रसव की ओर महिलाओं ने बढ़ाया कदम, 11 प्रतिशत की हुई बढ़ोतरी.

०१
WhatsApp Image 2023-11-05 at 19.07.46
priyranjan singh
IMG-20250312-WA0002
IMG-20250313-WA0003
previous arrow
next arrow
०१
WhatsApp Image 2023-11-05 at 19.07.46
priyranjan singh
IMG-20250312-WA0002
IMG-20250313-WA0003
previous arrow
next arrow

• 62.0 प्रतिशत से बढ़कर 73.0 प्रतिशत हुआ आंकड़ा
• राष्ट्रीय परिवार एवं स्वास्थ्य सर्वे-5 का आंकड़ा जारी
• घरेलू प्रसव में 8.5 प्रतिशत की आयी कमी

श्रीनारद मीडिया,पंकज मिश्रा,छपरा,सारण.

छपरा जिले में गृह प्रसव को दरकिनार कर महिलाओं ने सुरक्षित व संस्थागत प्रसव की तरफ अपना कदम बढ़ाया है। स्वास्थ्य विभाग द्वारा संस्थागत प्रसव को अधिकाधिक बढ़ावा देने के लिए किये गये प्रयासों का सकारात्मक असर दिख रहा है। गर्भवती महिलाओं के प्रसव प्रबंधन की दिशा में आशा कार्यकर्ता व आंगनबाड़ी सेविकाओं के माध्यम से सामुदायिक स्तर पर लायी गयी जागरूकता और स्वास्थ्य केंद्रों पर आधारभूत संरचना में बदलाव से संस्थागत प्रसव की तस्वीर बदल रही है।

सिविल सर्जन डॉ. सागर दुलाल सिन्हा ने बताया सुरक्षित प्रसव के लिए संस्थागत प्रसव जरूरी है। संस्थागत प्रसव अस्पताल में प्रशिक्षित और सक्षम स्वास्थ्य कर्मी की देख-रेख में करायी जाती है। अस्पतालों में मातृ एवं शिशु सुरक्षा के लिए भी सारी सुविधाएं उपलब्ध रहती हैं। साथ ही किसी भी आपात स्थिति यथा रक्त की अल्पता या एस्पेक्सिया जैसी समस्याओं से निपटने को तमाम सुविधाएं अस्पतालों में उपलब्ध होती हैं।

संस्थागत प्रसव में 11 प्रतिशत का हुआ इजाफा:
हाल ही जारी किये गये राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वे—5 के अनुसार जिले में संस्थागत प्रसव में बदलाव देखने को मिला है। बीते पांच सालों में संस्थागत प्रसव के फायदों के प्रति आयी जागरूकता के कारण इसमें 11 प्रतिशत का इजाफा हुआ है। पूर्व में राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वे—4 की रिपोर्ट बताती संस्थागत प्रसव दर 62 प्रतिशत था, जो अब 73 प्रतिशत हो गया है।

वहीं एनएफएचएस—4 में सरकारी स्वास्थ्य संस्थानों में संस्थागत प्रसव दर 44 प्रतिशत रहा था। यह दर बीते पांच सालों में बढ़ कर 57.2 प्रतिशत हो गया है। स्वास्थ्य विभाग द्वारा जिले के सभी प्राथमिक व सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों के अलावा अनुमंडलीय व सदर अस्पताल में सुरक्षित प्रसव संबंधी विभिन्न सुविधाएं प्रदान की गयी हैं।

गृह प्रसव दर में भी आयी कमी:
आमजनों में संस्थागत प्रसव के प्रति आयी जागरूकता के कारण घरों में होने वाले प्रसव दर भी घटे हैं। राष्ट्रीय परिवार एवं स्वास्थ्य सर्वे-4 के अनुसार यह आंकड़ा 17.3 फीसदी था। एनएफएचएस—5 के मुताबिक वर्तमान में यह दर 8.7 प्रतिशत है। यानि घरों में प्रसव दर 8.5 फीसदी घटा है। घरों में प्रसव कई मायनों में जोखिम होता है। प्रसव के समय किसी भी आपात स्थिति से निबटने की सुविधाओं की कमी के कारण प्रसूता की जान भी चली जाती है। प्रसव के समय मां व शिशु की सुरक्षा कई मायनों में महत्वपूर्ण है।

संस्थागत प्रसव को बढ़ावा देने के लिए जननी सुरक्षा योजना लागू :

जिला स्वास्थ्य समिति के डीपीएम अरविन्द कुमार ने बताया जिले में संस्थागत प्रसव को बढ़ावा देने के लिए सरकार और स्वास्थ्य विभाग की ओर से जननी सुरक्षा योजना चलायी जा रही है। जननी सुरक्षा योजना के तहत ग्रामीण एवं शहरी दोनों प्रकार की गर्भवती महिलाओं को सरकारी अस्पताल में प्रसव कराने पर, ग्रामीण इलाके की गर्भवती महिलाओं को 1400 रुपये एवं शहरी क्षेत्र की महिलाओं को 1000 रुपये दिए जाते हैं। जिसमें साथ ही इस योजना के तहत गर्भवती महिलाओं को प्रसव के लिए सरकारी अस्पतालों पर संदर्भित करने के लिए आशाओं को प्रति प्रसव ग्रामीण क्षेत्रों में 600 रुपये एवं शहरी क्षेत्रों के लिए प्रति प्रसव 400 रुपये प्रोत्साहन राशि देने का प्रावधान है।

संस्थागत प्रसव में बढ़ोतरी के ये है कारण:

• सामान्य एवं सिजेरियन प्रसव की निःशुल्क व्यवस्था
• निःशुल्क दवा की व्यवस्था
• गर्भवती को उनके घर से लाने एवं प्रसव के बाद अस्पताल से एम्बुलेंस द्वारा घर पहुँचाने की निःशुल्क व्यवस्था
• प्रशिक्षित चिकित्सक एवं नर्स के द्वारा निःशुल्क प्रसव प्रबंधन
• आशा कार्यकर्ता द्वारा गृह भ्रमण
•नियमित रूप से आरोग्य दिवस का आयोजन.

Leave a Reply

error: Content is protected !!