आप मंत्री हैं, राजा नहीं; संवैधानिक पद पर हैं, सिंहासन पर नहीं- ओवैसी
श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क
केंद्रीय मंत्री किरेन रिजिजू और ऑल इंडिया मजलिए-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (AIMIM) प्रमुख और हैदराबाद से सांसद असदुद्दीन ओवैसी अल्पसंख्यकों की स्थिति के मामले पर सोशल मीडिया पर आपस में ही भिड़ गए। दरअसल, रिजिजू ने एक अखबार को दिए इंटरव्यू में जो कहा, और उस न्यूज को सोशल मीडिया एक्स पर शेयर करते हुए लिखा था कि भारत अकेला ऐसा देश है, जहां अल्पसंख्यक समुदाय को बहुसंख्यक हिन्दुओं की तुलना में ज्यादा लाभ और सुरक्षा हासिल है।
अपनी बात को और स्पष्ट करने के लिए रिजिजू ने दावा किया कि अल्पसंख्यक समुदाय के सदस्य पड़ोसी देशों में पलायन नहीं करते हैं। यानी भारतीय मुसलमान पाकिस्तान नहीं जाते हैं। हालांकि उन्होंने किसी समुदाय विशेष के नाम का उल्लेख नहीं किया लेकिन AIMIM सांसद ओवैसी किरेन रिजिजू के इस तर्क और बयान पर भड़क उठे। उन्होंने भी सोशल मीडिया एक्स पर लंबा पोस्ट लिखकर जवाब दिया।
आप मंत्री हैं, राजा नहीं, ओवैसी का तंज
ओवैसी ने अपने पोस्ट में तंज कसते हुए लिखा, “किरेन रिजिजू, आप भारतीय गणराज्य के मंत्री हैं, राजा नहीं। आप संवैधानिक पद पर हैं, सिंहासन पर नहीं। अल्पसंख्यक अधिकार मौलिक अधिकार हैं, कोई दान नहीं। क्या हर दिन पाकिस्तानी, बांग्लादेशी, जिहादी या रोहिंग्या कहलाना ‘लाभ’ है? क्या लिंचिंग किया जाना ‘सुरक्षा’ है? क्या यह सुरक्षा है कि भारतीय नागरिकों का अपहरण कर उन्हें बांग्लादेश में धकेल दिया गया? क्या हमारे घरों, मस्जिदों और मजारों पर अवैध रूप से बुलडोजर चलाना और उसे जमींदोज होते देखना एक विशेषाधिकार है?”
क्या मुसलमान हिंदू बंदोबस्ती बोर्ड के सदस्य हो सकते हैं?
उन्होंने आगे लिखा, “सामाजिक, राजनीतिक और आर्थिक रूप अल्पसंख्यकों से अदृश्य बना दिया जाना? क्या भारत के प्रधानमंत्री से कम किसी और के नफरत भरे भाषणों का निशाना बनना ‘सम्मान’ है? भारत के अल्पसंख्यक अब दूसरे दर्जे के नागरिक भी नहीं हैं। हम बंधक हैं। अगर आप “एहसान” के बारे में बात करना चाहते हैं, तो इसका जवाब दें: क्या मुसलमान हिंदू बंदोबस्ती बोर्ड के सदस्य हो सकते हैं? नहीं। लेकिन आपका वक्फ संशोधन अधिनियम गैर-मुसलमानों को वक्फ बोर्ड में शामिल करने के लिए मजबूर करता है – और उन्हें बहुमत बनाने की अनुमति देता है।”
आपकी आर्थिक नीतियों से सबसे ज़्यादा अल्पसंख्यक प्रभावित
ओवैसी ने उनके मंत्रालय के कामों पर भी निशाना साधा और लिखा, “आपने मौलाना आज़ाद नेशनल फ़ेलोशिप को बंद कर दिया। आपने प्री-मैट्रिक छात्रवृत्ति को बंद कर दिया। आपने पोस्ट-मैट्रिक और मेरिट-कम-मीन्स छात्रवृत्ति को सीमित कर दिया। यह सब इसलिए क्योंकि इससे मुस्लिम छात्रों को फ़ायदा हो रहा था।” इससे आगे ओवैसी ने लिखा कि मुसलमान अब एकमात्र ऐसा समूह है जिसकी संख्या उच्च शिक्षा में घटी है। अनौपचारिक अर्थव्यवस्था में उनकी उपस्थिति बढ़ गई है। वे आपकी आर्थिक नीतियों से सबसे ज़्यादा प्रभावित हुए हैं। यह आपकी अपनी सरकार का डेटा है।
ओवैसी ने ये भी लिखा कि भारतीय मुसलमान एकमात्र ऐसा समूह है जिसके बच्चे अब अपने माता-पिता या दादा-दादी से भी बदतर स्थिति में हैं। पीढ़ीगत गतिशीलता अंतर अब उलट गई है। उन्होंने कहा, “मुस्लिम-केंद्रित क्षेत्र सार्वजनिक बुनियादी ढांचे और बुनियादी सेवाओं से सबसे ज़्यादा वंचित हैं।
हम दूसरे देशों के अल्पसंख्यकों से तुलना करने के लिए नहीं कह रहे हैं और ना ही हम बहुसंख्यक समुदाय को मिलने वाली राशि से ज़्यादा की माँग नहीं कर रहे हैं। हम तो संविधान में दिए गए वादे के मुताबिक सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक न्याय की माँग कर रहे हैं।”
इस पर रिजिजू ने पलटवार करते हुए लिखा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी की कल्याणकारी योजनाएं सभी के लिए हैं। अल्पसंख्यक मामलों के के मंत्रालय की योजनाएं अल्पसंख्यकों को अतिरिक्त लाभ प्रदान कर रही हैं। रिजिजू ने अपने मूल इंटरव्यू में कहा था कि पिछले 11 वर्षों में पीएम मोदी की सरकार ने सबका साथ, सबका विकास के सिद्धांत को प्रतिपादित किया है और उसी का पालन किया है।