ब्रम्हलीन द्विपीठाधीश्वर जगदगुरु शंकराचार्य का मनाया गया 100वां अवतरण दिवस

ब्रम्हलीन द्विपीठाधीश्वर जगदगुरु शंकराचार्य का मनाया गया 100वां अवतरण दिवस

०१
WhatsApp Image 2023-11-05 at 19.07.46
PETS Holi 2024
previous arrow
next arrow
०१
WhatsApp Image 2023-11-05 at 19.07.46
PETS Holi 2024
previous arrow
next arrow

श्रीनारद मीडिया / सुनील मिश्रा वाराणसी यूपी

वाराणसी,18.9.23 / काशी के शंकराचार्य घाट स्थित श्रीविद्यामठ में आज सुबह 9 बजे से ब्रम्हलीन द्विपीठाधीश्वर जगदगुरु शंकराचार्य जी महाराज का 100वां अवतरण दिवस मनाया गया।सर्वप्रथम पूज्यपाद ब्रम्हलीन शंकराचार्य स्वरूपनान्द सरस्वती जी महाराज के चरण पादुका का पूजन किया गया।जिसके अनन्तर वैदिक विधि से उनका पूजन अर्चन व आरती किया गया।

पूजन अर्चन के पश्चात धर्मसभा का आयोजन किया गया।जिसमें विचार व्यक्त करते हुए वक्ताओं ने कहा कि। ब्रम्हलीन प्रातः स्मरणीय ज्योतिष एवं द्वारकाशारदा द्विपीठाधीश्वर ब्रम्हलीन जगदगुरु शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती जी महाराज स्वतन्त्रता संग्राम सेनानी थें।उन्होंने स्वतन्त्रता संग्राम में दो बार कठोर करावास की सजा झेली व अकेले के दम पर एक पूरा गांव अंग्रेजों से खाली करा दिया था।अंग्रेज उन्हें क्रांतिकारी साधु के नाम से पहचानते थे।चौदह वर्ष की अवस्था मे सन्यास ग्रहण करने के पश्चात ब्रम्हलीन द्विपीठाधीश्वर स्वरूपानंद जी महाराज अपना पूरा जीवन सनातनधर्म हेतु समर्पित कर दिया था।सनातनधर्म को पुष्ट करने हेतु उनके द्वारा किये गए कार्यों का वर्णन करना ऐसे तो आसान नही है।फिर भी पूज्यपाद ब्रम्हलीन महाराज जी द्वारा सनातनधर्म के संवर्धन हेतु किये गए कुछ कार्यों पर प्रकाश डालना अत्यंत आवश्यक है।

पूज्यपाद ब्रम्हलीन द्विपीठाधीश्वर जगदगुरु शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती जी महाराज ने राजीव गांधी से कहकर राम मंदिर का ताला खुलवाया और राम मंदिर हेतु रामालय ट्रस्ट का गठन करके राष्ट्र के समस्त धर्माचार्यों को एक मंच पर लाकर राम मंदिर हेतु ऐतिहासिक संघर्ष किया।अपने अधिवक्ता श्री पी.एन. मिश्रा के माध्यम से राम जन्म भूमि व राम मंदिर का मुकदमा लड़कर व वर्तमान ज्योतिष्पीठाधीश्वर जगदगुरु शंकराचार्य स्वामिश्री: अविमुक्तेश्वरानंद: सरस्वती से अकाट्य गवाही दिलवाकर राम जन्मभूमि व राम मंदिर का फैसला हिदुओं के पक्ष में करवाया।

रामसेतु को टूटने से बचाने हेतु ब्रम्हलीन द्विपीठाधीश्वर जी महाराज ने कठिन संघर्ष किया।राष्ट्र के समस्त धर्माचार्यों को दिल्ली के जंतर मंतर में एकत्र कर ऐतिहासिक धर्मसभा का आयोजन किया।जिसमें सभी शंकराचार्यों सहित सभी प्रमुख धर्माचार्य व धर्मप्राण सनातनी जनसमुदाय उपस्थित था।

ब्रम्हलीन द्विपीठाधीश्वर स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती जी महाराज के ईक्षा व आदेश से गंगा जी को राष्ट्रीय नदी घोषित कराने हेतु राष्ट्रव्यापी ऐतिहासिक धर्मान्दोलन की बिगुल फूंका गया।जिसकी कमान वर्तमान परमाराध्य परमधर्माधीश अनंतश्रीविभूषित ज्योतिष्पीठाधीश्वर जगदगुरु शंकराचार्य स्वामिश्री: अविमुक्तेश्वरानंद: सरस्वती जी महाराज ने संभाली। अनेकों बलिदान के पश्चात माता गंगा राष्ट्रीय नदी घोषित हुई।

धर्मसम्राट स्वामी करपात्री जी महाराज जब दिल्ली में गौरक्षा आंदोलन किये थे।उस समय उस आंदोलन में द्विपीठाधीश्वर स्वामी स्वरूपानंद जी महाराज में मुख्य भूमिका का निर्वहन किया था उस आंदोलन में ब्रम्हलीन गोवर्धन पीठाधीश्वर जगदगुरु शंकराचार्य निरंजन देव तीर्थ जी महाराज भी उपस्थित थे।

धरती पर 74 चातुर्मास व्रत अनुष्ठान पूर्ण करने वाले एक मात्र संत थे पूज्यपाद ब्रम्हलीन द्विपीठाधीश्वर स्वामी स्वरूपानंद जी महाराज।

धर्मान्तरण के विरुद्ध भी मिल का पत्थर स्थापित किया था पूज्यपाद स्वरूपानंद जी महाराज ने।केवल झारखण्ड के पश्चिमसिंह भूम जिले में धर्मान्तरण कर चुके 35 हजार लोगों को गंगा जल से संकल्प दिलाकर व तुलसी का माला पहनाकर वापस सनातनधर्म में लाये व करीब करीब धर्मान्तरण को झारखण्ड में रुकवा दिया था।छत्तीसगढ़ सहित अनेकों प्रदेशों में लाखों लोगों को स्वरूपानंद जी महाराज वापस सनातनधर्म में लाये व आजीवन धर्मान्तरण के विरुद्ध लड़ते रहे।

पूज्यपाद ब्रम्हलीन द्विपीठाधीश्वर जगदगुरु शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद जी महाराज की कृपा से राष्ट्र में अनेकों निःशुल्क चिकित्सालय,वेद विद्यालय,वृद्धाश्रम सहित अनेकों प्रकल्प चलते हैं।जो निःस्वार्थ भाव से सनातनधर्मियों की सेवा करते हैं।साथ ही राष्ट्र में ब्रम्हलीन स्वरूपानंद सरस्वती जी महाराज की कृपा से सैकड़ों मठ,मंदिरों व आश्रमों से सनातनधर्मियों की हर सम्भव मदद की जाती है।ब्रम्हलीन द्विपीठाधीश्वर स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती जी महाराज द्वारा शुरू किये गए अधितकतर धर्मन्दोलनों का कमान वर्तमान ज्योतिष्पीठाधीश्वर जगदगुरु शंकराचार्य स्वामिश्री: अविमुक्तेश्वरानंद: सरस्वती जी महाराज ने ही सम्भला व उनके दिव्य मार्गदर्शन में शुरू किया गया हर धर्मान्दोलन ने सफलता का वरण किया।

पूज्यपाद ब्रम्हलीन स्वरूपानंद सरस्वती जी महाराज का शिवलिंकार मुख देखकर पापियों का पाप नष्ट हो जाता था।ऐसे अद्भुत सनातनधर्म के सर्वोच्च धर्मगुरु ब्रम्हलीन द्विपीठाधीश्वर जगदगुरु शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती जी महाराज का भाद्रपद शुक्ल तृतिया तदानुसार आज 18 सितम्बर को 100वां जयंती हैं और अश्विन कृष्ण द्वितीया को उनका वार्षिक समाराधना अनुष्ठान है।साथ ही इसी दिन वर्तमान परमाराध्य परमधर्माधीश अनंतश्रीविभूषित ज्योतिष्पीठाधीश्वर जगदगुरु शंकराचार्य स्वामिश्री: अविमुक्तेश्वरानंद: सरस्वती जी महाराज एवं पूज्यपाद द्वारकाशारदा पीठाधीश्वर जगदगुरु शंकराचार्य स्वामी सदानंद सरस्वती जी महाराज का पट्टभिषेक दिवस भी है।

कार्यक्रम में प्रमुख रूप से सर्वश्री-अभिषेक दुबे,दिपेश कुमार दुबे,बालेंदु नाथ मिश्रा,किरण कुमार,सावित्री पाण्डेय,लता पाण्डेय,अजित मिश्रा, रमेश पाण्डेय,शिवकांत मिश्रा,रविन्द्र मिश्रा,अभिषेक राव आदि लोग सम्मलित थे।उक्त जानकारी ज्योतिष्पीठाधीश्वर जगदगुरु शंकराचार्य स्वामिश्री: अविमुक्तेश्वरानंद: सरस्वती जी महाराज के मीडिया प्रभारी संजय पाण्डेय ने दी है।

Leave a Reply

error: Content is protected !!