छपरा जेल में बंद 1075 कैदियों की नयी तकनीक से हुई टीबी की स्क्रिनिंग

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• सीवाई-टीबी टेस्ट तकनीक से हुई कैदियों की जांच
• अल्ट्रा पोर्टबल एक्स-रे मशीन से की गयी एक्स-रे
• तीन दिवसीय शिविर आयोजित कर की गयी टीबी स्क्रिनिंग
• 48 से 72 घंटे बाद 5 एमएम से अधिक का इंडयूरेशन टीबी संक्रमण माना जाएगा
• इंजेक्टेबल है सीवाई-टीबी टेस्ट प्रक्रिया

श्रीनारद मीडिया, पंकज मिश्रा, अमनौर, छपरा (बिहार):

टीबी उन्मूलन को लेकर स्वास्थ्य विभाग प्रतिबद्ध है। स्वास्थ्य ने पहल करते हुए छपरा मंडल कारा बंद कैदियों के लिए विशेष शिविर आयोजित कर टीबी की स्क्रिनिंग की गयी। नई तकनीक सीवाई-टीबी टेस्ट के माध्यम से कैदियों में टीबी की जांच की गयी। इसके साथ हीं अल्ट्रा पोर्टबल एक्सरे मशीन के माध्यम से एक्स-रे भी की गयी। जिला यक्ष्मा पदाधिकारी डॉ. रत्नेश्वर प्रसाद सिंह ने बताया कि विशेष शिविर के दौरान 1075 कैदियों की सीवाई टीबी स्क्रिनिंग की गयी। वहीं 350 कैदियो की पोर्टबल एक्सरे मशीन से एक्सरे की गयी और बीपी जाँच की गयी। उन्होंने बताया कि जेल में टीबी एक गंभीर सार्वजनिक स्वास्थ्य समस्या बन सकती है। बंद जगहों और भीड़-भाड़ वाले वातावरण में टीबी के फैलने का खतरा बढ़ जाता है जिससे न केवल कैदियों को, बल्कि रिहाई के बाद आम जनता को भी खतरा हो सकता है। इसी उद्देश्य के साथ शिविर आयोजित की गयी।

पोर्टेबल एक्सरे द्वारा स्क्रिनिंग:

सीडीओ डॉ. रत्नेश्वर प्रसाद ने बताया कि छपरा मंडल कारा में कैदियों की स्क्रीनिंग पोर्टेबल एक्सरे द्वारा की गयी है। एक्सरे में निगेटिव आने वाले कैदियों को सीवाई टीबी इंजेक्शन के माध्यम से टीबी इनफेक्शन की जांच हुई एवं सीवाई टीबी में पॉजिटिव आने वाले कैदियों को टीबी प्रिवेंटिव ट्रीटमेंट की दवा शुरू की जायेगी।

48 से 72 घंटे के बीच सामने आयेगा परिणाम:

डीपीसी-टीबी हिमांशु शेखर ने बताया कि सीवाई-टीबी टेस्ट भी मोंटेक्स टेस्ट की तरह ट्यूबरकुलोसिस (टीबी) का पता लगाने के लिए एक प्रकार का त्वचा परीक्षण है, लेकिन यह अधिक उन्नत तकनीक का है। मोंटेक्स टेस्ट में, एक छोटी सी मात्रा में ट्यूबरकुलिन नामक एक पदार्थ को त्वचा के नीचे इंजेक्ट किया जाता है। यह पदार्थ टीबी के बैक्टीरिया से प्राप्त किया जाता है। टेस्ट के परिणाम 48 से 72 घंटे के बीच में देखे जाते हैं। यदि टीबी के बैक्टीरिया के प्रति शरीर में प्रतिरक्षा प्रतिक्रिया होती है, तो त्वचा पर एक छोटा सा उभार या लाली दिखाई देती है।

इस उभार का आकार और गहराई टीबी की उपस्थिति और गंभीरता का संकेत देते हैं। मोंटेक्स टेस्ट भी टीबी की उपस्थिति का संकेत देता है, लेकिन यह टीबी की पुष्टि नहीं करता है। टीबी की पुष्टि के लिए अन्य परीक्षणों की आवश्यकता होती है। इस मौके पर लैब तकनीशियन राज किशोर प्रसाद, संजय कुमार गिरी, संजेश कुमार सिंह, एएनएम मनीषा सोनी, सी-19 रिस्पांस मकानिज्म वर्ल्ड विजन के जिला पर्यवेक्षक पंकज कुमार सिंह, सामुदायिक समन्वयक़ सुनिल कुमार, एक्सरे तकनीशियन प्रतुल कुमार, स्पूटम कुरियर नंदकिशोर प्रसाद समेत अन्य मौजूद थे।

 

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