कुंभ मेला में 45 करोड़ श्रद्धालु 29 दिनों में ही लगा चुके है डुबकी

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श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क

महाकुंभ में बिना विशेष स्नान पर्व के ही भक्ति का सैलाब उमड़ रहा है। संगम जाने वाले मार्गों पर श्रद्धालुओं की लंबी कतारें दिख रही हैं।सुबह से ही प्रयागराज में त्रिवेणी संगम में पवित्र डुबकी लगाने के लिए महाकुंभ मेला क्षेत्र में श्रद्धालुओं की भारी भीड़ पहुंच रही है।

महाकुंभ मेले में मंगलवार शाम छह बजे तक एक दिन में 1.23 करोड़ श्रद्धालुओं ने त्रिवेणी संगम में डुबकी लगाई। इनमें 10 लाख कल्पवासी और 1.13 करोड़ श्रद्धालु शामिल रहे। 10 फरवरी तक कुल 44.74 करोड़ श्रद्धालु स्नान कर चुके हैं और अगर आज छह बजे तक के आंकड़े को जोड़ लें तो यह आंकड़ा 45 करोड़ के पार है। सरकार ने 45 दिनों में 45 करोड़ से अधिक श्रद्धालुओं के महाकुंभ में स्नान करने का अनुमान जताया था, जबकि यह आंकड़ा 29 दिनों में ही पूरा हो गया।

प्रयागराज में आयोजित महाकुंभ मेले में पूरा देश आ रहा है। 29 दिनों में 45 करोड़ से अधिक श्रद्धालु पवित्र त्रिवेणी में स्नान कर चुके हैं। बता दें कि सरकार ने अनुमान जताया था कि पूरे महाकुंभ में कुल 45 करोड़ से ज्यादा लोग आएंगे।

14 फरवरी को बनेगा पहला रिकॉर्ड

14 फरवरी को स्वच्छता के क्षेत्र में एक रिकॉर्ड बनेगा, जब 15,000 कर्मचारी गंगा और यमुना नदी के किनारे 10 किलोमीटर तक सफाई करेंगे। इससे पहले, 2019 के कुंभ मेला में 10,000 कर्मचारियों ने एक साथ सफाई अभियान चलाया था, जो अब तक का सबसे बड़ा रिकॉर्ड था। इस अभियान के लिए 2.13 करोड़ रुपये का खर्च अनुमानित है।

15 फरवरी को बनेगा नदी की सफाई का रिकॉर्ड

15 फरवरी को नदी की सफाई के क्षेत्र में एक नया रिकॉर्ड बनेगा। इस दिन 300 कर्मचारी गंगा नदी में उतरकर सफाई करेंगे। यह रिकॉर्ड पहली बार बनेगा और इसके लिए लगभग 85.53 लाख रुपये खर्च होंगे।

ई–रिक्शा से बनेगा तीसरा रिकॉर्ड

16 फरवरी को ई-रिक्शा संचालन का रिकॉर्ड बनाया जाएगा, जब मेला क्षेत्र के त्रिवेणी मार्ग पर एक साथ 1,000 ई-रिक्शा चलाए जाएंगे। यह भी एक नया रिकॉर्ड होगा, और इसे बनाने में 91.97 लाख रुपये का खर्च आएगा।

17 फरवरी को हैंडप्रिंट से बनेगा वर्ल्ड रिकॉर्ड

17 फरवरी को गंगा पंडाल और मेला क्षेत्र के अन्य स्थानों पर कैनवास पर 10,000 लोगों के हैंड प्रिंट लिए जाएंगे। इस रिकॉर्ड को स्थापित करने का उद्देश्य सामूहिक सहभागिता को बढ़ावा देना है। 2019 के कुंभ मेला में 7,500 लोगों के हैंड प्रिंट लेने का रिकॉर्ड था, जिसे इस बार तोड़ा जाएगा। इस रिकॉर्ड के लिए 95.76 लाख रुपये का खर्च होने की उम्मीद है।

आपको बता दें कि कुंभ 2019 में भी तीन महत्वपूर्ण विश्व रिकॉर्ड बने थे, जिसमें 500 से अधिक शटल बसों का संचालन, 10,000 सफाई कर्मियों द्वारा स्वच्छता अभियान और 7,500 लोगों के हैंड प्रिंट लेने का रिकॉर्ड शामिल था। इस बार मेला प्राधिकरण इन रिकॉर्ड्स को और बढ़ाने की तैयारी कर रहा है।

सनातन संस्कृति में अक्षयवट को अमरता का प्रतीक माना जाता है. यह हिन्दू धर्म का एक महत्वपूर्ण स्थल है. इसकी महत्ता पुराणों में वर्णित है. राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने महाकुंभ क्षेत्र में लेटे हनुमान मंदिर के सामने स्थापित किए गए डिजिटल अनुभूति केंद्र का भी अवलोकन किया. डिजिटल महाकुंभ में भारतीय संस्कृति की ऐतिहासिक विरासत को तकनीक के माध्यम से दर्शाया गया है. समुद्र मंथन को भी डिजिटल और ऑडियो वीडियो के माध्यम से देखा-सुना जा सकता है. राष्ट्रपति शाम 5.45 बजे प्रयागराज से दिल्ली के लिए रवाना हो गईं.

वहीं वीकेंड के कारण शनिवार से लेकर रविवार तक महाकुंभ में जबरदस्त भीड़ रही. सोमवार को भी जबरदस्त भीड़ है. पूरा प्रयागराज जाम हो चुका है. रविवार को 1.57 करोड़ श्रद्धालुओं ने संगम में लगाई डुबकी. 13 जनवरी से महाकुंभ की शुरुआत से अब तक 43.57 श्रद्धालु संगम में डुबकी लगा चुके हैं. 26 फरवरी को महाकुंभ 2025 का समापन हो जाएगा. तब तक यह आंकड़ा 50 करोड़ से अधिक पहुंच सकता है. सोमवार को अब तक 10 लाख कल्पवासियों के अलावा 53.75 श्रद्धालुओं ने भी संगम में डुबकी लगाई. वहीं शाम 6.30 बजे तक कुल 1 करोड़ 10 लाख के करीब लोग स्नान कर चुके हैं.

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