षटतिला एकादशी व्रत 25 जनवरी को, करें माता तुलसी की पूजा।

षटतिला एकादशी व्रत 25 जनवरी को, करें माता तुलसी की पूजा।

श्री नारद मीडिया, उत्तम कुमार, दारौंदा, सिवान, बिहार।

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सिवान जिला सहित दारौंदा प्रखण्ड के विभिन्न क्षेत्रों में माघ षटतिला एकादशी व्रत 25 जनवरी शनिवार को मनाई जाएगी ।

माघ षटतिला एकादशी व्रत हिन्दू पंचांग के अनुसार 25 जनवरी शनिवार को किया जायेगा। यह व्रत माघ माह के कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि को किया जाता हैं।

इस व्रत को करने से पापो का नाश होता हैं और मोक्ष की प्राप्ति होती है।

इस व्रत को “षटतिला” इसलिए कहा जाता है क्योंकि इसमें तिल का विशेष महत्त्व होता हैं।

स्नान में तिल का प्रयोग, तिल से भगवान का पूजन, तिल दान, तिल से बने भोजन का सेवन इस करना चाहिए।

इस दिन उपवास रहकर भगवान विष्णु का पूजन करें और षटतिला एकादशी व्रत का कथा सुने। इस व्रत के प्रभाव से जीवन के सभी पापों का नाश होता हैं और अक्षय पुण्य की प्राप्ति होती हैं।

एकादशी का दिन हिंदू धर्म में विशेष महत्व रखता है।

इस दिन भगवान विष्णु की पूजा की जाती है।

एकादशी के दिन तुलसी के पत्ते नहीं तोड़ने चाहिए।

षटतिला एकादशी का व्रत करने से व्यक्ति को भगवान विष्णु की कृपा बनी रहती हैं।

इस दिन देवी लक्ष्मी की विशेष पूजा भी की जाती है।

देवी लक्ष्मी सुख, समृद्धि और शांति का आशीर्वाद देती हैं।

पूजा के समय विशेष रूप से तिल का उपयोग किया जाता है।

पूजा में तिल इसलिए शामिल करते हैं क्योंकि ये शुद्धता और पवित्रता का प्रतीक मना

जाता हैं। इस दिन तिल का दान करना भी विशेष फलदायी माना जाता है

इस दिन विधिपूर्वक पूजन-अर्चना करनी चाहिए। कहा जाता है कि इस दिन व्रत करने से व्रती के सारे पाप नष्ट होते हैं, और उसका जीवन सुखमय होता है. उसे अन्य जन्मों में भी इसका शुभ फल मिलता है। इसलिए षटतिला एकादशी का व्रत न सिर्फ धार्मिक दृष्टि से बल्कि आध्यात्मिक दृष्टि से भी महत्व रखता है।

षटतिला एकादशी के दिन तुलसी माता के पूजन में विशेषकर हल्दी,रोली,चन्दन और सिंदूर अर्पित कर श्रृंगार करें, इसके लिए आप उन्हें लाल चुनरी और चूड़ियां अर्पित कर सकते हैं।

साथ ही सिंदूर भी अर्पित करें। ऐसा करने से देवी तुलसी माता प्रसन्न होती हैं और भक्तों की सभी मनोकामना पूरी करती हैं।

तुलसी जी के पास एक घी का दीपक भी जलाएं, ये दीपक ज्ञान और समृद्धि का प्रतीक है जो जीवन के अंधकार को दूर करता है।

यह व्रत जीवन को पवित्र और मंगलमय बनाता हैं।

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