अब गांवों में सुनाई नहीं देता ‘ जागते रहो’ की आवाज  

अब गांवों में सुनाई नहीं देता ‘ जागते रहो’ की आवाज

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श्रीनारद मीडिया, देवेंद्र तिवारी, सीवान (बिहार )

अब गांवो में रात में चौकीदारों द्वारा जागते रहो
की आवाज सुनाई नही देती, अब यह इतिहास
बन कर रह गया है । यह परंपरा समाप्त हो गयी
है, तथा नई पीढ़ी के लिय इतिहास बन गया है ।
जानकारों का कहना हैकि इस ब्यवस्था को समाप्त
होने के कारण ही गांवो में चोरी, राहजनी तथा रात
के अंधेरे में होनेवाली छोटी मोटी घटनाओं का मूल
कारण है ।ग्रामीणों का मानना हैकि पहले चौकीदारों
द्वारा गांवो में होनेवाली घटनाए और गांवो में
अपरिचितों को देखकर थाने में सूचना दी जाती
थी । अभी भी कई गांवो से अबैध शराब की बिक्री
के क्रम में बरामद शराब तथा कारोबारियों को
गिरफ्तार किया जारहा है । इतना ही नही मादक
पदार्थो की बिक्री तथा जुआ बाजी किभी सूचना
थाने को नही दी जारही है । मालूम होकि चौकीदारों
प्रति सप्ताह थाना में पहुंच कर गांवो की गतिविधियों
की सूचना देने तथा अपनी उपस्थिति दर्ज कराने की
परंपरा रही है, जिसे आम बोलचाल में पलाहा कहा
जाता है । अब कुछ चौकीदार थाने में प्रतिनियुक्त
किय गए है, जो मन्शी जी का कार्य करते है, इसके
अलावे भी अन्य कार्य करते है । उसके बाद शेष
चौकीदार बैंको में जाकर सुरक्षा के लिय तैनात
रहते है । सरकार द्वारा उन्हें अब आकर्षक वेतन
तथा वर्दी आदि के लिय भी ब्यवस्था की जाती है।
उधर चौकीदारों के अनुसार, परीक्षा, मतदान, बैंक
में तैनाती, समारोह आदि में ड्यूटी पर लगाया
जाता है, तो दिन रात लगातार ड्यूटी कैसे होगी ?
उधर दबी जुबान से ग्रामीणों का कहना है कि
दवंगो के लिय तो ए भींगी बिल्ली की
तरह है, लेकिन कमजोरों के लिय बडे ओहदा
वाले बन जाते है ।

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