संक्रमण काल में सदर अस्पताल की डायलिसिस की सुविधा मरीजों के लिए संजीवनी साबित हुयी

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4 महीने में 270 से अधिक मरीजों को मिली सुविधा:
203 पूर्विक्ता हाउसिंग होल्डर (पीएचएच) सूची के लाभुकों मिली नि:शुल्क सेवा:
74 बिना कार्डधारकों को देना पड़ा मात्र 1745 रुपये:
लाभुकों को मिला लाभ, जताई ख़ुशी:

श्रीनारद मीडिया, किशनगंज, (बिहार):


संक्रमण काल में सदर अस्पताल की डायलिसिस की सुविधा मरीजों के लिए संजीवनी साबित हुयी है। फरवरी माह में जिले के सदर अस्पताल में डायलिसिस यूनिट का उद्घाटन जिलाधिकारी डॉ आदित्य प्रकाश के द्वारा किया गया था। कोरोना काल में कई मरीजों के लिए यह सेवा संजीवनी साबित हुयी है। डायलिसिस की जरूरत होने पर पहले लोगों को निजी अस्पतालों के चक्कर लगाने पड़ते थे एवं इसके लिए उन्हें बड़ी धनराशि भी खर्च करनी पड़ती थी। लेकिन जिले में डायलिसिस यूनिट की शुरुआत होने से इस समस्या से लोगों को निज़ात मिल रही है। विशेषकर ऐसे गरीब लोगों को अधिक फ़ायदा हुआ है जो डायलिसिस के लिए निजी अस्पताल में अधिक पैसे खर्च करने में असमर्थ होते थे। सरकारी अस्पतालों में मरीजों को बेहतर सुविधा प्रदान कराने के उद्देश्य से अत्याधुनिक सुविधाएं मुहैया करायी जा रही हैं। अब सदर अस्पताल में डायलिसिस सेंटर शुरू होने के बाद किडनी के मरीजों को आर्थिक राहत भी मिल रही है।

4 महीने में 270 से अधिक मरीजों को मिली सुविधा: सिविल सर्जन
सिविल सर्जन डॉ श्री नंदन ने कहा कि हैदराबाद की कंपनी अपोलो डायलिसिस प्राइवेट लिमिटेड यहां पीपीपी मोड पर डायलिसिस यूनिट का बेहतर संचालन कर रही है। इस दौरान डायलिसिस यूनिट में 277 लोगों को सुविधा दी गयी है। जिसमें मार्च में 18, अप्रैल में 61, मई में 63 तथा जून में 68 तथा 23 जुलाई तक 67 मरीजों ने डायलिसिस की सुविधा का लाभ उठाया है। जिसमें कुल 203 पूर्विक्ता हाउसिंग होल्डर (पीएचएच) सूची के लाभुकों के लिए फ्री सेवा उपलब्ध कराई गयी है। वहीं अन्य 73 लाभुकों को मात्र 1745 रुपये में डायलिसिस की सेवा उपलब्ध करवाई गयी है जो बाजार दर से काफी कम है। उन्होंने बताया निजी क्लीनिक में एक बार डायलिसिस कराने में 4 से 5 हजार रुपये से अधिक खर्च लगता था। लेकिन अब सदर अस्पताल में डायलिसिस यूनिट लगने से कम राशि में मरीजों को बेहतर सुविधा उपलब्ध होती है। 95 प्रतिशत किडनी डैमेज होने पर मरीज का डायलिसिस होता है। नतीजतन ऐसे मरीजों को आनन-फानन में पटना या सिलिगुड़ी रेफर करना पड़ता था। यह सुविधा सदर अस्पताल में शुरू हो जाने से अब मरीजों को पटना नहीं भेजना पड़ता है।

कम राशि में मिलेगी बेहतर सुविधा: सीएस
सिविल सर्जन डॉ श्री नंदन ने बताया डायलसिस रक्त शोधन की एक कृत्रिम विधि होती है। इस डायलिसिस की प्रक्रिया को तब अपनाया जाता है जब किसी व्यक्ति के वृक्क यानि गुर्दे सही से काम नहीं कर रहे होते हैं। गुर्दे से जुड़े रोगों, लंबे समय से मधुमेह के रोगी, उच्च रक्तचाप जैसी स्थितियों में कई बार डायलसिस की आवश्यकता पड़ती है। स्वस्थ व्यक्ति में गुर्दे द्वारा जल और खनिज (सोडियम, पोटेशियम क्लोराइड, फॉस्फोरस सल्फेट) का सामंजस्य रखा जाता है। डायलसिस अस्थाई होती है। यदि डायलिसिस के रोगी के गुर्दे बदल कर नये गुर्दे लगाने हों, तो डायलिसिस की प्रक्रिया अस्थाई होती है। यदि रोगी के गुर्दे इस स्थिति में न हों कि उसे प्रत्यारोपित किया जाए, तो डायलिसिस अस्थायी होती है, जिसे आवधिक किया जाता है। ये आरंभ में एक माह से लेकर बाद में एक दिन और उससे भी कम होती जाती है।

लाभुकों को मिला लाभ, जताई ख़ुशी:
जिले के चुरीपट्टी निवासी इस्कंदर आजम ने कहा कि महंगी स्वास्थ्य सेवाओं के कारण आम लोगों को भारी परेशानियों का सामना करना पड़ता है। सदर अस्पताल का डायलिसिस केंद्र इस मामले में आम मरीजों को राहत प्रदान कर रहा है। पूर्विक्ता हाउसिंग होल्डर (पीएचएच) सूची पर निःशुल्क डायलिसिस की सुविधा मुझे मिली है। वहीं शहर के निवासी संजीरा प्रवीन ने कहा कि उन्हें किडनी की समस्या है। उनकी तबीयत अचानक खराब हो गयी थी। लेकिन कोरोना काल में भी सदर अस्पताल में उन्हें बेहतर सुविधा मिली। इसके लिए उन्होंने सभी स्वास्थ्यकर्मी और प्रशासन के प्रति आभार प्रकट किया। पुरबपाली निवासी प्रिय जेठवाणी ने कहा कि डायलिसिस कराने के लिए निजी सेंटरों का सहारा लेना पड़ता था। जो काफी खर्चीला था 4-5 हजार प्रति डायलिसिस लग जाता था लेकिन सदर अस्पताल में सुविधा शुरू होने से कम खर्च में सहूलियत मिल गई है।

आयुष्मान भारत कार्डधारकों को नि:शुल्क सुविधा:
सरकार के द्वारा प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना के तहत बीपीएल परिवार के मरीजों को पांच लाख रुपये तक के मुफ्त इलाज के लिए गोल्डन हेल्थ ई- कार्ड की सुविधा उपलब्ध कराई गई है। वैसे मरीज भी यहाँ निःशुल्क डायलिसिस करा सकेंगे, जिनके पास गोल्डन हेल्थ ई-कार्ड की सुविधा उपलब्ध है।

डायलिसिस के कई जरूरी इंजेक्शन के साथ आयरन सुक्रोज इंजेक्शन की भी सुविधा:
सदर अस्पताल के इस केंद्र पर डायलिसिस के कई जरूरी इंजेक्शन के साथ ही आयरन सुक्रोज इंजेक्शन दी जाएगी। ब्लड शुगर कंट्रोल नहीं आने के कारण, बीपी हाई होने के कारण किडनी की समस्याएं अधिकांश होती है।

यह उपाय करें:
-मरीज को ब्लड, शुगर की नियमित जांच कराते रहना चाहिए।
-बीपी को कंट्रोल करना चाहिए क्योंकि 80 परसेंट डायलिसिस वाले मरीज ब्लड शुगर और हाइपरटेंशन के ही होते हैं।
-अपने डॉक्टर से मिलकर बराबर जांच कराएं।
– अपनी बीमारी को हल्के में ना लें।
-संतुलित आहार लिया जाए, व्यायाम व चहलकदमी कर किडनी फेल्योर से बच सकते हैं।

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