स्कूल निदेशक सैयद जाकिर हुसैन की अनूठी पहल की हो रही प्रशंसा

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निजी स्कूल परिसर को लोगों के लिए बना दिया कोविड टीकाकरण केंद्र:
कोरोना संक्रमित भी हुए, टीका लगवाया और करने लगे लोगों को प्रेरित:

श्रीनारद मीडिया, गया, (बिहार):

कोरोना संक्रमण का शुरूआती दौर भयावह था. इस भयावहता का सामना सभी लोग कर रहे थे. लोग घरों में बंद हो गये थे. लॉकडाउन खत्म होने के बाद जब लोग बाहर निकले तो बड़ी संख्या में संक्रमण की खबरें भी आने लगी थी. लेकिन इन खबरों के साथ जब कोविड संक्रमण से बचाव के लिए टीकाकरण की जानकारी मिली तो राहत महसूस हुआ था.”यह कहना है समाजसेवी सैयद जाकिर हुसैन का.

वह बताते है कि लोग जिस डर, भय और अनिश्चितता का सामना कर रहे थे, टीकाकरण आने की खबर के बाद थोड़ी राहत थी, लेकिन इससे जुड़ा संशय भी व्याप्त था. टीकाकरण को लेकर चुनौतियां बहुत थी लेकिन इन चुनौतियों को सही जानकारी व समझदारी से हल किया जा सका.

बुद्धजीवियों ने भ्रातियों को दूर करने में की मदद:
जिला के आमस प्रखंड के हमजापुर निवासी व स्कूल निदेशक सैयद जाकिर हुसैन कोविड टीकाकरण के लिए सरकार के प्रयासों और आमजन की सहभागिता की तारीफ करते हुए बताते हैं कि टीकाकरण संबंधी सरकार की तमाम कोशिशों का लोगों ने स्वागत किया है. और यही कारण है कि गली मुहल्लों में तैयार टीकाकेंद्रों पर बड़ी संख्या में लोग पहुंच रहे हैं. हालांकि वे इस बात को भी स्वीकार करते हैं कि इससे पूर्व टीकाकरण को लेकर कई भ्रांतियां समाज में व्याप्त थीं. लेकिन स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों व समाज के बुद्धजीवियों के साझा प्रयास से स्थानीय स्तर पर सही जानकारियां प्रदान कर भ्रांतियों व अफवाहों को दूर किया गया.

पहले खुद लिया टीका, दूसरों को किया प्रेरित:
पांच हजार आबादी वाले इस अल्पसंख्यक बहुल गांव के अधिकतर लोग दैनिक मजदूरी, मिस्त्री और ट्रक ड्राइविंग जैसे पेशों पर निर्भर हैं. उनके पास सीमित शिक्षा व आय है. इस वजह से लोगों में स्वास्थ्य गंभीरता की समझ भी कम है, जिसका प्रभाव टीकाकरण अभियान पर भी पड़ा. टीकाकरण के महत्व को लोग शुरूआती समय में समझने को तैयार नहीं थे. वहीं इससे जुड़े अफवाहों व भ्रांतियों का व्यापक असर लोगों के मनमस्तिष्क पर पड़ा था. जहां महिलाओं में प्रजनन क्षमता पर पड़ने वाले असर को लेकर भ्रांतियां थी, वहीं पुरुषवर्ग भी कई तरह की अफवाहों के शिकार थे. ऐसी विपरित परिस्थितियों में सैयद जाकिर हुसैन ने पहले तो खुद कोविड टीकाकरण कराया और फिर लोगों को टीकाकरण कराने के लिए प्रेरित करने लगे.

स्कूल परिसर को टीकाकरण केंद्र के रूप में किया तैयार:
वे बताते हैं कि कोविड संक्रमण के शिकार होने के बाद उन्होंने यह ठान ली थी कि संक्रमण से सुरक्षित रखने के लिए सभी योग्य लाभार्थियों के टीकाकरण कराने का वे हरसंभव प्रयास करेंगे. इसके लिए उन्होंने पहले तो स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों से बात कर अपने स्कूल परिसर में टीकाकरण केंद्र बनाने का प्रस्ताव रखा. इस प्रस्ताव के स्वीकृति मिलने के बाद यहां टीकाकरण केंद्र बनाया गया. इसके पश्चात उन्होंने स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों की मौजूदगी में ग्रामीणों से कोविड टीकाकरण की जरूरत पर विस्तार से चर्चा शुरू किया. परिणाम यह हुआ कि लोग उनकी बातों से सहमत होते गये और टीकाकरण के लिए केंद्र पहुंचने लगे.

एक हजार से अधिक लोगों का कराया टीकाकरण:
उनका यह स्कूल अब स्वास्थ्य विभाग के लिए टीकाकरण केंद्र बन चुका है. उनके प्रयासों से अल्पसंख्यक समुदाय की एक हजार से अधिक आबादी का टीकाकरण कराया गया है. उनके द्वारा अब तक यहां सात से अधिक टीकाकरण कैंप का आयोजन कर दो हजार से अधिक लोगों का टीकाकरण कराया जा चुका है.

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