Notice: Function _load_textdomain_just_in_time was called incorrectly. Translation loading for the newsmatic domain was triggered too early. This is usually an indicator for some code in the plugin or theme running too early. Translations should be loaded at the init action or later. Please see Debugging in WordPress for more information. (This message was added in version 6.7.0.) in /home/imagequo/domains/shrinaradmedia.com/public_html/wp-includes/functions.php on line 6121
हमेशा के लिए राजमार्गों को कैसे कर सकते हैं बाधित-सुप्रीम कोर्ट. - श्रीनारद मीडिया

हमेशा के लिए राजमार्गों को कैसे कर सकते हैं बाधित-सुप्रीम कोर्ट.

हमेशा के लिए राजमार्गों को कैसे कर सकते हैं बाधित-सुप्रीम कोर्ट.

०१
WhatsApp Image 2023-11-05 at 19.07.46
priyranjan singh
IMG-20250312-WA0002
IMG-20250313-WA0003
previous arrow
next arrow
०१
WhatsApp Image 2023-11-05 at 19.07.46
priyranjan singh
IMG-20250312-WA0002
IMG-20250313-WA0003
previous arrow
next arrow

श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क

राजमार्गों को हमेशा के लिए कैसे अवरुद्ध किया जा सकता है, सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को पिछले साल पारित तीन कृषि कानूनों के खिलाफ दिल्ली की सीमाओं पर विरोध प्रदर्शन कर रहे किसानों द्वारा राजमार्गों को अवरुद्ध करने का जिक्र करते हुए कहा कि अदालत द्वारा निर्धारित कानून को लागू करना कार्यपालिका का कर्तव्य है। मामले में सोमवार को फिर सुनवाई होगी।

शीर्ष अदालत ने केंद्र को यूपी गेट पर दिल्ली-उत्तर प्रदेश सीमा पर की गई नाकाबंदी खोलने की मांग वाली याचिका पर किसान संघों को पक्ष बनाने के लिए एक औपचारिक आवेदन दायर करने की अनुमति दी। जस्टिस संजय किशन कौल और जस्टिस एमएम सुंदरेश की पीठ ने कहा, ‘समस्याओं का समाधान न्यायिक मंच या संसदीय बहस के माध्यम से हो सकता है, लेकिन राजमार्गों को हमेशा के लिए अवरुद्ध नहीं किया जा सकता है।

शीर्ष अदालत नोएडा निवासी मोनिका अग्रवाल की याचिका पर सुनवाई कर रही थी, जिन्होंने नाकाबंदी को हटाने की मांग करते हुए कहा कि पहले दिल्ली पहुंचने में 20 मिनट लगते थे और अब दो घंटे से अधिक समय लग रहा है और दिल्ली सीमा पर यूपी गेट पर विरोध प्रदर्शन के कारण इलाके के लोगों को मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है.

पीठ ने अतिरिक्त सालिसिटर जनरल के एम नटराज से पूछा कि सरकार इस मामले में क्या कर रही है। नटराज ने कहा कि उन्होंने प्रदर्शन कर रहे किसानों के साथ बैठक की थी और हलफनामे में इसका ब्योरा दिया गया है। इस पर पीठ ने कहा, ‘हम कानून बना सकते हैं लेकिन कानून को कैसे लागू किया जाए यह आपका काम है। कोर्ट इसे लागू नहीं कर सकता। यह कार्यपालिका है जिसे इसे लागू करना है।’

वहीं, इसपर सालिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि इसे लागू करना कार्यपालिका का कर्तव्य है। मेहता ने कहा कि शिकायतों को दूर करने के लिए उच्चतम स्तर पर तीन सदस्यीय समिति का गठन किया गया था, लेकिन जिन किसानों के प्रतिनिधियों को आमंत्रित किया गया था, उन्होंने चर्चा में शामिल होने से इनकार कर दिया।

शीर्ष अदालत ने 23 अगस्त को कहा था कि केंद्र और दिल्ली के पड़ोसी राज्यों को किसानों के विरोध के कारण राष्ट्रीय राजधानी की सीमाओं पर सड़क जाम का समाधान खोजना चाहिए। कोर्ट ने केंद्र से पूछा था कि सरकार इस समस्या का समाधान क्यों नहीं ढूंढ पा रही है। किसानों को विरोध करने का अधिकार है लेकिन तय स्थानों पर और विरोध के कारण यातायात का प्रवाह बाधित नहीं किया जा सकता है।

वहीं भारत के मुख्य न्यायाधीश (सीजेआई) एन वी रमना की अध्यक्षता में सुप्रीम कोर्ट कालेजियम ने बाम्बे, गुजरात, उड़ीसा और पंजाब और हरियाणा के उच्च न्यायालयों के न्यायाधीशों के रूप में पदोन्नति के लिए 16 नामों की सिफारिश की है। बुधवार को हुई अपनी बैठक में कालेजियम ने इन चार उच्च न्यायालयों के न्यायाधीशों के रूप में 16 नामों – छह न्यायिक अधिकारियों और 10 अधिवक्ताओं – को पदोन्नत करने के प्रस्ताव को मंजूरी दी।

शीर्ष अदालत की वेबसाइट पर गुरुवार को अपलोड किए गए बयानों के अनुसार, कालेजियम ने चार न्यायिक अधिकारियों – ए एल पानसरे, एस सी मोरे, यूएस जोशी-फाल्के और बीपी देशपांडे को बाम्बे हाईकोर्ट के न्यायाधीशों के रूप में पदोन्नत करने के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है।

इसी तरह, कालेजियम ने अधिवक्ता आदित्य कुमार महापात्र और मृगंका शेखर साहू और न्यायिक अधिकारियों राधा कृष्ण पटनायक और शशिकांत मिश्रा के नामों की सिफारिश उड़ीसा उच्च न्यायालय के न्यायाधीशों के रूप में की है।

गुजरात उच्च न्यायालय के लिए, कालेजियम ने सात अधिवक्ताओं – मौना मनीष भट्ट, समीर जे दवे, हेमंत एम प्रच्छक, संदीप एन भट्ट, अनिरुद्ध प्रद्युम्न माई, निराल रश्मीकांत मेहता और निशा महेंद्रभाई ठाकोर को न्यायाधीश के रूप में वहां पदोन्नत करने के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है।

एक बयान में कहा गया है, ‘सुप्रीम कोर्ट कालेजियम ने 29 सितंबर, 2021 को हुई अपनी बैठक में अधिवक्ता संदीप मौदगिल को पंजाब और हरियाणा उच्च न्यायालय में न्यायाधीश के रूप में पदोन्नत करने के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है।’ सीजेआई के अलावा, तीन सदस्यीय कालेजियम, जो उच्च न्यायालयों में नियुक्ति से संबंधित है, में जस्टिस यू यू ललित और ए एम खानविलकर शामिल हैं।

बता दें कि इस साल अप्रैल में सीजेआई के रूप में कार्यभार संभालने के बाद, न्यायमूर्ति रमना ने विभिन्न उच्च न्यायालयों में नियुक्ति के लिए लगभग 100 नामों की सिफारिश की है, इसके अलावा सर्वोच्च न्यायालय में न्यायाधीशों के नौ रिक्त पदों को एक बार में भरा है। देश के 25 उच्च न्यायालयों में 1,080 न्यायाधीशों की संयुक्त स्वीकृत शक्ति है और 1 मई, 2021 को वे केवल 420 न्यायाधीशों के साथ काम कर रहे थे।

वहीं, कालेजियम ने 17 अगस्त को एक ऐतिहासिक फैसले में तीन महिलाओं सहित नौ नामों की सिफारिश की थी, जिन्हें सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश के रूप में पदोन्नत किया गया था। 31 अगस्त को शपथ ग्रहण समारोह रखा गया, जिसमें नए न्यायाधीशों को शीर्ष अदालत के न्यायाधीशों के रूप में पद की शपथ दिलाई गई। इसमें केंद्र द्वारा तेजी के साथ नामों को मंजूरी देने का कार्य किया गया।

Leave a Reply

error: Content is protected !!