एक ही प्लॉट को एक से अधिक लोगों को बेचने पर लगेगी रोक,कैसे?

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श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क

बिहार में जमीन विवाद को कम करने के लिए लगातार नये-नये कदम उठाए जा रहे हैं. अब प्लॉट के नक्शे के साथ म्यूटेशन की अनिवार्यता वाला कानून लागू हो गया है. इसके बाद अब जमीन की म्यूटेशन कराने पर आवेदक की याचिका में उनके हिस्से के प्लॉट का नक्शा भी रहेगा. अब एक ही जमीन कई लोगों के हाथों नहीं बिक सकेगा. जिससे मुकदमा और झड़प की गुंजाइस भी खत्म हो जाएगी.

हाल में ही बिहार विधानसभा का शीतकालीन सत्र संपन्न हुआ है. इसमें बिहार दाखिल खारिज अधिनियम 2011 में संशोधन का प्रस्ताव पारित किया गया था. मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, इसे अब राज्यपाल की अनुमति मिल गयी है और इसे गजट में प्रकाशित कर दिया गया है. गजट में प्रकाशित होने के साथ ही अब यह एक नया कानून बनकर प्रभावी हो गया है.

अब आवेदक किसी भी प्लॉट का म्यूटेशन कराता है कि उस आवेदन में आवेदक के हिस्से के प्लॉट का नक्शा भी रहेगा. जिसमें खाता, खेसरा और रकबा के साथ ही चौहद्दी का भी जिक्र साफ-साफ कर दिया जाएगा. अब प्लॉट के नक्शे के साथ ही म्यूटेशन होगा. इस कानून को लागू तो कर दिया गया है लेकिन कुछ तकनीकी बाधाओं के कारण इसे अमल नहीं किया जा सका है.

मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, इस काम के लिए राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग जिला स्तर पर जानकारों का पैनल बनाने की तैयारी में है. एजेंसियों की सहायता से ये काम किया जाएगा. रैयतों से कितना शुल्क लिया जाएगा, इसके लिए अभी इंतजार किया जाना है. राज्य सरकार के द्वारा खाका बनाने के लिए शुल्क का निर्धारण अभी बांकी है.

प्लॉट के नक्शे के साथ दिये गये आवेदन की जांच राजस्व अधिकारी व कर्मचारी करेंगे. जांच के बाद वो रिपोर्ट सौंपेंगे कि आवेदन में दी गयी जानकारी पूरी तरह सही है या नहीं. अंतिम फैसला अंचलाधिकारी ही लेंगे. अगर वो राजस्व अधिकारी या कर्मचारी के जांच से संतुष्ट नहीं होंगे तो वो अपने स्तर से जांच करके फैसला लेंगे.

अब जमीन के म्यूटेशन कराएंगे तो आवेदन (याचिका) में आपके हिस्से के प्लाट का नक्शा भी रहेगा। उसमें खाता, खेसरा और रकबा के साथ चौहद्दी दर्ज रहेगी। प्लाट के नक्शे के साथ म्यूटेशन की अनिवार्यता वाला कानून लागू हो गया है। मालूम हो कि विधानसभा के शीतकालीन सत्र में बिहार दाखिल खारिज अधिनियम 2011 में संशोधन का प्रस्ताव पारित किया गया था। इसे राज्यपाल ने मंजूरी दे दी है। गजट में प्रकाशित कर दिया गया। गजट में प्रकाशन के साथ ही नया कानून प्रभावी हो गया है।

कानून लागू होने के बावजूद इस पर अमल करने में फिलहाल तकनीकी बाधा है। बिहार विशेष सर्वेक्षण एवं बंदोबस्त अधिनियम 2011 एवं नियमावली 2012 में भी संशोधन किया गया है। विशेष सर्वेक्षण के सिलसिले में निर्मित खतियान एवं राजस्व नक्शा के अंतिम प्रकाशन के बाद ही यह कानून पूरी तरह लागू हो पाएगा। इसी नक्शे से प्लाट के खास हिस्से का खाका तैयार किया जाएगा। उसे ही म्यूटेशन के आवेदन में शामिल किया जाएगा।

खाका कौन तैयार करेगा

इस काम के लिए राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग जिला स्तर पर जानकारों का पैनल बनाएगा। इसमें एजेंसियां शामिल होंगी। व्यक्तियों को भी शामिल किया जाएगा। सिविल इंजीनियर और डिप्लामाधारियों को यह जिम्मा दिया जाएगा। यह सब होने के बाद राज्य सरकार तय करेगी कि खाका बनाने के लिए रैयतों से कितना शुल्क लिया जाए। एजेंसियों को जमीन की मापी के लिए इटीएस (इलेक्ट्रानिक टोटल स्टेशन) का इस्तेमाल करना होगा।

अधिकारी करेंगे जांच

प्लाट के नक्शे के साथ किए गए आवेदन की जांच राजस्व अधिकारी एवं राजस्व कर्मचारी करेंगे। वे रिपोर्ट देंगे कि आवेदन में दी गई जानकारी सही है या नहीं। अंतिम तौर पर अंचलाधिकारी को निर्णय लेना होगा। अगर वे राजस्व अधिकारी या कर्मचारी की जांच रिपोर्ट से संतुष्ट नहीं हैं तो अपने स्तर से जांच कर सकते हैं।

क्या लाभ मिलेगा

इस समय म्यूटेशन के आवेदन में सिर्फ जमीन का खाता-खेसरा और रकबा रहता है। चौहद्दी की चर्चा नहीं रहती है। इससे पता नहीं चल पाता है कि एक बड़े प्लाट के किस हिस्से पर खरीददार का मालिकाना हक कायम हुआ है। नतीजा: एक ही प्लाट कई लोगों के हाथ बिकता है। यह मुकदमा और खून खराबा का कारण भी बनता है।

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