सड़क दुर्घटनाओं में युवा होते हैं सबसे अधिक शिकार,क्यों?

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श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क

भारत ऐसा देश है जहां विश्व में सड़क दुर्घटनाओं में सबसे अधिक लोगों की जान जाती है। वर्ष 2020 को छोड़ दें तो यह आंकड़ा हर वर्ष बढ़ता ही रहा है। इन हादसों में युवा अधिक शिकार बन रहे हैं। एक्सीडेंट में मारे गए व्यक्ति के परिवार के लिए यह भारी मानसिक आघात के साथ आर्थिक नुकसान भी होता है। घायलों के लिए भी सामान्य जीवन में वापसी कर पाना आसान नहीं होता।

इन प्रदेशों में मौतें अधिक

आमतौर पर सड़क दुर्घटनाओं में मृतकों की तुलना में घायलों की संख्या अधिक होती है, लेकिन पंजाब, झारखंड, उत्तर प्रदेश और उत्तर पूर्व के राज्य मिजोरम में वर्ष 2021 में घायलों की तुलना में मृतकों की संख्या अधिक अधिक रही।

  • 5-29 वर्ष तक के लोगों में वैश्विक स्तर पर रोड एक्सीडेंट मौत का सबसे प्रमुख कारण है
  • 4,728 मार्ग दुर्घटनाओं में झारखंड में 3,513 लोगों की मृत्यु हुई जबकि 3,227 व्यक्ति घायल हुए
  • 6,097 सड़क दुर्घटनाएं पंजाब में बीते वर्ष हुईं जिसमें 4,516 लोगों की मृत्यु हो गई जबकि 3,034 घायल हुए
  • 33,711 रोड एक्सीडेंट उप्र में वर्ष 2021 में हुए जिसमें 19,813 व्यक्ति घायल हुए जबकि 21,792 की मौत हो गई
  • ऐसा है वाहन सुरक्षा का वैश्विक परिदृश्य

    वैश्विक स्तर पर देखें तो सख्त कानूनी प्रविधान लागू होने के कारण कई देशों में वाहन निर्माता कंपनियां वाहन सुरक्षा फीचर्स का पूरी तरह से पालन करती हैं।

  • यूरोपीय देश: यूरोपीय यूनियन के वाहन सुरक्षा नियम सभी वाहन निर्माताओं को एडवांस्ड इमरजेंसी ब्रेकिंग सिस्टम, एक्सीडेंट के केस में डाटा रिकार्डिंग, क्रैश टेस्ट मानक पर खरी सीट बेल्ट, बंपर के भीतर मुलायम मैटीरियल का प्रयोग, स्पीड असिस्टेंस, फ्ट और रं साइड एयरबैग व नींद आने की सूचना देने वाला अलार्मसिस्टम आदि लगाना अनिवार्य है।

    अमेरिका: वर्ष 1998 में ही अमेरिका में आगे की सीटों पर एयरबैग की अनिवार्यता कानून के माध्यम से कर दी गई थी। बाद के प्रविधानों में अधिकांश वही हैं जो यूरोपीय देशों में लागू होते हैं।

ट्रैफिक के नियमों को सख्त किये जाने की ज़रूरत है –

हम उस स्थान पर भी लोगों को ट्रैफिक के नियम की अवहेलना करते हुए दखते हैं जहाँ ट्रैफिक पुलिस खड़ी होती है. जबकि यह नहीं होना चाहिए. यह सुरक्षा के लियमों में ढुलमुल रवैये के कारण होता है या फिर अगर कानून है तो उसका पालन नहीं होता है, बस इसलिए की यातायात पुलिस ऐसे गलती करने वालों को फाइन करने में तत्परता नहीं दिखाती है.

सरकार को चाहिए की ऐसे यातायात के नियम तोड़ने वालों को दण्डित करने का कड़ा कानून लाये और अगर है तो यातायात पप पुलिस से इसके प्रति जवाब माँगे कि उसने अपने स्पॉट पर ड्यूटी के दौरान कितने लोगों को दंडित किया हैं या फिर कितने लोगों के गाड़ी को जब्त किया है जो यातायात के नियमों का उल्लंघन किये हैं.

सरकार इसके लिए कैमरे लगाये और यातायात पुलिस के एक्टिविटी को मॉनिटर करता रहे कि कहीं भ्रष्टाचार के उगाही के वजह से जो नियम है वह कहीं कागजों तक तो सिमित नहीं है या फिर पुलिस की गतिविधि बस कागजों तक सिमित है और धरातल स्तर पर किसी भी तरह का काम नहीं हो रहा है.

बिना लाइसेंस के गाड़ी चलाने वाले से सख्ती से निपटा जाए-

आज कल युवाओं को एक लंबी जमात है जो अभी गाड़ी के स्टेयरिंग को ठीक से संभालना नहीं जानता और गाडी को सड़क पर लेकर सरपट भाग रहा है तो चिंता का विषय है और जिस तरह से रोड दुर्घटना में युवा अपनी जान गवां रहे हैं उसने यह भी एक कारण है. सड़क पर उन्ही को गाडी चलाने के लिए अनुमति दी जाए जिसके पास लाइसेंस हो. इसके लिए सड़कों पर नियमित जाँच होनी चाहिए, और बिना लाइसेंस के गाडी चलाने वालों के लिए जो दंड का प्रवधान है उसका अनुसरण किया जाए.

लाइसेंस जारी करने वालों पर निगरानी रखी जाए –

यह लगभग सभी लोग जानते हैं कि लाइसेंस जारी करने के लिए जो कायदे कानून हैं उसका अनुसरण नहीं किया जाता है अर्थात बिना test के लाइसेंस जारी करने की अनुमति नहीं होती है लेकिन यह नियम सिर्फ कायदे कानून कागजों तक सिमित हैं. सरकार को चाहिए की उस स्थान पर सीसी टीवी फुटेज लगाया जाए जहाँ पर ट्रायल देने के पश्चात् लाइसेंस जारी करने का नियम होता है. और किसी भी तारीख का फुटेज माँगा कर देखना चाहिए और उस दिन जारी हुए लाइसेंस की संख्या देखनी चाहिए कि जितने लोगों ने ट्रायल दिया हैं उतना ही तो लाइसेंस जारी हुआ है.

अगर विडियो में ट्रायल देते हुए फेल होने वाले को पहचान कर यह तफतीस करनी चाहिए कि कहीं ट्रायल में फेल होने वालों का लाइसेंस तो जारी नहीं कर दिए हैं.

नियम को प्रभाव में लाने का हरसंभव प्रयास –

यातायात सम्बंधित जितने भी नियम कानून बने हैं, उसमें बहुत अधिकतर नियम ऐसे हैं जो लोगों को इसके बारे में पता तक नहीं हैं और इसका सबसे बड़ा कारण ऐसे कानून का प्रभाव में नहीं होना. यातायात के नियमों का पालन नहीं करने के प्रति यातायात पुलिस जिम्मेदार होती है क्योंकि वह लोगों को यह नहीं बता पानी है की यातायात के नियमों का नहीं पालन करने के बाद व्यक्ति को किस तरह के सजा का प्रवधान है. और इस वजह से प्रभाव में नहीं है क्योंकि लोग ऐसे कानून को प्रभाव को न देखा है और न ही इसको पालन नहीं करने के बाद किसी भी तरह के दंड का सामना करना पडा है. इसलिए ज़रूरी है की नियमों को प्रभाव में लाने के लिए दंड दिया जाना चाहिए अगर कोई यातायात के लिए बनाये गए कानून की अवहेलना करता है.

प्रोत्साहन का प्रावधान –

यातायात पुलिस को चाहिए हर रोज किसी एक या दो व्यक्ति को प्रोत्साहन करे जो यातायात के नियमों का पालन कर रहा होता है. अर्थात उस व्यक्ति के पास यातयात सम्बंधित सभी कागजात हो और वह यातायात के नियमों का पालन करते हुए गाडी को ड्राइव कर रहा है. और सोशल मीडिया के माध्यम से लोगों तक यह बात पहुंचाए. लोगों में जागरूकता लाने का यह सबसे अच्छा माध्यम हो सकता है. यह सड़क दुर्घटना को रोकने में भी अहम् भूमिका निभा सकता है क्योकि सभी लोग यातायात के नियमों को पालन करने के प्रति जागरूक होंगे.

जागरूकता के प्रति अभियान –

लोगों को समय-समय पर अभियान चला कर लोगों के इसके प्रति जागरूक करना चाहिए. जब तक यातायात पुलिस आगे बढ़ कर इसके प्रति जागरूकता अभियान नहीं चलाएगी तब तक सड़क दुर्घटना पर विराम लगाना आसन नहीं होगा और यातायात नियमों के ईमानदारी से पालन करने के प्रति लोग ईमानदार नहीं होंगे.

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