बिहार के छपरा पहुंची राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग की टीम, अधिकारियों से हुई पूछताछ

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श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क

बिहार के छपरा में जहरीली शराब से मौत का मामला उच्च स्तरीय जांच तक पहुंच गया है। इसको लेकर मंगलवार के देर शाम राष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग के सदस्य छपरा सदर अस्पताल पहुंचे। जहां उन्होंने घटना से संबंधित जानकारी ली।

दरअसल, मंगलवार को दिल्ली से राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग की टीम से छपरा पहुंची। टीम के सदस्य प्रभावित क्षेत्र मशरक, इसुआपुर , मढ़ौरा में पीड़ित परिवार एवं बीमार लोगों से पूछताछ करेगी। सदर अस्पताल में पहुंचे सदस्य ने लगभग 1 घंटे तक बंद कमरे में अस्पताल के अधिकारियों के साथ पूछताछ किया। इस दौरान सिविल सर्जन डॉ. सागर दुलार सिन्हा, उपाधीक्षक डा.एसडी सिंह, मेडिकल ऑफिसर डा. के एम दुबे एवं अकाउंटेंट बंटी रजक पूछताछ के लिए उपाधीक्षक के कमरे में मौजूद रहे।

मीडिया से बात करते हुए सिविल सर्जन डॉ. सागर दुलाल सिन्हा ने बताया कि मानवाधिकार आयोग से आये सदस्य ने शराब कांड से जुड़े मामले की जानकारी ली।
मीडिया से बात करते हुए सिविल सर्जन डॉ. सागर दुलाल सिन्हा ने बताया कि मानवाधिकार आयोग से आये सदस्य ने शराब कांड से जुड़े मामले की जानकारी ली।

वहीं, मीडिया से बात करते हुए सिविल सर्जन डॉ. सागर दुलाल सिन्हा ने बताया कि मानवाधिकार आयोग से आये सदस्य ने शराब कांड से जुड़े मामले की जानकारी ली। शराब कांड में कितने लोगों की मौत हुई है। मरने वालों की उम्र क्या थी।‌ अस्पताल में बीमार आए लोगों का लक्षण क्या था। राष्ट्रीय मानवाधिकार के टीम के सदस्य ने अस्पताल में 13 से लेकर 16 दिसंबर 22 तक तक भर्ती लोगों की भी जानकारी ली। इस दौरान सभी सवालों के जबाब देते हुए जांच में सहयोग किया गया।

हालांकि टीम के सदस्य मीडिया से बातचीत करने से इंकार कर दिया।एनएचआरसी टीम घटनास्थल का दौरा कर आयोग को अपनी रिपोर्ट पेश करेगी। बताया जाता है कि राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग की टीम 21 दिसंबर को छपरा में रहकर पूरे मामले की जांच करेगी। राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग के टीम आने की जानकारी अस्पताल प्रशासन को थी जिसको लेकर अस्पताल प्रशासन पूरी तरह से सजग था।

मानवाधिकार आयोग की टीम पर नीतीश कुमार ने उठाये सवाल

सारण सहित बिहार के अन्य जिलों में जहरीली शराब से हुई लोगों की मौत को लेकर बिहार में राजनीति तेज है. इस मामले में राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग की टीम ने सारण का दौरा किया था. मृतक के परिजनों को अब तक मुआवजा नहीं देने के संबंध में पूछे जाने पर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने केंद्र सरकार पर कटाक्ष किया. नीतीश कुमार ने कटाक्ष करते हुए कहा कि जहरीली शराब से अन्य प्रदेशों में भी मौतें हुई हैं, लेकिन कहीं भी राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग द्वारा संज्ञान नहीं लिया गया है. मुख्यमंत्री ने शराबबंदी कानून का हवाला देते हुए कहा कि मामले को लेकर विधि सम्मत कार्रवाई की जा रही है.

मुख्यमंत्री का कहना था कि इस घटना में एक-एक चीज की जांच की जा रही है. उनका कहना था कि जहरीली शराब से मौत मामले में दोषियों के खिलाफ कठोर कार्रवाई की जाएगी और उन्हें किसी भी कीमत पर बख्शा नहीं जाएगा. इस दौरान मुख्यमंत्री ने भाजपा पर निशाना साधते हुए कहा कि जब तक वो लोग सरकार के साथ थे, शराबबंदी कानून के समर्थन में थे. नीतीश कुमार ने कहा कि सरकार से अलग होते ही भाजपा के लोग शराब बंदी कानून पर हल्ला मचा रहे हैं.

छपरा में जहरीली शराब से हुई मौत के मामले में राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (NHRC) की टीम राज्य में जांच करने पहुंची. जिस पर जेडीयू के राष्ट्रीय प्रधान महासचिव केसी त्यागी ने एनएचआरसी की टीम के बिहार जाने पर सवाल खड़ा किया और कहा कि इस वक्त केंद्र और राज्य के संबंध पिछले पचास सालों में सबसे खराब स्थिति में हैं. उन्होंने कहा कि केंद्र -राज्य संघर्ष की स्थिति में है. खुफिया जांच एजेंसी और ईडी राज्य की सरकारों की बगैर अनुमति के प्रवेश करें तो इससे केंद्र और राज्य के संबंध खराब होने के और भी आसार हैं. जेडीयू नेता ने मांग की है कि केंद्र राज्य के संबंधों को लेकर सरकरिया कमीशन की तर्ज पर एक नया कमीशन बनाया जाए.

केसी त्यागी ने कहा कि एक बार पुनर्विचार करें और एक बार फिर से नए कमीशन का निर्माण करें जिसमें विपक्ष के नेताओं और सुप्रीम कोर्ट के जज की भी हिस्सेदारी हो. के सी त्यागी ने कहा कि केंद्र सरकार का गैर भाजपाई दलों के साथ रवैया असुविधाजनक और असहनीय है. उन्होंने कांग्रेस और इंदिरा गांधी के कार्यकाल की याद दिलाते हुए कहा कि उस वक्त भी गैर कांग्रेसी सरकारों के साथ जब इस तरह का व्यवहार होता था तो विपक्षी नेता और जयप्रकाश नारायण से लेकर अटल बिहारी वाजपेयी तक, सब विरोध करते थे. उसके बाद सरकारिया कमीशन बना था.

केसी त्यागी ने कहा वर्तमान हालात में अब एक नए कमीशन की जरूरत है. उन्होंने कहा कि सरकरिया कमीशन में यह प्रावधान है कि राज्यों के मुख्यमंत्रियों को भी वह सूची दिखाई जाए, लेकिन ऐसा नहीं हो रहा है. उन्होंने आरोप लगाया कि जब रामनाथ कोविंद बिहार के राज्यपाल नियुक्त हुए थे उस वक्त मैं बिहार भवन में नीतीश कुमार के साथ बैठा था. लेकिन, हमें समाचार माध्यमों से इस बात की जानकारी मिली. कोविंद जी सम्मानीय, विश्वसनीय थे. फिर भी सीएम को जानकारी नहीं दी गई थी. जेडीयू का आरोप है कि केरल से लेकर पश्चिम बंगाल तक के गवर्नर मुख्यमंत्री की सिफारिश पर काम करने से इनकार करते हैं. यह अभूतपूर्व संकट पैदा हो गया है.

केसी त्यागी ने कहा कि अगर एनएचआरसी की टीम बिहार में गई है तो गुजरात के मोरबी में जब इतने लोग मरे थे, वहां क्यों नहीं गई? उन्होंने कहा, यह एनएचआरसी का केस नहीं है वहां किसी मानवाधिकार का उल्लंघन नहीं हुआ है. वह घटना दुर्भाग्यपूर्ण हुई है. शराबबंदी के बावजूद कुछ लोग शराब का सेवन कर रहे थे, इसलिए उनकी लापरवाही की वजह से हादसा हुआ है.

बीजेपी की तरफ से जेडीयू के नेताओं पर इस बात का आरोप लगाया जा रहा है कि शराब माफियाओं को उनकी तरफ से संरक्षण मिल रहा है. इस पर जेडीयू नेता ने पलटवार करते हुए कहा  जब 7-8 साल हमारे साथ में थे उस वक्त भी इस तरह मौत के मामले आ रहे थे तो क्या कहा जाए ? अपनी-अपनी लोकसभा विधानसभा क्षेत्र में बीजेपी के नेताओं का भी इन अपराधियों को संरक्षण प्राप्त था. आरोप लगाने से पहले इन्हें देखना चाहिए 15 सालों तक उन्होंने एनडीए के साथ नीतीश कुमार के साथ काम किया है.

गौरतलब है की बीजेपी की तरफ से सांसद रामकृपाल यादव समेत कई नेताओं ने आरोप लगाया है कि जेडीयू नेताओं की तरफ से शराब माफियाओं को संरक्षण दिया जा रहा है. खासतौर से उन्होंने सारण के मढ़ौरा में जेडीयू नेता के घर से शराब की बोतलें मिलने के मामले को उठाया था. अब जेडीयू की तरफ से के सी त्यागी ने निशाना साधा है.

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