Notice: Function _load_textdomain_just_in_time was called incorrectly. Translation loading for the newsmatic domain was triggered too early. This is usually an indicator for some code in the plugin or theme running too early. Translations should be loaded at the init action or later. Please see Debugging in WordPress for more information. (This message was added in version 6.7.0.) in /home/imagequo/domains/shrinaradmedia.com/public_html/wp-includes/functions.php on line 6121
Emergency 1975: क्या इंदिरा गांधी के कहने पर देश में लगाया गया आपातकाल? - श्रीनारद मीडिया

Emergency 1975: क्या इंदिरा गांधी के कहने पर देश में लगाया गया आपातकाल?

Emergency 1975: क्या इंदिरा गांधी के कहने पर देश में लगाया गया आपातकाल?

०१
WhatsApp Image 2023-11-05 at 19.07.46
priyranjan singh
IMG-20250312-WA0002
IMG-20250313-WA0003
previous arrow
next arrow
०१
WhatsApp Image 2023-11-05 at 19.07.46
priyranjan singh
IMG-20250312-WA0002
IMG-20250313-WA0003
previous arrow
next arrow

श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क

25 जून 1975… यह वह दिन है, जिसे भारतीय इतिहास में एक काला अध्याय के रूप में जाना जाता है। इसी दिन देश में इमरजेंसी लगाई गई थी। तत्कालीन राष्ट्रपति फखरुद्दीन अली अहमद (Fakhruddin Ali Ahmed) ने तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी (Indira Gandhi) के कहने पर संविधान के अनुच्छेद 352 के तहत देश में आपातकाल (Emergency) लागू कर दिया।

1975 में इंदिरा गांधी ने इमरजेंसी क्यों लगाई थी?

12 जून 1975… यही वह तारीख है, जिसने देश में इमरजेंसी लगाने की बुनियाद रखी। दरअसल, इसी दिन इलाहाबाद हाईकोर्ट ने इंदिरा गांधी को लोकसभा चुनाव में जीत दर्ज करने के लिए गलत तौर-तरीके अपनाने का दोषी पाया और उनका चुनाव रद्द कर दिया।

इंदिरा गांधी ने इसके बाद सुप्रीम कोर्ट में अपील दायर की, जहां शीर्ष अदालत ने उन्हें राहत देते हुए प्रधानमंत्री पद पर बने रहने की अनुमति दे दी। कई लोगों का मानना है कि इंदिरा ने सत्‍ता जाने के डर से देश में इमरजेंसी लगाई थी।

फखरुद्दीन अली अहमद कौन थे?

फखरुद्दीन अली अहमद भारत के पांचवें राष्ट्रपति थे। वह 24 अगस्त 1974 से 11 फरवरी 1977 तक देश के प्रधानमंत्री रहे। उनका जन्म 13 मई 1905 को दिल्ली में हुआ था। उन्होंने सेंट स्टीफेंस कॉलेज और सेंट कैथरीन कॉलेज से शिक्षा ग्रहण की। उनकी पत्नी का नाम बेगम आबिदा अहमद (Begum Abida Ahmed) था।

फखरुद्दीन अली अहमद का निधन 11 फरवरी 1977 को हुआ। वे 1925 में इंग्लैंड में पंडित जवाहर लाल नेहरू से मुलाकात के बाद कांग्रेस में शामिल हुए थे।

भारत में इमरजेंसी कब लगाई गई?

भारत में इमरजेंसी 25 जून 1975 को लगाई गई, जो 21 मार्च 1977 यानी 21 महीने तक लागू रहा। इस दौरान चुनाव स्थगित हो गए। लोगों के अधिकारों को समाप्त कर दिया गया। इंदिरा गांधी ने अपने राजनीतिक विरोधियों को जेल में बंद करवा दिया और प्रेस पर भी बैन लगा दिया। इंदिरा के बेटे संजय गांधी के नेतृत्व में बड़े पैमाने पर पुरुष नसबंदी अभियान चलाया गया। लोकनायक जयप्रकाश नारायण ने इसे ‘भारतीय इतिहास की सबसे अधिक काली अवधि’ कहा था।

इमरजेंसी के दौरान आरएसएस पर लगा बैन

इमरजेंसी के दौरान राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ यानी आरएसएस पर बैन लगा दिया गया। आरएसएस को विपक्षी नेताओं का करीबी माना गया था है और यह आशंका भी जताई गई थी कि यह सरकार के खिलाफ प्रदर्शन कर सकती है। पुलिस ने आरएसएस के हजारों कार्यकर्ताओं को जेल में बंद कर दिया। इसके साथ ही, आंतरिक सुरक्षा कानून के तहत जयप्रकाश नारायण, जॉर्ज फर्नांडिस, घनश्याम तिवारी और अटल बिहारी वाजपेयी समेत कई नेताओं को गिरफ्तार कर लिया गया।

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने इंदिरा गांधी पर क्या फैसला सुनाया था?

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने 12 जून 1975 को इंदिरा गांधी को सरकारी मशीनरी का दुरुपयोग करना, तय सीमा से अधिक पैसे खर्च करना, वोटरों को घूस देना और मतदाताओं को प्रभावित करने के लिए गलत तौर तरीके अपनाने जैसे 14 आरोप सिद्ध होने के बाद छह साल के लिए प्रधानमंत्री पद से बेदखल कर दिया।

राजनारायण ने 1971 में रायबरेली लोकसभा क्षेत्र से इंदिरा गांधी के हाथों शिकस्त झेलने के बाद इलाहाबाद हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया था। हालांकि, इंदिरा गांधी ने हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में अपील दायर की। शीर्ष अदालत ने 24 जून 1975 को हाईकोर्ट के आदेश को तो बरकरार रखा, लेकिन उन्हें प्रधानमंत्री पद पर बने रहने की इजाजत दे दी।

इमरजेंसी का देश की राजनीति पर क्या असर पड़ा?

इमरजेंसी लागू करने के करीब दो साल बाद इंदिरा गांधी ने अपने पक्ष में विरोध की लहर तेज होती देख लोकसभा को भंग कर नए सिरे से चुनाव कराने की सिफारिश कर दी। हालांकि, यह फैसला उनकी पार्टी और उनके लिए घातक साबित हुआ। खुद इंदिरा को रायबरेली संसदीय क्षेत्र से हार का सामना करना पड़ा।

जनता पार्टी पूर्ण बहुमत के साथ केंद्र की सत्ता में आई और मोरारजी देसाई देश के प्रधानमंत्री बने। वहीं, संसद में कांग्रेस सदस्यों की संख्या 50 से घटकर 153 हो गई। भारतीय राजनीति का यह महत्वपूर्ण समय था, क्योंकि 30 साल बाद देश में कोई गैर कांग्रेसी सरकार बनी थी।

Leave a Reply

error: Content is protected !!