राष्ट्र के पुनर्निर्माण में विश्वविद्यालय की भूमिका अहम है- आर.के. सिन्हा।

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श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क

महात्मा गांधी केंद्रीय विश्वविद्यालय मोतिहारी, बिहार के चाणक्य परिसर स्थित राजकुमार शुक्ल सभागार में हिंदी विभाग द्वारा शनिवार को ‘राष्ट्र निर्माण में विश्वविद्यालय की भूमिका’ विषय पर विशेष व्याख्यान का आयोजन किया गया।
कार्यक्रम की अध्यक्षता विश्वविद्यालय के माननीय कुलपति प्रो. संजय श्रीवास्तव ने किया जबकि कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में चिंतक, लेखक,पत्रकार एवं सफल उद्यमी आर. के. सिन्हा रहे वही विशिष्ट अतिथि के तौर पर मधुबन के ई. विधायक राणा रणधीर सिंह ने अपनी गरिमामय उपस्थिति दर्ज कराई।

मुख्य अतिथि के तौर पर चिंतक,लेखक, विचारक व उद्यमी आर. के. सिन्हा ने कहा कि हम राष्ट्र उसे कहते हैं जो सांस्कृतिक, ऐतिहासिक व भौगोलिक रूप से हमें एकता के सूत्र में बांधती है। हमें अपने समाज के पुर्ननिर्माण करने की आवश्यकता है। विश्वविद्यालय में मिट्टी के रूप में छात्र हैं तो वहीं कुम्हार के रूप में प्राध्यापक हैं,क्योंकि राष्ट्र के पुनर्निर्माण में विश्वविद्यालय की भूमिका अहम है। आज विश्व के युवकों को नेतृत्व करने के लिए यहां के छात्रों को तैयार रहना चाहिए। शोधार्थियों के लिए शोध कार्य महत्वपूर्ण होता है। हमारी संस्कृति व्यक्ति से व्यक्ति को जोड़ने वाली है। संस्कृति की एकता का प्रमाण हमारे समाज में विद्यमान है।

कार्यक्रम में विशिष्ट अतिथि के तौर पर मधुबन के विधायक ई. राणा रणधीर रणधीर सिंह ने कहा कि हमारा राष्ट्र परंपरा, संस्कृति व विरासत से चलता है, जबकि देश भूमि, सरकार, संप्रभुता और जनसंख्या से आगे खिसकता है। इसलिए सबसे पहले हमें राष्ट्र और देश में भेद का मतलब समझना होगा। शिक्षा सरकार के लिए महत्वपूर्ण है लेकिन उसे अत्यधिक महत्व नहीं दिया जाता है इसलिए शिक्षा की ऐसी हालत हो गई है।

जब आप बहुत मंथन करेंगे तो यह पाएंगे कि सारी समस्याओं का हल माता-पिता और प्राथमिक शिक्षक के के ऊपर निर्भर करता है। हमारी संस्कृति में संवाद से ही समाधान होता है। अगर अनाज का संकट हो जाए तो हम कुछ दिन जीवित रह सकते हैं लेकिन अगर हमारे समाज में संस्कार और संस्कृति का संकट हो जाए तो समाज का मरना निश्चित है। समाज के निर्माण में विश्वविद्यालय की भूमिका महत्वपूर्ण है।

कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. संजय श्रीवास्तव ने अपने सारगर्भित उद्बोधन मे कहा कि आर.के.सिन्हा जैसे व्यक्तित्व का विश्वविद्यालय में आना अत्यन्त सुखद है। आप एक सफल विचारक, चिंतक, लेखक, पत्रकार व सफल उधमी है। हम आशा करते हैं कि विश्वविद्यालय में आगे भी आपका मार्गदर्शन मिलता रहेगा।


विश्वविद्यालय निरन्तर विकास के पथ पर अग्रसर है। कुछ महिने बाद विश्वविद्यालय में दीक्षांत समारोह का आयोजन होने वाला है। नैक की भी टीम आने वाली है। विश्वविद्यालय के स्थाई परिसर के निर्माण हेतु भूमि के मुद्दे का समाधान किया जा रहा है। पूर्ण विश्वास है कि शीघ्र ही समस्या का समाधान हो जाएगा और स्थाई परिसर के निर्माण कार्य प्रारंभ हो जाएंगे।
हम सभी सकरात्मक रूप से विश्वविद्यालय की विकास में भागीदार बनेंगे, ऐसी मेरी कामना है।

वहीं सर्वप्रथम चाणक्य परिसर स्थित महात्मा गांधी के प्रतिमा पर मुख्य अतिथि, विशिष्ट अतिथि व माननीय कुलपति ने पुष्प अर्पित किए। तत्पश्चात सभागार में मां सरस्वती की प्रतिमा पर माल्यार्पण किया गया। समारोह के आयोजक हिंदी विभागाध्यक्ष डॉ. अंजनी कुमार श्रीवास्तव ने स्वागत वक्तव्य प्रस्तुत करते हुए कहा कि राष्ट्र निर्माण में विश्वविद्यालय की भूमिका प्राचीन काल के तक्षशिला विश्वविद्यालय से ज्ञात होती है लेकिन वर्तमान समय में राष्ट्रीय शिक्षा नीति आने के बाद विश्वविद्यालय एक स्वतंत्र इकाई हो गई है। इसमें भारत बोध के माध्यम से विश्वविद्यालय एक उन्नत समाज का निर्माण कर सकता है। इस आयोजन के लिए मैं कुलपति महोदय का आभार व्यक्त करता हूँ।

मुख्य अतिथि का जीवन परिचय जंतु विज्ञान विभाग के सहायक आचार्य डॉ. अमित कुमार ने प्रस्तुत किया।
समारोह का सफल संचालन अंग्रेजी विभागाध्यक्ष डॉ. विमलेश कुमार सिंह ने किया।

कार्यक्रम में छात्रों ने मुख्य अतिथि विशिष्ट अतिथि के समक्ष अपना जिज्ञासा को रखा, जिसका सभी ने समुचित उत्तर दिया।
इस मौके पर कई विभाग के आचार्य, सहायक आचार्य छात्र-छात्राएं एवं शोधार्थी उपस्थित रहे।
कार्यक्रम में धन्यवाद ज्ञापन शिक्षा संकाय की सहायक आचार्य डॉ. मनीषा रानी ने किया।

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