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प्रधानमंत्री मोदी ने अपने जन्‍मदिन पर पीएम विश्‍वकर्मा योजना का किया शुभारंभ - श्रीनारद मीडिया

प्रधानमंत्री मोदी ने अपने जन्‍मदिन पर पीएम विश्‍वकर्मा योजना का किया शुभारंभ

प्रधानमंत्री मोदी ने अपने जन्‍मदिन पर पीएम विश्‍वकर्मा योजना का किया शुभारंभ

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जिसको कोई नहीं पूछता, उसका सेवक बनकर गरीब का बेटा मोदी आया है

श्रीनारद मीडिया, सेंट्रल डेस्‍क:

विश्वकर्मा जयंती और अपने जन्मदिन के अवसर पर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने पारंपरिक कौशल से जुड़े देश के लाखों परिवारों को प्रधानमंत्री विश्वकर्मा योजना का उपहार दिया। पारंपरिक कारीगरों को प्रशिक्षण, टूलकिट और तीन लाख रुपये का ऋण उपलब्ध कराने वाली इस योजना का शुभारंभ करते हुए पीएम ने कहा कि देश में आज वह सरकार है, जो वंचितों को वरीयता देती है।

प्रधानमंत्री ने किया पीएम विश्वकर्मा योजना का शुभारंभ

पीएम स्वनिधि सहित अन्य गरीब हितकारी योजनाओं का उल्लेख करते हुए बोले- जिसको कोई नहीं पूछता, उसका सेवक बनकर गरीब का बेटा मोदी आया है। पीएम मोदी ने रविवार को द्वारका स्थित नवनिर्मित इंटरनेशनल कन्वेंशन सेंटर यशोभूमि और मेट्रो स्टेशन का उद्घाटन करने के साथ ही पीएम विश्वकर्मा योजना का शुभारंभ किया। भव्य कन्वेंशन सेंटर के निर्माण का श्रेय इसके कारीगरों को विश्वकर्मा के रूप में देते हुए उन्होंने कहा कि हाथ के हुनर से, औजारों से, परंपरागत रूप से काम करने वाले लाखों परिवारों के लिए पीएम विश्वकर्मा योजना उम्मीद की एक नई किरण बनकर आ रही है।

विश्वकर्मा योजना पर सरकार करेगी 13 हजार करोड़ रुपये का खर्च

विश्वकर्मा को रीढ़ की हड्डी के समान बताते हुए बोले कि दुनिया कितनी भी आगे बढ़ जाए, टेक्नोलाजी कहीं भी पहुंच जाए, लेकिन इनकी भूमिका, इनका महत्व हमेशा रहेगा। प्रधानमंत्री ने कहा कि हमारी सरकार विश्वकर्मा भाई-बहनों का सम्मान बढ़ाने, उनका साम‌र्थ्य और समृद्धि बढ़ाने के लिए एक सहयोगी बनकर पास आई है। अभी इस योजना में 18 अलग-अलग तरह का काम करने वाले विश्वकर्मा साथियों पर फोकस किया गया है। शायद ही कोई गांव ऐसा होगा कि जहां इस 18 प्रकार के काम करने वाले लोग न हों। इस योजना पर सरकार अभी 13 हजार करोड़ रुपये खर्च करने वाली है।

पीएम मोदी ने लक्षित वर्ग को दिया संदेश

प्रधानमंत्री ने लक्षित वर्ग को यह संदेश देने का भी प्रयास किया कि उनकी सरकार गरीबों और वंचितों के हित में किस तरह काम कर रही है। उन्होंने कहा कि आज देश में वो सरकार है, जो वंचितों को वरीयता देती है। ये हमारी सरकार ही है, जो एक जिला, एक उत्पाद योजना के माध्यम से हर जिले के विशेष उत्पादों को बढ़ावा दे रही है। हमारी सरकार ने ही पहली बार रेहड़ी-पटरी-ठेले वालों को पीएम स्वनिधि के तहत मदद की है, बैंक के दरवाजे उनके लिए खोल दिए हैं। ये हमारी ही सरकार है, जिसने आजादी के बाद पहली बार बंजारा और घुमंतू जनजातियों की परवाह की। ये हमारी ही सरकार है, जिसने आजादी के बाद पहली बार दिव्यांगजन के लिए हर स्तर, हर स्थान पर विशेष सुविधाएं विकसित की हैं।

हाथ के हुनर की दुनिया में बढ़ रही मांग

मोदी ने कहा- ‘जिसे कोई नहीं पूछता, उसके लिए गरीब का ये बेटा मोदी, उसका सेवक बनकर आया है। सबको सम्मान का जीवन देना, सभी तक सुविधा पहुंचाना, ये मोदी की गारंटी है।’ विदेश का एक संस्मरण सुनाते हुए पीएम मोदी ने कहा- ‘हाथ के हुनर की दुनिया में मांग बढ़ रही है। बड़ी-बड़ी कंपनियां भी अपने उत्पाद बनाने के लिए अपना काम दूसरी छोटी-छोटी कंपनियों को देती हैं। ये पूरी दुनिया में एक बहुत बड़ा उद्योग है। आउटसोर्सिंग का काम भी हमारे इन्हीं विश्वकर्मा साथियों के पास आए, आप बड़ी सप्लाई चेन का हिस्सा बनें, हम इसके लिए आपको तैयार करने की दिशा में आगे बढ़ रहे हैं।

प्रशिक्षण के दौरान हर रोज 500 रुपये देगी सरकार

देशभर से 70 स्थानों से वर्चुअल माध्यम से जुड़े शिल्पकारों को पीएम ने बताया- ‘इस योजना के तहत प्रशिक्षण के दौरान हर रोज 500 रुपये भत्ता सरकार की तरफ से दिया जाएगा। आधुनिक टूलकिट के लिए 15 हजार रुपये का टूलकिट वाउचर मिलेगा। कारीगर जो सामान बनाएंगे, उसकी ब्रांडिंग और पैकेजिंग से लेकर मार्केटिंग में भी सरकार हर तरह से मदद करेगी। बदले में सरकार यह चाहती है कि टूलकिट उसी दुकान से खरीदें जो जीएसटी पंजीकृत है, कालाबाजारी नहीं चलेगी। दूसरा आग्रह य कि टूल्स मेड इन इंडिया ही होने चाहिए।

जब बैंक आपसे गारंटी नहीं मांगता है तो आपकी गारंटी मोदी देता है

प्रधानमंत्री ने कहा कि अगर आप अपना कारोबार बढ़ाना चाहते हैं तो शुरुआती पूंजी की दिक्कत ना आए, इसका भी ध्यान सरकार ने रखा है। इस योजना के तहत बिना बैंक गारंटी के तीन लाख रुपये ऋण मिलेगा। उन्होंने कहा कि जब बैंक आपसे गारंटी नहीं मांगता है तो आपकी गारंटी मोदी देता है। यह भी सुनिश्चित किया गया है कि इस ऋण का ब्याज बहुत ही कम रहे। सरकार ने प्रविधान किया है कि पहली बार में अगर आपकी ट्रेनिंग हो गई, आपने नए टूल ले लिए तो पहली बार आपको एक लाख रुपये तक ऋण मिलेगा। जब आप ये चुका देंगे तो फिर दो लाख रुपये का ऋण और मिलेगा।

यह भी बोले पीएम

टेक्नोलॉजी और ट्रेडीशनल मिलते हैं तो क्या कमाल होता है, यह पूरी दुनिया ने जी-20 क्राफ्ट बाजार में देखा है।

  •  ‘लोकल के लिए वोकल’ का ये समर्पण हम सभी का, पूरे देश का दायित्व है।
  • अब गणेश चतुर्थी, धनतेरस, दीपावली सहित अनेक त्योहार आने वाले हैं। देशवासियों से लोकल खरीदने का आग्रह करुंगा, जिसमें हमारे विश्वकर्मा साथियों की छाप हो, भारत की मिट्टी और पसीने की महक हो।
  • भारत मंडपम हो या यशोभूमि, ये भारत के आतिथ्य, भारत की श्रेष्ठता और भव्यता के प्रतीक बनेंगे।

कान्फ्रेंस टूरिज्म के लिए खुद को तैयार कर रहा देश

पीएम प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने यशोभूमि के नाम से इंटरनेशनल कन्वेंशन सेंटर का लोकार्पण करते हुए उद्योग की नई संभावनाओं पर भी जोर दिया। उन्होंने कहा कि बदलते हुए समय के साथ विकास के, रोजगार के नए-नए सेक्टर भी बनते हैं। आज से 50-60 साल पहले कोई इतनी बड़ी आइ इंडस्ट्री के बारे में सोच भी नहीं सकता था। आज से 30-35 वर्ष पहले इंटरनेट मीडिया भी एक कल्पना भर ही था। अब दुनिया में एक और बड़ा सेक्टर बन रहा है, जिसमें भारत के लिए असीम संभावनाए हैं। ये सेक्टर है कान्फ्रेंस टूरिज्म का।

कान्फ्रेंस टूरिज्म इंडस्ट्री पर क्या बोले पीएम मोदी?

उन्होंने कहा कि पूरी दुनिया में कान्फ्रेंस टूरिज्म इंडस्ट्री 25 लाख करोड़ रुपये से भी ज्यादा है। हर वर्ष दुनिया में 32 हजार से भी ज्यादा बड़ी एक्जीबिशन लगती हैं, एक्सपो होते हैं। आप कल्पना कर सकते हैं कि जिस देश की आबादी दो-पांच करोड़ होगी, लोग वहां भी आयोजन कर देते हैं। यहां तो 140 करोड़ की आबादी है। जो आएगा, वह मालामाल हो जाएगा। बहुत बड़ा मार्केट है।

पीएम ने कहा कि कान्फ्रेंस टूरिज्म के लिए आने वाले लोग एक सामान्य टूरिस्ट की अपेक्षा कई गुना ज्यादा पैसा खर्च करते हैं। इतनी बड़ी इंडस्ट्री में भारत की हिस्सेदारी सिर्फ एक प्रतिशत है। भारत की ही अनेक बड़ी कंपनियां हर साल अपने कार्यक्रम बाहर कराने के लिए मजबूर हो जाती हैं। देश और दुनिया का इतना बड़ा मार्केट हमारे सामने है। अब आज का नया भारत खुद को कान्फ्रेंस टूरिज्म के लिए भी तैयार कर रहा है।

विश्वास भरे बोल

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कहा कि भारत अब रुकने वाला नहीं है। हमें चलते रहना है, नए लक्ष्य बनाते रहना है और उन नए लक्ष्यों को पाकर के ही चैन से बैठना है। हम सभी का परिश्रम और परिश्रम की पराकाष्ठा देश को 2047 में दुनिया के सामने डंके की चोट पर विकसित भारत के रूप में खड़ा कर देगी, ये संकल्प लेकर चलना है। ये समय हम सभी के लिए जुट जाने का समय है।

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